‘मेरा तोहफा तू कर ले कुबूल, माफ करना हुई मुझसे भूल, क्योंकि सोने पे छाई महंगाई, मैं चांदी ले आई…’, ये गाना करीब तीन दशक पुराना है. उस समय सोना (Gold) महंगा होने का हवाला देकर चांदी (Silver) लाने की बात कही जा रही है. लेकिन अब समय बदल चुका है, अब तो चांदी भी हाथ नहीं आने वाली है. 

दरअसल, सोना तो महंगा है ही, लेकिन अब चांदी की कीमतों में जबर्दस्त तेजी देखी जा रही है. चांदी का भाव 100000 रुपये प्रति किलो को पार कर चुका है. सोना भी प्रति 10 ग्राम 90000 रुपये के करीब पहुंच चुका है. लेकिन जिस तेजी से चांदी की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, उससे हर कोई हैरान हैं. यही नहीं, आने वाले वर्षों में भी चांदी की कीमतें थमने वाली नहीं है. क्योंकि ग्लोबल डिमांड बढ़ने वाली है. ज्वेलरी के साथ-साथ औद्योगिक इस्तेमाल में भी चांदी की जरूरत पड़ती है.

अब चांदी की कीमतों में भारी उछाल

सोना-चांदी निवेश का एक बेहतरीन विकल्प है. इस सोने तो संकट का सहारा कहा जाता है. लेकिन अब चांदी पर लोगों का ज्यादा फोकस है. लेकिन अब चांदी खरीदना भी हर किसी के लिए संभव नहीं है. एक किलो चांदी के लिए 1 लाख रुपये से ज्यादा चुकाने होंगे. 

पिछले एक साल में चांदी की कीमतों में खासी तेजी आई है. हालांकि चांदी की कीमत में पिछले 50 वर्षों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है. 70 के दशक में चांदी की कीमत काफी कम थी. साल 1975 में चांदी की औसत कीमत करीब 2000-2500 रुपये प्रति किलो थी. उस समय वैश्विक बाजार में चांदी की कीमत करीब 4-5 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस थी. 

आज की तारीख (19 मार्च 2025) को देखें तो भारत में चांदी की कीमत करीब 1 लाख रुपये प्रति किलो है. इसका मतलब है कि पिछले 50 वर्षों में चांदी की कीमत में नाममात्र रूप से (nominal terms) लगभग 40-50 गुना बढ़ोतरी हुई है. हालांकि भारत में पिछले 50 वर्षों में औसत मुद्रास्फीति दर 7-8% सालाना रही है. 

साल 2000 में चांदी की कीमत
साल 2000 में भारत में चांदी की औसत कीमत लगभग 5500 से 6000 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास थी. 

2000 के बाद से हर साल के भाव (अनुमानित औसत)
2001: 6,000 – 6,500 रुपये/किग्रा (कीमतों में मामूली वृद्धि, वैश्विक मंदी के बाद स्थिरता)
2002: 6,500 – 7,000 रुपये/किग्रा (हल्की बढ़ोतरी, औद्योगिक मांग में सुधार)
2003: 7,000 – 7,500 रुपये/किग्रा (वैश्विक आर्थिक सुधार का असर)
2004: 8,000 – 9,000 रुपये/किग्रा (कमोडिटी बाजार में तेजी शुरू)
2005: 9,500 – 10,500 रुपये/किग्रा (निवेश मांग बढ़ने से तेजी)
2006: 12,000 – 14,000 रुपये/किग्रा (कमोडिटी बूम का प्रभाव)
2007: 14,000 – 16,000 रुपये/किग्रा (वैश्विक कीमतों में उछाल)
2008: 18,000 – 20,000 रुपये/किग्रा (वित्तीय संकट के बीच सुरक्षित निवेश के रूप में मांग)
2009: 22,000 – 24,000 रुपये/किग्रा (संकट के बाद रिकवरी)
2010: 27,000 – 30,000 रुपये/किग्रा (चांदी की कीमतों में तेज उछाल)
2011: 50,000 – 55,000 रुपये/किग्रा (ऐतिहासिक ऊंचाई, वैश्विक निवेश मांग चरम पर)
2012: 55,000 – 58,000 रुपये/किग्रा (स्थिरता के साथ मामूली उतार-चढ़ाव)
2013: 45,000 – 50,000 रुपये/किग्रा (वैश्विक सुधार के बाद गिरावट)
2014: 40,000 – 43,000 रुपये/किग्रा (कीमतों में नरमी)
2015: 35,000 – 38,000 रुपये/किग्रा (कमजोर मांग और स्थिर बाजार)
2016: 40,000 – 42,000 रुपये/किग्रा (हल्की रिकवरी)
2017: 38,000 – 40,000 रुपये/किग्रा (स्थिर बाजार)
2018: 38,000 – 40,000 रुपये/किग्रा (मामूली उतार-चढ़ाव)
2019: 45,000 – 48,000 रुपये/किग्रा (वैश्विक अनिश्चितता से बढ़ोतरी)
2020: 60,000 – 65,000 रुपये/किग्रा (महामारी के बीच सुरक्षित निवेश के रूप में तेजी)
2021: 65,000 – 70,000 रुपये/किग्रा (उच्च स्तर पर स्थिरता)
2022: 60,000 – 65,000 रुपये/किग्रा (मुद्रास्फीति और भू-राजनीतिक तनाव का असर)
2023: 70,000 – 75,000 रुपये/किग्रा (लगातार बढ़ोतरी)
2024: 90,000 – 95,000 रुपये/किग्रा (औसत अनुमान, उच्च मांग और वैश्विक कीमतों का प्रभाव)
2025 (मार्च तक): 1,00,000 रुपये/किग्रा (19 मार्च 2025 तक)

बता दें, चांदी एक कीमती धातु है, जिसका मूल्य समय के साथ आमतौर पर बढ़ता है. जब करेंसी की कीमत घटती है (मुद्रास्फीति), तो चांदी जैसी संपत्ति आपके धन की सुरक्षा करती है. 

चांदी का उपयोग
चांदी का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर ऊर्जा (सोलर पैनल), चिकित्सा उपकरण और अन्य उद्योगों में बड़े पैमाने पर होता है. इसकी मांग बढ़ने से कीमतों में वृद्धि की संभावना रहती है. इसका उपयोग सर्किट बोर्ड, बैटरी, स्विच और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जाता है.

सोने से सस्ता विकल्प 
सोने की तुलना में चांदी सस्ती होती है, जिससे छोटे निवेशक भी इसे खरीद सकते हैं. यही नहीं, जब शेयर बाजार या अन्य निवेश अस्थिर होते हैं, तो लोग चांदी और सोने जैसी धातुओं की ओर रुख करते हैं, जिससे इसकी कीमत बढ़ सकती है. चांदी का उपयोग सिक्कों और बुलियन (bars) के रूप में मुद्रा और निवेश के लिए भी होता है. चांदी को आसानी से खरीदा-बेचा जा सकता है, चाहे सिक्कों, बार या ज्वेलरी के रूप में.

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