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डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका में फेडरल कर्मचारियों की संख्या कम करने की नीति अपनाई है। खासतौर पर प्रोबेशन पीरियड में काम करने वाले कर्मचारियों को बड़ी संख्या में नौकरी से निकाला जा रहा है। इस फैसले का असर केवल अमेरिकी प्रशासन पर ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महसूस किया जा रहा है।

रूस और चीन, जो लंबे समय से अमेरिका की खुफिया और सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखे हुए हैं, अब इस स्थिति को अपने हित में भुनाने की कोशिश कर रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, इन देशों की खुफिया एजेंसियां हाल ही में निकाले गए अमेरिकी फेडरल कर्मचारियों को अपनी टीम में शामिल करने के लिए आक्रामक रणनीति अपना रही हैं।

रूस और चीन की बढ़ती दिलचस्पी

CNN की एक रिपोर्ट में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की इंटरनल असेसमेंट का हवाला देते हुए यह दावा किया गया कि रूस और चीन, विशेष रूप से उन पूर्व फेडरल कर्मचारियों को टारगेट कर रहे हैं, जिनके पास सिक्योरिटी क्लीयरेंस है।

सूत्रों के मुताबिक, प्रोबेशनरी वर्कर्स, जिन्हें जल्द ही नौकरी खोने का डर है, भी इस टारगेटिंग का हिस्सा हैं। यह कर्मचारी अमेरिकी सरकार के महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर, डिफेंस स्ट्रेटेजी और सुरक्षा एजेंसियों की कार्यप्रणाली के बारे में बेशकीमती जानकारी रखते हैं।

किन कर्मचारियों को निशाना बनाया जा रहा है?

  • सिक्योरिटी क्लीयरेंस वाले पूर्व फेडरल कर्मचारी
  • रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विभागों में काम करने वाले लोग
  • संवेदनशील सरकारी एजेंसियों के पूर्व कर्मचारी
  • नवीनतम छंटनी की चपेट में आए कर्मचारी

खुफिया सूत्रों ने यह भी बताया कि कम से कम दो विदेशी देश लिंक्डइन और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से रिक्रूटमेंट कर रहे हैं। रूस और चीन की खुफिया एजेंसियां ऑनलाइन जॉब पोर्टल्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर संभावित भर्तियों तक पहुंच बना रही हैं।

डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर विदेशी खुफिया एजेंसियों की सक्रियता

CNN के मुताबिक, अमेरिकी नौसेना अपराध जांच सेवा (NCIS) के एक डॉक्युमेंट में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि अमेरिका के विरोधी इस छंटनी का फायदा उठाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का बढ़ता उपयोग:

  • लिंक्डइन: पेशेवर नेटवर्किंग के माध्यम से टारगेट
  • टिकटॉक: विशेष रूप से युवा फेडरल कर्मचारियों को प्रभावित करने के लिए
  • रेडनोट और रेडिट: गुप्त समूहों के माध्यम से संभावित रिक्रूट्स को जोड़ने के लिए

NCIS की रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी एजेंसियां सक्रिय रूप से निकाले गए कर्मचारियों को अपनी टीम में भर्ती करने के लिए प्रयासरत हैं।

क्या अमेरिकी कर्मचारी सबसे कमजोर स्थिति में हैं?

CNN से बातचीत में एक अमेरिकी खुफिया अधिकारी ने बताया, “विदेशी ताकतें मानती हैं कि इस समय अमेरिकी कर्मचारी सबसे कमजोर स्थिति में हैं। वे नौकरी से बाहर हैं और निराश भी। ऐसे में उन्हें लालच देना और अपने पक्ष में करना आसान हो सकता है।”

एक अन्य सूत्र के अनुसार, “अमेरिकी फेडरल सिस्टम में लंबे समय तक काम करने वाले और गहरी संस्थागत जानकारी रखने वाले कर्मचारी विदेशी एजेंसियों के लिए हाई-वैल्यू टारगेट्स हैं।”

इस स्थिति ने अमेरिकी सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है।

चीन की प्रतिक्रिया: रिपोर्ट्स को बताया बेबुनियाद

जब इस मुद्दे पर चीन से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो अमेरिका स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंग्यू ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया।

उन्होंने कहा, “चीन हमेशा आपसी सम्मान और एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में दखल न देने की नीति पर काम करता रहा है। हम बिना किसी सबूत के चीन को लेकर लगाए गए इन बेबुनियाद आरोपों का पूरी तरह विरोध करते हैं।”

हालांकि, अमेरिकी खुफिया एजेंसियां इन रिपोर्ट्स को गंभीरता से ले रही हैं और इस पर कड़ी निगरानी रख रही हैं।

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