पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक ने लगातार दूसरी बार ब्याज दरों में कटौती कर 25 करोड़ की पाकिस्तानी आवाम को बड़ी राहत दी है. सितंबर उसके बाद अब नवंबर के महीने में पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट में 2.5 फीसदी की कटौती की है. इससे पहले सितंबर के महीने में ये कटौती 2 फीसदी की देखने को मिली थी. इसका मतलब है कि लगातार दो बार में पाकिस्तानी सेंट्रल बैंक की एमपीसी ने ब्याज दरों में 4.5 फीसदी की ​कटौती कर दी है.

वहीं इस राहत का इंतजार भारत के लोग बीते 53 महीनों से कर रहे हैं. आखिरी बार आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती मई 2020 में हुई थी. आखिरी बार आरबीआई ने ब्याज दरों में बदलाव फरवरी 2023 में किया था. जब आरबीआई की एमपीसी ने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की थी. उसके बाद अब तक पॉलिसी रेट को फ्रीज करके रखा हुआ है. वैसे अक्टूबर की मीटिंग में आरबीआई एमपीसी ने अपने रुख में बदलाव करते हुए आने वाले दिनों में ब्याज दरों में कटौती के संकेत दिए थे.

दूसरी बार की ब्याज दरों में कटौती

पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने महंगाई में आई नरमी के बीच सोमवार को अपनी प्रमुख नीतिगत दर में 2.5 फीसदी की कटौती करते हुए इसे 15 फीसदी पर ला दिया. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने बयान में कहा कि उसकी मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन करने के बाद नीतिगत दर में कटौती का निर्णय लिया है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि एमपीसी ने नीतिगत दर में 2.50 फीसदी अंक की कटौती करते हुए इसे 17.5 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी करने का फैसला किया. नई ब्याज दर पांच नवंबर, 2024 से प्रभावी होगी. इससे पहले सितंबर के महीने में स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने ब्याज दरों में 2 फीसदी की कटौती की थी.

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पाकिस्तान में महंगाई आंकड़े हुए कम

मौद्रिक नीति समिति ने कहा कि महंगाई में अपेक्षा से अधिक तेजी से गिरावट आई है और यह अक्टूबर में अपने मध्यम अवधि के निर्धारित लक्ष्य के करीब पहुंच गई है. अक्टूबर में मुद्रास्फीति 7.2 प्रतिशत दर्ज की गई है. प्रमुख मुद्रास्फीति तीन साल के बाद अगस्त में पहली बार इकाई अंक में 9.6 प्रतिशत आंकी गई थी. पाकिस्तान में मुद्रास्फीति नवंबर, 2021 में 10 प्रतिशत के ऊपर चली गई थी और यह जुलाई, 2024 तक लगातार दहाई अंक में बनी रही. उच्च मुद्रास्फीति का सामना करने के लिए एसबीपी ने ब्याज दर को बढ़ाते हुए 22 प्रतिशत तक पहुंचा दिया था.

भारत 53 महीनों से कर रहा इंतजार

वहीं दूसरी ओर भारत के लोग करीब 53 महीनों से ब्याज दरों में कटौती का इंतजार कर रहे हैं. आरबीआई एमपीसी ने आखिरी बार ब्याज दरों में कटौती 22 मई 2020 को थी. तब ब्याज दरों में 0.40 फीसदी की कटौती करते हुए रेपो रेट को 4 फीसदी पर ला दिया था. उसके बाद मई 2022 से फरवरी 2023 तक लगातार ब्याज दरों में इजाफा किया गया और ब्याज दरों को 4 फीसदी से बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया गया. तब से अब तक आरबीआई एमपीसी की 10 मीटिंग हो चुकी हैं, लेकिन ब्याज दरों में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला. अक्टूबर के महीने में आरबीआई गवर्नर ने आने वाले महीनों में ब्याज दरों में कटौती के संकेत दिए हैं.

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