खाताधारकों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनके पैसे वापस नहीं मिल जाते, वे टंकी से नीचे नहीं उतरेंगे। उनका कहना है कि ‘ऊपर भूखे मर जाएंगे, लेकिन नीचे नहीं आएंगे’। इस आंदोलन का बैंक के पूर्व अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह रंधावा समर्थन कर रहे हैं। इधर एक खाताधारक सौरभ मोंगा ने बताया कि बैंक के बाहर उनका धरना 95 दिनों से चल रहा है, लेकिन अभी तक उनकी मांगें नहीं मानी गई हैं। लिहाजा , मजबूर होकर उन्हें पूर्व बैंक अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह रंधावा के नेतृत्व में पानी की टंकी पर चढ़ना पड़ा।
गबन को लेकर सामने आई थी यह रिपोर्ट
जांच अधिकारियों के अनुसार, बैंक में गबन का मुख्य कारण मियादी जमाओं के खिलाफ गलत तरीके से लोन बांटना था। समिति के कर्मचारियों ने जानबूझकर खाताधारकों की जमा पूंजी को गलत तरीके से लोन के रूप में बांट दिया। कई मामलों में मियादी जमा रसीदें मिनी बैंक के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं की गईं। कई खाताधारकों के नाम पर लोन बांटे गए, जिनके पास मियादी जमा की कोई रसीद ही नहीं थी।
आरोपियों के खिलाफ हुई यह कार्रवाई
जांच के बाद समिति के पूर्व व्यवस्थापक सुमेर सिंह, वर्तमान व्यवस्थापक बिशन पाल सिंह और पूर्व सहायक व्यवस्थापक ओमप्रकाश चुघ को गबन और अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार ठहराया गया। इन अधिकारियों ने अपने पदों का गलत इस्तेमाल किया और बैंक की गबन साजिश में साथ दिया। इनमें सुमेर सिंह की मौत हो चुकी है, ओमप्रकाश को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि बिशन पाल को अभी तक नहीं पकड़ा गया है। लेकिन इस साजिश का शिकार हुए लोग अभी भी अपने पैसों का इंतजार कर रहे हैं।
जानिए क्या है लोगों की पीड़ा
पीड़ित लोगों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे भूमि विकास बैंक के पूर्व अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह रंधावाने बताया कि किसी ने बच्चे की शादी, किसी ने बिजनेस शुरू करने तो किसी ने मकान बनाने के लिए बैंक में पैसे जमा किए थे। गांव की एक महिला है, उसके पति की करंट की चपेट में आने से मौत हो गई थी। उसे पांच लाख का मुआवजा मिला था। उसने भविष्य में बेटियों की शादी के लिए बैंक में पैसे जमा कराए थे। आज उसके पास शादी के लिए एक पैसा भी नहीं है। सभी लोग परेशान हैं।