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निखिल कामथ: ‘जेरोधा’ के सह-संस्थापक निखिल कामथ ने हाल ही में सिंगापुर की खाद्य संस्कृति के बारे में कुछ ऐसा कहा, जिससे सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। यह मामला अभिनेत्री करीना कपूर की आहार विशेषज्ञ रुजुता दिवेकर के संज्ञान में आया है, जिन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से कामथ के बयान पर हमला बोला है। आइये जानें इस विवाद का कारण क्या है।

निखिल कामथ ने क्या कहा? 

वित्तीय सेवा स्टॉकब्रोकर जीरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ ने हाल ही में सिंगापुर का दौरा किया। अपनी यात्रा के अनुभव साझा करते हुए उन्होंने लिखा, ‘मैं पिछले सप्ताह सिंगापुर में था। वहां जिन लोगों से मैं मिला, उन्होंने मुझे बताया कि वे घर पर कभी खाना नहीं बनाते, कुछ लोगों के घरों में तो रसोई भी नहीं है। लोग बाहर जाकर रेस्तरां में खाना खाते हैं, या बाहर से खाना मंगवाकर अपने घर तक मंगवाते हैं। अगर यह (बाहर खाने का) चलन भारत में भी आ गया तो यह रेस्तरां व्यवसाय के लिए ‘स्वर्ण युग’ साबित हो सकता है।’

 

रुजुता दिवेकर ने विरोध किया।

करीना कपूर की डायटीशियन रुजुता दिवेकर ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, ‘अमीर लड़कों की बातों पर ध्यान मत दीजिए।’ घर का बना खाना खाना स्वास्थ्यवर्धक आदत है। ऐसा करने से न केवल शरीर बीमारियों से सुरक्षित रहता है, बल्कि इससे लोगों में प्रेम भी बढ़ता है और समाज मजबूत होता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी उम्र, लिंग या आय क्या है, आपको खाना बनाना सीखना चाहिए और नियमित रूप से पका हुआ खाना खाना चाहिए।’

सोशल मीडिया पर चर्चा चल रही है।

निखिल कामथ और रुजुता दिवेकर के इन बयानों के बाद सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर गरमागरम बहस छिड़ गई है। अधिकांश लोगों ने दिवेकर के बयान का समर्थन किया है और कामथ की आलोचना की है। 

कुछ उपयोगकर्ताओं ने तर्क दिया कि ‘सिंगापुर की संस्कृति भारत से अलग है। यहां लगभग 121 सरकारी ‘हॉकर सेंटर’ हैं, जिनमें 6,000 खाद्य दुकानें हैं। वहां के लोग किफायती दामों पर पौष्टिक भोजन खाते हैं।’

 

कई यूजर्स ने भारत में इस प्रवृत्ति को अपनाने को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया है। उन्होंने कहा, “नियमित रूप से रेस्तरां का खाना खाने से मोटापा, मधुमेह, हृदय संबंधी समस्याएं और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।” 

कुछ यूजर्स ने कहा, ‘भारत में बाहर खाना खाना आर्थिक और सांस्कृतिक दोनों ही दृष्टिकोण से अच्छा नहीं है।’ एक यूजर ने लिखा, ‘घर का बना खाना भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा है और निकट भविष्य में इसमें कोई बदलाव नहीं होने वाला है।’

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