मियाजाकी आम कोई साधारण फल नहीं है। इसे दुनिया के सबसे महंगे फलों में गिना जाता है, और इसकी कीमत ₹2.5 से ₹3 लाख प्रति किलो तक पहुंच सकती है। जापान के मियाजाकी प्रान्त में उगने वाले इस आम की पहचान उसके गहरे लाल रंग, मिठास से भरे गूदे और फूल जैसी सुगंध से होती है। इसका स्वाद इतना अलग और लाजवाब होता है कि इसे ‘एग ऑफ सनशाइन’ यानी “सूरज की संतान” भी कहा जाता है।
यह आम सिर्फ कीमत में ही खास नहीं, बल्कि इसका टेक्सचर, सुगंध और पौष्टिकता भी इसे अन्य फलों से अलग बनाते हैं। इसमें बीटा-कैरोटीन और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर होते हैं, जो इसे सेहत के लिहाज़ से भी बेहतरीन बनाते हैं।
जापान से भारत तक: आम की यह अनोखी यात्रा
जापान की जलवायु और सटीक तापमान इस आम की खेती के लिए आदर्श माने जाते हैं। इसलिए इसे कहीं और उगाना बेहद मुश्किल होता है। लेकिन कुछ सालों में भारत के कुछ उत्साही किसानों ने इस चुनौती को स्वीकारा और इसमें सफलता पाई। भारत में मियाजाकी आम के पौधों को उगाने के कुछ दुर्लभ उदाहरणों में सबसे ताज़ा नाम है उडुपी के किसान जोसेफ लोबो का।
जोसेफ लोबो: एक आम किसान की खास कहानी
उडुपी में छत पर उगी खास किस्म
जोसेफ लोबो कोई बड़े ज़मींदार नहीं, बल्कि एक साधारण किसान हैं, जो शौकिया तौर पर अपने घर की छत पर बागवानी करते हैं। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनके टेरेस गार्डन में उगने वाला एक आम उन्हें सुर्खियों में ला देगा। उन्होंने मियाजाकी आम का पौधा महज़ एक प्रयोग के तौर पर लगाया था।
शुरुआत में उन्हें इस पौधे की असली पहचान नहीं थी। जब आम पका और उन्होंने अपने परिवार के साथ इसका स्वाद चखा, तो उन्हें पता ही नहीं था कि वे दुनिया के सबसे महंगे आम का स्वाद ले रहे हैं।
कैसे मिली पहचान इस दुर्लभ फल की?
एक दिन एक स्थानीय रिपोर्टर ने जोसेफ के गार्डन में इस आम को देखा और तुरंत उसकी दुर्लभता पहचान ली। रिपोर्टर की रिपोर्ट के बाद जोसेफ लोबो और उनका टेरेस गार्डन खबरों में आ गया। देखते ही देखते उनकी कहानी वायरल हो गई और अब वह न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय मीडिया में भी चर्चा का विषय बन गए।
अब उनका गार्डन दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा बन चुका है। वे न सिर्फ मियाजाकी आम की खेती कर रहे हैं, बल्कि अन्य किसानों को भी इसे उगाने की तकनीक सिखा रहे हैं।
मियाजाकी आम उगाने की स्टेप-बाय-स्टेप गाइड
सही पौधे का चयन कैसे करें?
अगर आप भी अपने घर की छत पर मियाजाकी आम उगाना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको एक स्वस्थ और प्रमाणित पौधा चुनना होगा। यह आम किसी भी साधारण नर्सरी में नहीं मिलता, इसलिए आपको किसी विश्वसनीय स्रोत से इसका पौधा प्राप्त करना होगा।
जोसेफ लोबो ने इसे एक सामान्य आम की तरह उगाया था, लेकिन आप अगर जानबूझकर इसे उगाना चाहते हैं, तो शुरुआत से ही बड़े गमले या ग्रो बैग का इस्तेमाल करें। इससे जड़ों को भरपूर जगह मिलेगी और पौधा तेजी से बढ़ेगा। कोशिश करें कि गमला कम से कम 30 से 40 लीटर क्षमता का हो।
मिट्टी की तैयारी में क्या खास हो?
मियाजाकी आम की ग्रोथ का सबसे बड़ा राज उसकी मिट्टी होती है। जोसेफ लोबो का स्पेशल मिक्स उनकी सबसे बड़ी ताकत रही है। वे जैविक मिश्रण तैयार करते हैं जिसमें होता है:
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गाय का गोबर
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भेड़ की खाद
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दही
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सब्जियों के किचन वेस्ट
इस मिश्रण में ज़रूरी 9 खनिज होते हैं जो आम के पौधे को जल्दी फल देने में मदद करते हैं। आप भी इस तरह का मिश्रण 50% जैविक खाद और 50% बगीचे की सामान्य मिट्टी के साथ मिलाकर तैयार कर सकते हैं।
पौधारोपण से लेकर देखभाल तक
कैसे करें पौधे की शुरुआत?
मिट्टी तैयार करने के बाद, पौधे को गमले में लगाएं। इसे बहुत गहराई में न लगाएं, जड़ें हल्के से ढकी रहें। शुरुआत के दिनों में नियमित पानी देना बेहद ज़रूरी होता है। खासतौर पर गर्मियों में सुबह और शाम दोनों समय थोड़ा-थोड़ा पानी दें।
ध्यान रहे कि गमले में ड्रेनेज हो, ताकि अतिरिक्त पानी जमा न हो और जड़ें सड़ने न लगें। एक और ज़रूरी बात – शुरुआत में पौधे को बहुत ज्यादा धूप या बारिश से बचाएं। धीरे-धीरे जब पौधा मजबूत हो जाए, तो उसे खुली धूप में रखें।
धूप और पानी का संतुलन
मियाजाकी आम को अच्छी ग्रोथ के लिए रोज़ाना 6-7 घंटे की धूप चाहिए होती है। लोबो का पौधा टेरेस पर था, इसलिए उसे भरपूर धूप मिली और उसकी ग्रोथ शानदार रही। साथ ही, पानी का संतुलन बनाए रखना भी उतना ही ज़रूरी है।
ज़्यादा पानी देने से पौधे की जड़ें गल सकती हैं, वहीं कम पानी से वह सूख सकता है। इसलिए सबसे बेहतर तरीका है कि मिट्टी को हाथ से जांचें – अगर वह ऊपर से सूखी लगे, तभी पानी दें।