एप्रेजल के सीजन में कर्नाटक सरकार ने अपना एप्रेजल कर लिया है. ये एप्रेजल कोई 10 या 20 परसेंट नहीं हुआ है. बल्कि पूरे 100 परसेंट हुआ है. विकास कार्यों के लिए फंड की कमी का रोना रोने वाले इस राज्य में मुख्यमंत्री, स्पीकर, मंत्री और विधायकों की सैलरी सीधे-सीधे डबल हो गई है. 

मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायकों की सैलरी बढ़ाने के लिए गृह मंत्री जी परमेश्वर ने बढ़ती महंगाई का हवाला दिया है. 

गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा, “इसका औचित्य यह है कि अन्य लोगों के साथ-साथ उनका खर्च भी बढ़ रहा है. आम आदमी भी परेशान है और विधायक भी परेशान हैं. इसलिए विधायकों और अन्य लोगों की ओर से सिफारिशें आई हैं और इसीलिए मुख्यमंत्री ने यह निर्णय लिया है. सभी को खर्चे चलाने हैं और मुख्यमंत्री किसी न किसी खाते से यह पैसा देने का प्रबंध करेंगे.”

गौरतलब है कि सैलरी में 100 फीसदी की बंपर बढ़ोतरी का कर्नाटक सरकार का ये कदम तब सामने आया है जब राज्य सरकार विकास कार्यों के लिए लगातार फंड की कमी का हवाला देती रही है.  

कर्नाटक के विधायक देश में सबसे अमीर

इसके अलावा एक गैर सरकारी संस्था के अध्ययन में कहा गया है कि कर्नाटक के विधायक देश में सबसे ज्यादा धनी हैं. 

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने कहा है कि कर्नाटक के 100 विधायक की संपत्ति 100-100 करोड़ से ज्यादा है. इस तरह से कर्नाटक के विधायक देश में सबसे ज्यादा अमीर हैं.

भारत के टॉप 10 सबसे अमीर विधायकों में से चार कर्नाटक से हैं. 

कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डी के शिवकुमार 1413 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ देश के दूसरे सबसे धनी विधायक हैं. पहले नंबर पर महाराष्ट्र के घाटकोपर पूर्व से बीजेपी विधायक पराग शाह हैं. 

रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि भारत के 119 अरबपति विधायकों में से 76 (63 प्रतिशत) सिर्फ तीन राज्यों कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र से हैं.

विधायक अमीर, सरकार गरीब

लेकिन ये विडंबना है कि रईस जनप्रतिनिधियों वाले कर्नाटक में सरकार विकास कार्यों के लिए फंड की कमी का रोना रोती है. 

कुछ ही महीने पहले कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा था कि राज्य में विकास कार्यों के लिए पैसा नहीं है. क्योंकि राज्य सरकार ने चुनाव के दौरान किए गए 5 वादों को पूरा करने के लिए 40 हजार करोड़ का आवंटन कर दिया है. इसके बाद राज्य सरकार के पास विकास कार्यों के लिए पैसे की किल्लत हो गई है. 

डीके शिवकुमार ने ये टिप्पणी तब की थी जब कांग्रेस विधायकों ने अपने क्षेत्र के विकास के लिए सरकार से पैसा न मिलने पर नाराजगी जताई थी. 

दिसंबर 2023 में कर्नाटक सरकार ने घोषणा की कि राज्य को अपनी उधारी बढ़ानी पड़ सकती है, क्योंकि गारंटी योजनाओं के चलते विकास कार्यों के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध नहीं था.

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 2023-24 के बजट में ₹85,818 करोड़ की उधारी का अनुमान लगाया था, और यह संकेत दिया था कि विकास कार्यों को प्राथमिकता देने में देरी हो सकती है. 

दो बिल लाकर सैलरी बढ़ाने का फैसला

मु्ख्यमंत्री, स्पीकर, मंत्री और विधायकों की सैलरी बढ़ाने के लिए कर्नाटक सरकार दो बिल लेकर आई है. ये बिल हैं- कर्नाटक मिनिस्टर्स सैलरीज एंड अलाउंस (अमेंडमेंट) बिल 2025 और कर्नाटक लेजिस्लेचर्स मेंबर्स सैलरीज, पेंशन एंड अलाउंस ((अमेंडमेंट) बिल 2025. ये दोनों ही बिल विधानसभा से पास हो गए हैं. 

इस बिल के पास होने से विधायकों और विधान पार्षदों का वेतन 40 हजार से बढ़कर 80 हजार रुपया हो गया है. 

मंत्रियों का वेतन 60 हजार से बढ़कर 1.25 लाख हो गया है. जबकि मुख्यमंत्री की सैलरी 75 हजार रुपये से बढ़कर 1.5 लाख रुपये हो गई है. 

कर्नाटक के राज्य मंत्री एमबी पाटिल ने भी वेतन वृद्धि का समर्थन करते हुए कहा कि एक स्वतंत्र समिति की सिफारिश ने इस निर्णय को उचित ठहराया है. पाटिल ने से कहा, “विधायकों के वेतन और भत्ते में वृद्धि में कुछ भी गलत नहीं है, अगर हम इसे स्वयं करते हैं तो यह उचित नहीं है; इसीलिए एक समिति है जिसने सिफारिश की है.

एमबी पाटिल ने कहा कि आप उदाहरण लें, प्रधानमंत्री, मंत्री और सांसद दुनिया में सबसे अधिक वेतन पाते हैं. जो उन्हें बहुत स्वतंत्र बनाता है, भ्रष्ट नहीं. हम अपने वेतन की तुलना सिंगापुर से नहीं कर सकते हैं, लेकिन फिर भी उचित वेतन दिया जाना चाहिए.”

बता दें कि सैलरी बढ़ाने को लेकर आए इस बिल का बीजेपी ने भी कोई विरोध नहीं किया. विधायकों की सैलरी बढ़ने से राज्य सरकार पर हर साल 10 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा.

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