
वन्य जीवों की गिनती करेगा श्रीलंका
श्रीलंका में पहली पशु जनगणना की तैयारी की जा रही है. इसमें हाथियों को छोड़कर टोक बंदरों, बैंगनी चेहरे वाले लंगूरों, विशाल गिलहरियों और मोरों की गिनती की जाएगी. अधिकारियों ने ये जानकारी दी. बताया जा रहा है कि शनिवार (15 मार्च) की सुबह 8 से 8:05 बजे के बीच इन जानवरों की जनगणना शुरू की जाएगी. इसका मकसद वार्षिक फसल क्षति पर मानव-वन्यजीव संघर्ष के प्रभाव का आकलन करना है.
अधिकारियों के मुताबिक यह प्रयास पूरे देश में मानव-वन्यजीव संघर्ष और वार्षिक फसल क्षति का आकलन करने की एक व्यापक पहल का हिस्सा है. उन्होंने बताया कि हाथियों को छोड़कर बीच टोक बंदरों, बैंगनी चेहरे वाले लंगूरों, विशाल गिलहरियों और मोरों की गिनती की जाएगी.
40,000 लोग होंगे तैनात
कृषि विभाग के विकास के लिए अतिरिक्त निदेशक जीवीवी शमिनी ने संवाददाताओं से कहा कि ‘हमें उम्मीद है कि हर कोई इस महत्वपूर्ण काम में भाग लेगा और अपना समर्थन देगा’. उन्होंने कहा कि देश भर में 14,200 से अधिक प्रशासनिक इकाइयों को कवर करने वाले करीब 40,000 राज्य अधिकारियों को जनगणना के लिए तैनात किया जाएगा.
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फसल के नुकसान का आकलन
वहीं कृषि मंत्रालय के निदेशक जे. पुष्पकुमारा ने कहा कि फसल के नुकसान का आकलन करने और पशुओं पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए आवश्यक कार्रवाई के लिए यह डेटा महत्वपूर्ण होगा. वार्षिक फसल नुकसान के बारे में पुष्पकुमारा ने 200 से अधिक कृषि क्षेत्रों में की गई 2022 की जनगणना का हवाला दिया और कहा कि पिछले छह महीनों के दौरान अनुमानित नुकसान 93 मिलियन नारियल, मक्का, सब्जियां और फलों की फसलें थीं, जो कि 30 बिलियन एसएलआर के बराबर है.
अधिकारियों ने कहा कि उन्हें जनगणना में 80 प्रतिशत सटीकता की उम्मीद है. अधिकारियों ने किसान संगठनों की आलोचना को खारिज कर दिया कि पांच मिनट की जनगणना एक दिखावा होगी. अधिकारियों ने कहा कि परिवारों को डेटा भरने के लिए एक फॉर्म दिया गया है.
कृषि उत्पादन का एक तिहाई हिस्सा होता है तबाह
बताया जा रहा है कि श्रीलंका में कुल कृषि उत्पादन का एक तिहाई हिस्सा वन्य जीव तबाह कर देते हैं. खेतों और बागानों में फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाले वन्य जीवों में जंगली सूअर, बंदर, मोर, लोरिस और हाथी शामिल हैं. हाथी श्रीलंका में संरक्षित वन्य जीवों की सूची में आते हैं और सामाजिक एवं धार्मिक नजरिए से पवित्र माने जाते हैं. यही वजह है कि इन्हें जनगणना से दूर रखा गया है.
श्रीलंका के कृषि मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि इस गणना के सहारे वन्य जीवों द्वारा फसलों को होने वाले नुकसान की रोकथाम के लिए टिकाऊ उपाय खोजने में मदद मिल सकेगी. हजारों अधिकारी और वॉलिंटियर्स 15 मार्च से शुरू हो रही इस वन्यजीव गणना के काम में जुटेंगे.