फीनिक्स (एरिजोना)/फिलाडेलफिया(पेनसिलवेनिया): अमेरिकी चुनाव में महज चंद घंटे शेष रह गये हैं। कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच चल रहे जोरदार मुकाबले में हर वोटर तबके तक अंतिम मिनट तक पहुंचने की हर कोशिश की जा रही है। ऐसा ही अमेरिका में एक तबका है अप्रवासी वोटर का जो यहां बस चुके हैं। और, अब वे प्रभावी वोटर ब्लॉक हैं। इसमें दो सबसे प्रभावी तबका है एक भारतीय और दूसरा लैटिन समुदाय का। अमेरिका में नजदीकी मुकाबले में इस बार दोनों तबके के वोटर की भूमिका अहम मानी जा रही है। एनबीटी ने दोनों तबकों से बात की तो अंदाज़ा लगा कि परिणाम जो हो,हालिया राजनीति से वे चिंतित हैं। अमेरिका में डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट के फॉरेन प्रेस सेंटर ने इस चुनाव में कवरेज के लिए एनबीटी को भी खास आमंत्रण दिया है। पूरे अमेरिका में 5 नवंबर को वोटिंग होने वाली है। अगले दिन वोटों की गिनती होगी।

भारतीय समुदाय की अपनी चिंता

फ़िलेडेल्फ़िया में पिछले 30 सालों से रह रहे सुनील वत्स ने एनबीटी से कहा कि आज जिस तरह से अमेरिकी राजनीति में चीजें पोलराइज़्ड हो गई हैं ऐसे में सार्वजनिक तौर पर वह राजनीतिक चर्चाओं से परहेज करने लगे हैं। अब एक तरह का डर है कि उन्हें राजनीतिक स्टैंड लेने के कारण ख़ामियाज़ा भुगतान पड़ सकता है। पेशे से डॉक्टर सुनील ने कहा कि नागरिकता मिलने के बाद उन्होंने अब तक 5 बार वोट किया। तीन बार रिपब्लिकन को और दो बार डेमोक्रेट्स को। उन्होंने कहा कि यह धारणा गलत है कि समुदाय किसी एक दल या नेता को सपोर्ट करता हैं। इस बार वह खुद ट्रंप को वोट कर रहे हैं जबकि उनकी बेटी हैरिस को वोट करेगी। उनकी बेटी स्थानीय लेवल पर हैरिस के लिए कैम्पेन भी कर रही है।

अमेरिका में भारतीय अमेरिकी समुदाय की संख्या लगभग 60 लाख है जो लैटिन मेक्सिकन अमेरिकियों के बाद अमेरिका में दूसरा सबसे बड़ा आप्रवासी समूह है। इनमें लगभग 30 लाख रजिस्टर्ड वोटर हैं जो 5 नवंबर के चुनाव में वोट डालने के लिए योग्य हैं। कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के मिलन वैश्नव ने एक कार्यक्रम में कहा कि पेन्सिलवेनिया, नॉर्थ कैरोलिना, जॉर्जिया, और मिशिगन जैसे राज्यों में भारतीय-अमेरिकी वोटर्स की संख्या इतनी है कि वे नज़दीकी मुक़ाबले में कई सीटों पर निर्णायक सकते हैं। यही कारण हैं कि डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन अपनी टीम में भारतीय अमेरिकी को जगह दे रहे हैं।

भारतीय पहचान से खुद को जोड़ रहे ट्रंप और हैरिस

कमला ख़ुद अपने भारतीय पहचान की बात करती है। तो वहीं डोनाल्ड ट्रंप अपने प्रतिनिधि विवेक रामास्वामी और उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार जेडी वैंस की पत्नी उषा वैंस के कैंपेन के बदौलत इन्हें लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि अधिकतर भारतीय अमेरिकी ने कहा कि यहां पिछले कुछ सालों में इन तबके के बीच राजनीतिक रुचि कम हुई है जिसका असर वोटिंग पर देखने की मिल सकता है। भारतीय अमेरिकी वोटर के बीच काम करने वाले मिथुन विल्सन ने कहा कि जो ट्रेंड है उस हिसाब से 50 फ़ीसदी भी वोटिंग ये करें तो बड़ी बात होगी। उदासीनता की वजह पूछने पर कहते हैं कि उनके सामने इधर मौत उधर खाई वाली नौबत है।

हालांकि ट्रंप खासकर हिंदू भारतीय अमेरिकी को अपने पक्ष में करने के लिए हर कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओ की सुरक्ष को लेकर जो सोशल मीडिया पोस्ट किया वह उसी रणनीति का हिस्सा था। वह संदेश देना चाहते हैं कि वह भले अप्रवासी का मुद्दा उठा रहे है। लेकिन उनके लिए हिंदू टारगेट पर नहीं हैं। दरअसल भारतीय अमेरिकी शुरू से डेमोक्रेट्स के सपोर्टर रहे हैं लेकिन हाल के साल में इसमें कमी आई है।

कुछ यही कहानी लैटिन वोटर की भी

कुछ ऐसी की कहानी देश में लैटिन वोटरों की है। हालाँकि उनकी तादाद काफी है और उनका लगभग 15 फीसदी वोट है। देश के नेवादा एरिजोना और में इनकी काफी तादाद है और इसी स्विंग राज्यों पर चुनाव परिणाम निर्भर करेगा। यही कारण है कि ट्रंप और हैरिस दोनों इस इलाक़े में कई रैलियां कर चुके हैं। हॉलीवुड की मशहूर एक्टर जेनिफर लोपेज को तो हैरिस बी एक तरह से इन वोटर को अपने पक्ष में करवाने का जिम्मा दे दिया है। लोपेज इस बार कई रैली कर चुकी हैं। साथ ही अपने वोटर को जागरूक करने के लिए कई संगठन घर-घर जनसंपर्क भी कर रही है। ख़ास टी शर्ट दे रहे हैं।

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