
19 मार्च 1279 को चीन में पूरी तरह से मंगोल शासन की शुरुआत हुई थी.
भारत में आजकल मुगल बादशाह औरंगजेब की खूब चर्चा हो रही है. मुगल वास्तव में मातृ पक्ष से मंगोल और पिता के पक्ष से तैमूर के वंशज थे. इन्हीं
चीन में सांग राजवंश ने तीन शताब्दी से भी अधिक समय तक शासन किया. सांग साम्राज्य की शुरुआत चीन में साल 960 में हुई थी. हालांकि, इस साम्राज्य को उत्तर और पश्चिम में लगातार गैर चीनी आक्रमणकारियों का सामना करना पड़ रहा था.
सालों की लड़ाई के बाद साल 1127 में Jurchen ने सांग साम्राज्य को दक्षिण तक सीमित कर दिया और उत्तर चीन में नए साम्राज्य की शुरुआत की. इसके बावजूद साम्राज्य पर बाहरी दबाव कम नहीं हुआ और साल 1200 की शुरुआत में मंगोल साम्राज्य की स्थापना करने वाले चंगेज खान की अगुवाई में साम्राज्य विस्तार पर निकले मंगोलों ने दक्षिण चीन पर हमले शुरू कर दिए.
मंगोलों ने चीन पर कई बार हमले किए
चंगेज खान मंगोलों का पहला महान खान यानी सार्वभौमिक शासक माना जाता है, जिसने एशिया के मैदानी इलाकों की खानाबदोश जनजातियों को एकजुट किया. उसने इन जनजातियों की एक समन्वित सेना तैयार की और एक-एक कर काला सागर से लेकर कोरियाई प्रायद्वीप तक एशिया पर अपना कब्जा स्थापित कर लिया. इसीलिए चंगेज खान को इतिहास में महान मिलिट्री जीनियस भी कहा जाता है. इन मंगोलों से चीन भी नहीं बच पाया और उस पर कब्जे के लिए मंगोलों ने साल 1205 से 1279 के बीच चीन के राजवंशों के खिलाफ कई बार हमले किए.
सांग शासक ने कुबलई खान के दूत को गिरफ्तार किया
मंगोलों ने कुबलई खान की अगुवाई में दक्षिणी सांग को भी डराना शुरू कर दिया. हालांकि, तब सांग साम्राज्य के पास मंगोलों से लड़ाई रोकने का एक मौका भी था. कुबलई खान ने शांति का प्रयास किया और इस बारे में चर्चा के लिए अपना एक दूत भी भेजा, जिसे सांग साम्राज्य के मुखिया ने गिरफ्तार करवा लिया. इससे कुबलई खान ने सांग साम्राज्य पर साल 1267 में हमले शुरू कर दिए.
पूरी तरह से मंगोलों के कब्जे में आया चीन
साल 1273 में Xiangyang पर कब्जे के बाद मंगोल Yangzi नदी तक पहुंच गए और उनके पास सांग साम्राज्य में विस्तार का रास्ता साफ हो गया. समय के साथ मंगोल ज्यादा से ज्यादा सांग साम्राज्य के क्षेत्रों पर कब्जा करते रहे और सांग शासक दक्षिण की ओर बढ़ते गए. अंतत: सांग शासक ने Guangzhou में शरण ली और फिर नाव से मुख्य भूमि छोड़कर आईलैंड पर चले गए.
मार्च 1279 में मंगोल नौसैनिकों ने सांग के दस्ते को घेर कर हरा दिया. अंतिम सांग प्रिंस लड़ाई के दौरान डूब गया. इसके बाद जल्द ही मंगोलों ने चीन के बचे हिस्से पर भी कब्जा कर लिया और इतिहास में पहली बार चीन पूरी तरह से विदेशी शासन के अधीन हो गया.
हालांकि, मंगोलों के खिलाफ चीन में विद्रोह भी पनपता रहा, इसलिए उनका शासन चीन में अधिक समय तक नहीं रहा. शूयुआन चैंग ने साल 1369 में मंगोलों की राजधानी बीजिंग पर कब्जा कर खुद को वहां का शासक घोषित कर दिया. इसके बाद समय ने करवट ली और चीन के शासकों ने इनर मंगोलिया तक अपने शासन का विस्तार कर लिया. जिन मंगोलों ने कभी चीन पर शासन किया था, उन पर चीन का शासन हो गया.
मंगोलों की ही देन है बीजिंग
चीन की राजधानी बीजिंग वास्तव में मंगोलों की ही देन है. मंगोलों ने चीन पर कब्जा किया तो राजधानी खारा खोरम में थी. यहां तक राशन और कपड़ों की आपूर्ति के लिए रोज करीब 500 गाड़ियां आवागमन करती थीं. कुबलई खान ने इसे राजधानी के लिए उपयुक्त नहीं माना और नई राजधानी का निर्माण किया. इसी को आज बीजिंग के रूप में जाना जाता है.
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