नई दिल्‍ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय वाइन पर 200 फीसदी टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है। इससे अमेरिका में यूरोपीय वाइन की मांग खत्म हो सकती है। वाइन विक्रेताओं और आयातकों ने यह चिंता जताई है। ट्रंप ने यह कदम यूरोपीय संघ (ईयू) की ओर से अमेरिकी व्हिस्की पर 50 फीसदी शुल्क लगाए जाने के जवाब में उठाने की बात कही है। यूरोप को भी ट्रंप के कदमों से अपनी बर्बादी का एहसास होने लगा है। भारत से नजदीकी बढ़ाने की यही वजह है। अमेरिका के बाद यूरोपीय यूनियन (ईयू) भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है।अमेरिकी वाइन कारोबारियों के लिए भी यह एक बड़ा झटका हो सकता है। अगर यूरोपीय वाइन पर इतना भारी शुल्क लगाया गया तो अमेरिका में इसकी बिक्री लगभग बंद हो जाएगी। ग्राहक इतनी महंगी वाइन खरीदने को तैयार नहीं होंगे। न्यूजर्सी के वाइन स्ट्रीट इम्पोर्ट के सीईओ रोनी सैंडर्स ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि ग्राहक अपनी पसंदीदा वाइन या शैम्पेन के लिए दो से तीन गुना अधिक भुगतान करने के लिए तैयार हैं।’

अमेरिकी बाजार का बड़ा हिस्सा है यूरोपीय वाइन

यूरोपीय वाइन अमेरिकी वाइन बाजार का एक बड़ा हिस्सा है। आयातक अपने व्यवसाय के लिए इस पर काफी हद तक निर्भर हैं। अमेरिकी वाइन उत्पादन इतना नहीं है कि यूरोपीय वाइन की कमी को पूरा कर सके। इससे अमेरिकी वाइन विक्रेताओं को भारी नुकसान हो सकता है।

आईडब्ल्यूएसआर के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में अमेरिका में बिकने वाली कुल वाइन और स्पिरिट में यूरोपीय संघ (ईयू) का 17 फीसदी योगदान था। यूरोपीय संघ 27 देशों का समूह है। इससे पता चलता है कि अमेरिकी बाजार में यूरोपीय वाइन की कितनी बड़ी मांग है।

टैर‍िफ व‍िवाद पैदा कर रहा है तनाव

यह शुल्क विवाद अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच व्यापारिक तनाव को और बढ़ा सकता है। हालांकि, यह ट्रेड टेंशन ईयू को भारत के जरूर करीब ला रही है। भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) इस साल के अंत तक एक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं। इस समझौते से दुनियाभर में व्यापार बढ़ेगा। इसका दोनों अर्थव्यवस्थाओं को फायदा होगा।

यूरोपियन कमीशन की प्रेसिडेंट उर्सुला वॉन डेर लेयन इसे ‘दुनिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा सौदा’ बता चुकी हैं। यह समझौता कई सालों की बातचीत के बाद हो रहा है। दोनों पक्ष वैश्विक स्तर पर बढ़ते संरक्षणवाद और व्यापार शुल्कों के प्रभाव को कम करना चाहते हैं। खासकर ट्रंप की नई आर्थिक नीतियों को देखकर यह उन्‍हें इस दिशा में बढ़ने के लिए ज्‍यादा प्रोत्‍साहित कर रहा है। यह समझौता भू-राजनीतिक तनावों के आर्थिक जोखिमों को कम करने में भी मदद कर सकता है।

ईयू भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। 2023 में दोनों के बीच 124 अरब यूरो का व्यापार हुआ। यह भारत के कुल व्यापार का 12.2% है। ईयू और भारत के बीच सेवाओं का व्यापार 2023 में लगभग 60 अरब यूरो तक पहुंच गया, जो 2020 के स्तर से लगभग दोगुना है। इसमें एक तिहाई डिजिटल सेवाएं थीं। पिछले एक दशक में भारत और ईयू के बीच व्यापार लगभग 90% बढ़ा है। लेकिन, मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कई सालों से अटकी हुई थी। इसकी मुख्य वजह दोनों देशों के बीच, खासकर कृषि, ऑटोमोबाइल और फार्मास्‍यूटिकल सेक्‍टर को लेकर मतभेद थे।

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