
सुनीता विलियम्स
भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स 286 दिन अंतरिक्ष में बिताने के बाद धरती पर लौट रही हैं. उनके साथ बुच विल्मोर भी इस मिशन का हिस्सा थे. यह मिशन सिर्फ 8 दिनों का होना था, लेकिन तकनीकी दिक्कतों के कारण उनकी वापसी 9 महीने तक टल गई. इतने लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने के बाद वह किसी एक यात्रा में तीसरी सबसे ज्यादा समय बिताने वाली महिला बन गईं हैं.
नासा के अनुसार, 19 मार्च की सुबह 2:41 बजे स्पेसक्राफ्ट का इंजन डीऑर्बिट बर्न यानी पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलने की प्रक्रिया शुरू होगी. इसके बाद, अंतरिक्ष यान पृथ्वी के वातावरण में एंटर करेगा और फ्लोरिडा के तट पर लैंड करेगा. हालांकि, यह शेड्यूल मौसम के अनुसार बदल भी सकता है. उनकी धरती वापसी का सफर करीब 17 घंटे का होगा. इस ऐतिहासिक वापसी के साथ, एक बार फिर सुनीता विलियम्स चर्चा में हैं. आखिर, कैसे नासा में उनकी अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत हुई?
सुनीता का सफर: पढ़ाई से लेकर अंतरिक्ष तक
1965 में अमेरिका के ओहायो में जन्मी सुनीता विलियम्स के पिता दीपक पंड्या गुजरात के अहमदाबाद से थे. उनकी मां बोनी पंड्या अमेरिका में ही पली-बढ़ी थीं. सुनीता ने 1983 में नीडहम हाई स्कूल (मैसाचुसेट्स) से पढ़ाई पूरी की और 1987 में अमेरिकी नौसेना अकादमी से फिजिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद 1995 में उन्होंने फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री ली.
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नौसेना में शानदार करियर
सुनीता का करियर अमेरिकी नौसेना से शुरू हुआ. 1987 में उन्हें नौसेना में कमीशन मिला और उन्होंने हेलीकॉप्टर पायलट बनने की ट्रेनिंग ली. वह खाड़ी युद्ध (पर्शियन गल्फ वॉर) में शामिल हुईं, इराक में नो-फ्लाई ज़ोन लागू करने में मदद की और मियामी में आए हरिकेन एंड्रयू राहत मिशन में भी अहम भूमिका निभाई. उनकी उड़ान क्षमता और मुश्किल परिस्थितियों में काम करने की योग्यता ने नासा का ध्यान आकर्षित किया. और फिर जून 1998 में नासा ने सुनीता को चुना.
नासा ने क्यों चुना सुनीता विलियम्स को?
नासा में अंतरिक्ष यात्री बनना आसान नहीं होता. सुनीता को चुनने के पीछे कई वजहें थीं. पहला तो ये कि सुनीता ने नौसेना में पायलट रहते हुए कई महत्वपूर्ण मिशनों को पूरा किया था. वहीं उनकी मास्टर डिग्री और तकनीकी क्षमतओं ने उन्हें नासा के लिए परफेक्ट कैंडिडेट बनाया. नौसेना और राहत मिशनों में उनके टीम स्पिरिट ने दिखाया कि वो आईएसएस जैसे मिशनों के लिए फिट हैं.
अंतरिक्ष मिशनों के लिए शारीरिक और मानसिक सहनशक्ति भी बहुत जरूरी होती है, जिसमें वह शानदार थीं. नासा में चयन के बाद उन्होंने रोबोटिक्स शाखा में काम किया और आईएसएस के रोबोटिक आर्म व स्पेशल पर्पस डेक्सटेरस मैनिपुलेटर पर शोध किया. उन्होंने NASA के NEEMO2 मिशन में भाग लिया, जिसमें वह नौ दिनों तक पानी के अंदर एक्वेरियस हैबिटेट में रहीं और वैज्ञानिक रिसर्च किया. इससे साबित हुआ कि वो मुश्किल परिस्थितियों में खुद को ढाल सकती हैं.
अंतरिक्ष में शानदार रिकॉर्ड
सुनीता विलियम्स अब तक 9 बार स्पेसवॉक कर चुकी हैं और कुल 62 घंटे 6 मिनट अंतरिक्ष में चलने का रिकॉर्ड बनाया है. 286 दिन आईएसएस में बिताने के बाद वह किसी एक मिशन में सबसे अधिक समय बिताने वाली तीसरी महिला बन जाएंगी. उनसे ज्यादा समय सिर्फ क्रिस्टीना कोच (328 दिन) और पैगी व्हिटसन (289 दिन) ने बिताया है. आईएसएस में सबसे लंबे समय तक रहने का रिकॉर्ड फ्रैंक रूबियो (371 दिन) के नाम है, जबकि कुल मिलाकर सबसे ज्यादा 675 दिन बिताने का रिकॉर्ड पैगी व्हिटसन के पास है.