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Delhi Liqour Scam : आम आदमी पार्टी की अगुवाई वाली केजरीवाल सरकार के समय दिल्ली में हुए शराब घोटाले की परतें अब खुलकर सामने आ रही हैं. कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कैसे खास ब्रांड और डिस्ट्रीब्यूटर्स क…और पढ़ें
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कैग ने दिल्ली शराब घोटाले पर अपनी रिपोर्ट पेश की है.
हाइलाइट्स
- कैग रिपोर्ट में दिल्ली शराब घोटाले का खुलासा.
- नई नीति से 3 डिस्ट्रिब्यूटर्स ने 71% शराब आपूर्ति पर कब्जा किया.
- खास ब्रांड की शराब ने 70% बिक्री पर कब्जा जमाया.
नई दिल्ली. दिल्ली से करीब डेढ़ दशक बाद आम आदमी पार्टी की सरकार को सत्ता से हटाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले शराब घोटाले का पूरा सच अब सामने आ गया है. महालेखा नियंत्रक (कैग) की रिपोर्ट में इस घोटाले की सारी परतें सामने आ चुकी हैं. रिपोर्ट में बताया गया कि 2021-22 की दिल्ली आबकारी नीति ने कुछ थोक विक्रेताओं और निर्माताओं के बीच गठजोड़ के कारण एकाधिकार और ब्रांड को बढ़ावा देने का जोखिम पैदा किया. इसका फायदा खास ब्रांड की शराब और डिस्ट्रीब्यूटर्स को मिला.
कैग ने रिपोर्ट में बताया कि दिल्ली सरकार की शराब नीति से सिर्फ 3 डिस्ट्रीब्यूटर्स ने ही पूरे शहर की 71 फीसदी से अधिक शराब आपूर्ति को कंट्रोल किया, जो खुले तौर पर एक भ्रष्टाचार है. विधानसभा में पेश रिपोर्ट में बताया गया कि इस नीति का फायदा खास ब्रांड की शराब को भी मिला. वैसे तो दिल्ली में आईएमएफएल ब्रांड के तहत 367 ब्रांड पंजीकृत हैं, लेकिन नई नीति लागू होने के बाद इसमें से सिर्फ 25 ब्रांड ने ही 70 फीसदी बिक्री पर कब्जा जमा लिया.
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कैसे हुआ घोटाले का खेल
नई शराब नीति ने प्रोडक्शन कंपनी और थोक विक्रेताओं के बीच एक विशेष व्यवस्था बनाई, जिसके कारण एक विशेष निर्माता के सभी ब्रांडों की पूरी आपूर्ति केवल एक थोक विक्रेता द्वारा नियंत्रित की गई. इससे बहुत कम लोकप्रिय ब्रांड की शराबों की बिक्री काफी ज्यादा रही और अधिकांश हिस्सा इन्हीं कंपनियों के हाथों में गया. सिर्फ 10 ब्रांड की शराब ने ही कुल बिक्री के 46 फीसदी से ज्यादा हिस्से पर कब्जा जमाया. शीर्ष 25 ब्रांड ने करीब 70 फीसदी बाजार पर कंट्रोल रखा.
3 डिस्ट्रीब्यूटर्स को खास फायदा
नई शराब नीति ने सिर्फ खास ब्रांड की शराब को ही फायदा नहीं पहुंचाया, बल्कि डिस्ट्रीब्यूटर्स को भी जमकर लाभ दिलाया. इस दौरान दिल्ली में बिकने वाले शीर्ष 25 ब्रांडों में से डिस्ट्रीब्यूटर्स ब्रिंडको और महादेव लिकर ने सात-सात ब्रांडों की विशेष आपूर्ति की और इंडोस्पिरिट ने छह ब्रांडों की खास आपूर्ति का जिम्मा संभाला. इसके अलावा 13 थोक लाइसेंसधारियों द्वारा आपूर्ति किए गए 367 आईएमएफएल ब्रांडों में से सबसे अधिक ब्रांडों की विशेष आपूर्ति इंडोस्पिरिट (76 ब्रांड), महादेव लिकर (71 ब्रांड) और ब्रिंडको (45 ब्रांड) द्वारा की गई. इन तीन थोक विक्रेताओं ने दिल्ली में बेची गई शराब का 71.70 फीसदी हिस्सा कंट्रोल किया.
लाइसेंस में भी जमकर हुआ खेल
नई शराब नीति की इस धांधली से लाइसेंस में भी जमकर खेल किया गया. रिपोर्ट के अनुसार, आईएमएफएल और एफएल की आपूर्ति के लिए थोक लाइसेंस 14 व्यावसायिक संस्थाओं को दिए गए, जबकि पुरानी नीति (2020-21) में आईएमएफएल के 77 निर्माताओं और एफएल के 24 आपूर्तिकर्ताओं को दिए गए थे. इसी तरह, खुदरा वेंड्स के लिए दिल्ली को 32 क्षेत्रों (849 वेंड्स) में विभाजित किया गया था, जिनके लाइसेंस निविदा के माध्यम से 22 संस्थाओं को दिए गए थे. पहले 377 खुदरा वेंड्स चार सरकारी निगमों द्वारा चलाए गए थे और 262 खुदरा वेंड्स निजी व्यक्तियों को आवंटित किए गए थे.
New Delhi,Delhi
February 25, 2025, 17:28 IST
केजरीवाल सरकार ने कैसे खेला शराब घोटाले का खेल? 70% बिक्री खास ब्रांड की रही