कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा बहुजन समाज पार्टी के वर्तमान राजनीतिक दृष्टिकोण पर सवाल उठाने के बाद मायावती ने पलटवार किया. बसपा सुप्रीमो ने कांग्रेस पर ‘दोहरे चरित्र और जातिवादी मानसिकता’ का आरोप लगाया. उन्होंने अपने X हैंडल से सिलसिलेवार पोस्ट में कहा, ‘कांग्रेस पार्टी जिन राज्यों में मजबूत है या जहां उसकी सरकारें हैं वहां बीएसपी व उसके अनुयाइयों के साथ उसका द्वेष व जातिवादी रवैया है, किंतु यूपी जैसे राज्य में जहां कांग्रेस कमजोर है वहां बीएसपी से गठबंधन की वरगलाने वाली बातें करना उसका दोहरा चरित्र नहीं तो और क्या है?’

मायावती ने आगे कहा, ‘बीएसपी ने यूपी व अन्य राज्यों में जब भी कांग्रेस जैसी जातिवादी पार्टियों के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा है, तब हमारा बेस वोट उन्हें ट्रांसफर हुआ है. लेकिन वे पार्टियां अपना बेस वोट बीएसपी को ट्रांसफर नहीं करा पाई हैं. ऐसे में बीएसपी को हमेशा घाटे में ही रहना पड़ा है. वैसे भी कांग्रेस व भाजपा आदि का चाल, चरित्र, चेहरा हमेशा बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर, उनकी अनुयायी बीएसपी व उसके नेतृत्व, उनके दलित-बहुजन अनुयाइयों एवं आरक्षण आदि का घोर विरोधी रहा है, जिससे देश संविधान का समतामूलक व कल्याणकारी उद्देश्य पाने में काफी पीछे है, जो चिंताजनक है.’

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मायावती का यह पोस्ट आया राहुल गांधी की रायबरेली में की गई उस टिप्पणी के बाद आया, जिसमें उन्होंने बसपा प्रमुख मायावती पर 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा विरोधी मोर्चे या इंडिया ब्लॉक से दूरी बनाने का आरोप लगाया, जिससे बीजेपी को जीत दर्ज करने में मदद मिली. राहुल गांधी ने रायबरेली के एक छात्रावास में दलित छात्रों से बातचीत में कहा, ‘मैं चाहता था कि बहनजी हमारे साथ मिलकर भाजपा के खिलाफ लड़ें, लेकिन किसी कारण से उन्होंने ऐसा नहीं किया. यह बेहद निराशाजनक था. अगर तीनों पार्टियां (सपा, बसपा और कांग्रेस) एकजुट हो जातीं, तो भाजपा कभी नहीं जीत पाती.’

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कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 2024 का चुनाव एक साथ लड़ा था और फैजाबाद लोकसभा सीट सहित 43 सीटें जीतकर सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में भाजपा की बढ़त को सीमित करने में सफल रही थी. दिलचस्प बात यह है कि दलित छात्रों के साथ बातचीत के दौरान गांधी ने मायावती की प्रशंसा की. उन्होंने भारतीय राजनीति में बसपा संस्थापक कांशीराम की भूमिका के बारे में बात की. उन्होंने मायावती और बसपा के वर्तमान राजनीतिक रुख पर सवाल उठाने से पहले कहा, ‘मेरा मानना ​​है कि कांशीराम जी ने नींव रखी और बहनजी (मायावती) ने इसे आगे बढ़ाया.’

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