ईरान में बुरे फंस गए खामेनेई... अब घर में ही हिजाब को लेकर बढ़ा विवाद

सुप्रीम लीडर खामेनेई. (फाइल फोटो)

ईरान में सख्त हिजाब कानून को लेकर सत्ता के भीतर ही टकराव बढ़ता जा रहा है. सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई के फैसलों के खिलाफ कट्टरपंथी गुटों की नाराजगी सामने आ रही है. हिजाब कानून को लेकर देश के कट्टरपंथी नेताओं में फूट पड़ गई है.

संसद में मौजूद कट्टरपंथी धड़ के सीनियर सदस्य महमूद नबावियन ने हाल ही में इस कानून के सख्ती पर आलोचना की है. उनके बयान ने सत्ता के गलियारों में हलचल मचा दी है. उन्होंने संकेत दिए हैं कि अगर यह कानून देश में अस्थिरता बढ़ाता है, तो इसे स्थगित किया जा सकता है.

पार्टी के अंदर बढ़े मतभेद

ईरान में महिलाओं के लिए अनिवार्य हिजाब कानून लागू करने को लेकर आंतरिक कलह तेज हो गई है. संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति समिति के वरिष्ठ सदस्य महमूद नबावियन, जो अब तक सख्त हिजाब कानून के पक्षधर रहे हैं, अब इसके क्रियान्वयन पर सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि अगर इस कानून से देश की स्थिरता पर खतरा मंडराता है, तो इसे अस्थायी रूप से टाला जा सकता है. यह बयान कट्टरपंथी गुटों में मतभेद को दर्शाता है.

खामेनेई की चुप्पी से बढ़ी असमंजस की स्थिति

सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल (SNSC) ने फिलहाल हिजाब कानून को लागू न करने का फैसला किया है, जो खामेनेई की स्वीकृति के बिना संभव नहीं था. खामेनेई महीनों से इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं बोले हैं, जिससे सत्ता के भीतर तनाव और बढ़ गया है. कई नेता इसे कट्टरपंथियों की अवहेलना मान रहे हैं और सख्त रुख अपनाने की मांग कर रहे हैं.

राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर उठाए सवाल

नबावियन ने हाल ही में चेतावनी दी कि वर्तमान हालात में हिजाब कानून को लागू करने से देश के दुश्मनों को ईरान को अस्थिर करने का मौका मिल सकता है. उन्होंने सीरिया में बशर अल-असद की सत्ता को लेकर चल रहे संघर्ष और इजराइल द्वारा हिज़्बुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की हत्या जैसी घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि ईरान को इस समय अंदरूनी संघर्ष में नहीं पड़ना चाहिए.

सुपर-रिवोल्यूशनरी गुटों पर हमले

नबावियन ने कुछ अतिवादी कट्टरपंथियों को सुपर-रिवोल्यूशनरी करार देते हुए उन पर खामेनेई के आदेशों की अवहेलना करने का आरोप लगाया. उन्होंने कट्टरपंथियों की तुलना 1981 में खामेनेई पर जानलेवा हमला करने वाले ‘फोरकान ग्रुप’ से की. कट्टरपंथी धड़ों ने कोविड वैक्सीनेशन और इज़राइल के खिलाफ जवाबी हमले में देरी जैसे मामलों पर भी खामेनेई की नीतियों पर सवाल उठाए थे.

ईरान की राजनीतिक स्थिरता दांव पर

विश्लेषकों का मानना है कि ईरान में सत्ता के भीतर बढ़ते मतभेदों से राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है. अगर हिजाब को लेकर कट्टरपंथी गुटों ने सड़कों पर प्रदर्शन किए, तो यह 2017 के मशहद विरोध प्रदर्शनों जैसा व्यापक जनांदोलन बन सकता है. उस समय प्रदर्शनकारियों ने सीधे खामेनेई के खिलाफ नारेबाजी की थी. मौजूदा हालात में, सरकार के भीतर के मतभेद ईरान की स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं.

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