Maha Shivaratri 2025 : बुधवार, 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व है. इस दिन भगवान शिव की पूजा-आराधना के साथ पौराणिक शिवालयों और शिवमंदिरों में दर्शन करने की भी परंपरा है. हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों (Jyotirlinga) का सबसे ज्यादा महत्व है. ऐसे में अगर आपके आसपास कोई ज्योतिर्लिंग है तो वहां जाकर दर्शन जरूर करें. अगर आपके शहर में ज्योतिर्लिंग नहीं है तो कुछ मशहूर ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर मन को शांत बना सकते हैं. आइए जानते हैं इन मशहूर ज्योतिर्लिंग के बारें में…
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात
यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से पहला है. चंद्र देव के तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव यहां प्रकट हुए थे और उन्हीं के नाम सोम पर ही इसका नाम सोमनाथ पड़ा है.
2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश
यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से दूसरा है. माना जाता है कि शिव-पार्वती यहां अपने पुत्र कार्तिकेय से मिलने आते हैं. यह एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जहां माता पार्वती के साथ शिव जी ज्योति रूप में विराजमान हैं.
3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्यप्रदेश
यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से तीसरा है. यह एकमात्र दक्षिणमुखी शिवलिंग है.
4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्यप्रदेश
यह ज्योतिर्लिंग ऊं के आकार में बना है. इसी वजह से इसका नाम ओंकारेश्वर है.
5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंड
यहां शिवजी ने पांडवों को बैल रूप में दर्शन दिया था. वर्तमान मंदिर का निर्माण आदिगुरु शंकराचार्य ने 8वीं-9वीं सदी में करवाया था. हालांकि, महाशिवरात्रि पर यहां दर्शन नहीं कर सकते हैं, क्योंकि इसके कपाट शीत ऋतु में 6 महीने बंद रहता है.
6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
रावण और कुंभकर्ण के वध का भगवान श्रीराम से कुंभकर्ण का पुत्र भीम बदला लेना चाहता था. ब्रह्मा जी से वरदान पाकर उसने देवताओं को पराजित कर दिया था, तब भगवान शिव ने इसी क्षेत्र में उसका वध किया था और यहीं ज्योति रूप में विराजित हो गए थे.
7. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तरप्रदेश
यहां महादेव के साथ माता पार्वती भी विराजमान हैं. मान्यता है कि दर्शन के लिए देवर्षि नारद के साथ सभी देवता आते हैं.
8. त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
मान्यता है कि गौतम ऋषि इस क्षेत्र में गंगा को लाना चाहते थे लेकिन गंगा ने कहा जब तक भगवान शिव नहीं आएंगे, वो भी नहीं आएंगी. इसके बाद गौतम ऋषि ने भगवान शिव का तप कर उन्हें प्रकट किया और शिव जी यहीं ज्योति रूप में विराजित हो गए. इसके बाद देवी गंगा, गौतम ऋषि के नाम गोदावरी नाम से यहीं बहनें लगीं. इस ज्योतिर्लिंग में ब्रम्हा, विष्णु और शिव की एक साथ पूजा होती है.
9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड
मान्यता है कि इस शिवलिंग को रावण लंका ले जा रहा था, देवघर में उसने शिवलिंग को नीचे रख दिया और भगवान शिव यहीं विराजित हो गए. रावण ने उठाने की बहुत कोशिश की लेकिन असफल रहा. इसके बाद देवी-देवताओं ने शिव की आराधना की और वो प्रसन्न होकर यहीं ज्योति रूप में विराजित हो गए.
10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, गुजरात
मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती यहां नागों के रूप में प्रकट हुए थे. इसी वजह से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग नाम पड़ा है. मान्यता है कि इस क्षेत्र में भगवान शिव ने दारुक नाम के दैत्य का वध किया था.
11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु
रावण के वध के बाद भगवान श्रीराम दक्षिण में रूके थे और यहीं पर रेत से शिवलिंग की स्थापना कर पूजा की थी. बाद में यह शिवलिंग व्रज की तरह मजबूत हो गया. श्रीराम ने इसे बनाया था, इसलिए इसका नाम रामेश्वरम पड़ गया.
12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
सुधर्मा नाम के ब्राह्मण की पत्नी सुदेहा की कोई संतान नहीं थी. उसने अपने पति का विवाह अपनी छोटी बहन घुश्मा से करवा दिया. विवाह के कुछ समय बाद ही उसे पुत्र की प्राप्ति हुई. सुदेहा बहन के बेटे से जलने लगी और उसकी हत्या कर दी. इस बात का पता चलते ही घुश्मा भगवना शिव की आराधना करने लगी. इससे प्रसन्न होकर शिवजी प्रकट हुए और उसके पुत्र को जीवित कर दिया. घुश्मा ने शिवजी से प्रार्थना की, कि वह यहीं विराजमान हो जाएं. भगवान शिव ने उसकी बात मान ली और यहीं ज्योतिर्लिंग के तौर पर विराजमान हो गए.