भारत हमेशा से सर्व धर्म संभाव की धरती रहा है, जहां सभी धर्मों को समान सम्मान दिया जाता है। लेकिन कुछ कट्टरपंथी राजनीतिक ताकतें इस सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश करती हैं। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक ऐसी मिसाल सामने आई है, जो देश को मोहब्बत और भाईचारे का संदेश देती है।

यहां अवधपुरम कॉलोनी में एक ही स्थान पर एक ही दिन मुस्लिम समुदाय ने रोजा-इफ्तार और हिंदू समुदाय ने शिव आरती का आयोजन किया। दोनों धर्मों के लोगों ने मजहबी एकता की अनूठी परंपरा को आगे बढ़ाया और साबित किया कि भारत की संस्कृति का मूल आधार सद्भाव और भाईचारा ही है।

रमजान और शिव आरती एक साथ: सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल

लखनऊ की अवधपुरम कॉलोनी में स्थित बाबा अवदेश्वर नाथ मंदिर के सामने बने शिव वाटिका पार्क में इस रमजान के दौरान रोजा-इफ्तार और शिव आरती एक साथ हुई।

हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक शिव वाटिका

🔸 शिव वाटिका का नाम एक मुस्लिम व्यक्ति ने रखा था।
🔸 मंदिर के निर्माण में मुस्लिम समुदाय का भी योगदान रहा।
🔸 रोजा-इफ्तार के आयोजन के तुरंत बाद शिव आरती का आयोजन किया गया।
🔸 इस पूरी पहल में हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदायों ने मिलकर हिस्सा लिया।

अवधपुरम वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष राजेश तिवारी ने बताया कि यह आयोजन सिर्फ एक दिन का नहीं बल्कि वर्षों से चली आ रही आपसी भाईचारे की परंपरा का हिस्सा है।

इफ्तार के बाद आरती में शामिल होते हैं मुस्लिम समुदाय के लोग

अवध की गंगा-जमुनी तहजीब को जीने वाली इस कॉलोनी में ऐसा पहली बार नहीं हुआ।

क्या हुआ इस आयोजन में?

रमजान के पाक महीने में रोजेदारों के लिए पार्क में इफ्तार का आयोजन किया गया।
इफ्तार और नमाज के बाद मुस्लिम समुदाय के लोग शिव आरती में भी शामिल हुए।
पंडित उमेश मिश्रा ने शिव आरती की अगुवाई की।
सोसायटी के सचिव आरिफ अली सिद्दीकी ने आयोजन को भाईचारे का अनूठा उदाहरण बताया।

उन्होंने कहा,
“कुछ लोगों को यह देखकर हैरानी हो सकती है कि एक ही जगह रोजा-इफ्तार और शिव आरती हो रही है, लेकिन अवधपुरम यही भाईचारा सैकड़ों सालों से निभाता आ रहा है।”

हिंदू त्योहारों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं मुस्लिम भाई

यह सिर्फ रमजान तक ही सीमित नहीं है। हिंदू धर्म के पर्वों में भी मुस्लिम समुदाय सक्रिय भागीदारी निभाता है।

🔹 मुस्लिम समुदाय के लोग बड़े मंगल भंडारे में सेवा देते हैं।
🔹 दशहरा और माता रानी के जागरण में भी मुस्लिम भाई सहयोग करते हैं।
🔹 मंदिर के निर्माण में मुस्लिमों ने भी आर्थिक और श्रमदान किया।

राजेश तिवारी कहते हैं,
“हमने एक-दूसरे की खुशी और त्यौहारों को हमेशा अपना माना है। यह भाईचारा हमारी असली पहचान है।”

“मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना”

अवधपुरम में हिंदू-मुस्लिम एकता की यह अनोखी मिसाल इस बात को साबित करती है कि भारत की असली ताकत इसका भाईचारा है।

सोसायटी के सचिव आरिफ अली सिद्दीकी ने कहा,
“हम सब एक ही मिट्टी के बने हैं। जब हमें रोजा-इफ्तार के लिए यह पार्क मिल सकता है, तो क्या हम अपने हिंदू भाइयों की शिव आरती में शामिल नहीं हो सकते?”

उन्होंने आगे कहा कि इस आयोजन ने पूरे देश को यह संदेश दिया कि धर्म इंसान को तोड़ने के लिए नहीं बल्कि जोड़ने के लिए होता है।

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