
हिमालयन भालू (getty images)
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में नंदनवन जंगल सफारी के लिए लाए जा रहे हिमालयन भालू की रास्ते में ही मौत हो गई. नागालैंड के धीमापुर चिड़ियाघर से दो हिमालयन भालुओं को लाया जा रहा था. रास्ते में नर हिमालयन भालू की तबीयत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई, जबकि मादा भालू को जंगल सफारी के क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया है.
एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत, छत्तीसगढ़ वन विभाग ने नागालैंड को पांच चीतल और दो काले हिरण भेजे थे और बदले में दो हिमालयन भालू वहां से लाए जा रहे थे. लेकिन, रास्ते में नर भालू की अचानक मौत हो गई.
रास्ते में थी हालत काफी खराब
वन्यजीव चिकित्सक डॉ. राकेश वर्मा के अनुसार, भालू पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी से गुजरते समय बेहद तनाव में थे. किसी व्यक्ति ने इसका वीडियो बना लिया और उसे वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो को भेज दिया. इसके बाद, जलपाईगुड़ी, किशनगंज (बिहार), फुलवारी, सिलीगुड़ी और बराबरी में वाहन को रोका गया, और अधिकारियों ने जांच की. खासकर, किशनगंज में वाहन को लगभग दो घंटे तेज धूप में खड़ा किया गया, जिससे जानवरों पर अत्यधिक तनाव पड़ा. हालांकि, हिमालयन भालू को बर्फ की सिल्लियों के साथ रखा गया था, लेकिन रास्ते में गाड़ी को कई बार रोकने से बर्फ पिघल गई. इस वजह से गर्मी बढ़ गई और भालू की तबीयत बिगड़ गई.
गर्मी और तनाव नहीं झेल पाया भालू
भागलपुर वन विभाग ने नर भालू की बिगड़ती स्थिति देख रांची के वन्यप्राणी चिकित्सकों से संपर्क किया और उनकी सलाह पर दवाइयां दीं. इसी बीच, 19 फरवरी की शाम नर भालू ने दम तोड़ दिया. वन विभाग ने पोस्टमार्टम कर रिपोर्ट तैयार की है.
भालू की मौत पर उठने लगे सवाल
इस घटना से वन्यजीव प्रेमी नाराज़ हैं. नितिन सिंघवी जैसे लोगों ने सवाल उठाए हैं कि भालू की मौत के समय और कारण को स्पष्ट किया जाना चाहिए. उन्होंने पूछा कि अगर लापरवाही हुई है, तो जिम्मेदार अधिकारियों और डॉक्टरों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने यह भी मांग की कि पिछले कुछ वर्षों में जंगल सफारी में हुई वन्यजीवों की मौतों का विवरण सार्वजनिक किया जाए.
इससे पहले, बारनवापारा अभयारण्य से गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व भेजी गई मादा बाइसन की मौत का मामला भी वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा चुका था.
विभाग की तैयारियों पर सवाल
इससे पहले, 2012 में असम से हिमालयन भालुओं का जोड़ा नंदनवन जू लाया गया था, जिन्हें 2016 में जंगल सफारी में शिफ्ट किया गया. 2020 में नर भालू की मौत के बाद वन विभाग मादा भालू के लिए नया साथी ढूंढ़ रहा था, लेकिन इस बार नागालैंड से लाए गए भालुओं में से एक नर भालू की मौत ने विभाग की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
हिमालयन भालू मुख्य रूप से हिमालय के तराई क्षेत्रों में पाए जाते हैं और इनकी आयु अन्य भालू प्रजातियों से लगभग पांच साल अधिक होती है.
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