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Lottery winner: कासरगोड में एक फार्मासिस्ट ने गलती से अपना लॉटरी टिकट कूड़ेदान में फेंक दिया, जो 1 लाख रुपये का विजेता निकला. दुकान मालिक ने ईमानदारी दिखाते हुए टिकट लौटाया, जिससे उनकी सच्चाई की मिसाल बन गई

प्रतीकात्कम तस्वीर
गुरुकासरगोड के कन्हानगढ़ निवासी फार्मासिस्ट रघु कन्नन ने विन विन लॉटरी में एक लाख रुपये का तीसरा पुरस्कार जीता, लेकिन उन्हें यह अंदाजा भी नहीं था कि उनका भाग्य बदलने वाला है. उन्होंने सोचा कि उनके द्वारा खरीदा गया टिकट किसी भी इनाम के लिए योग्य नहीं है और इसे कन्हानगढ़ की एक लॉटरी दुकान के कूड़ेदान में फेंक दिया. हालांकि, ईमानदारी की मिसाल कायम करते हुए दुकान मालिक ने टिकट वापस लौटाकर सबका दिल जीत लिया.
रविवार की छुट्टी पर खरीदा था लकी टिकट
रघु हर रविवार को लॉटरी टिकट खरीदते हैं क्योंकि यह उनका छुट्टी का दिन होता है. उनका विश्वास है कि 45 और 12 पर समाप्त होने वाले नंबर उनके लिए भाग्यशाली होते हैं, इसलिए उन्होंने उस दिन भी इसी तरह के दो टिकट खरीदे थे. उन्होंने टिकट विक्रेता कृष्णन पोय्याक्कारा से टिकट खरीदा और अपने भाग्य को आजमाने का फैसला किया.
बिना जांचे टिकट को समझ लिया बेकार
24 फरवरी को जब विन विन लॉटरी का ड्रा निकला तो रघु के पास मौजूद टिकट नंबर WF437045 को एक लाख रुपये का तीसरा पुरस्कार मिला. लेकिन रघु को इसका पता नहीं चला. शाम को जब वे अपने टिकट चेक करने के लिए कन्हानगढ़ कस्बे में ‘सैम सैम लॉटरी’ की दुकान पहुंचे, तो उन्होंने यह देखने के लिए जांच की कि क्या उनका नंबर विजेता सूची में है. लेकिन उन्हें वह टिकट नहीं मिला और निराशा में उन्होंने उसे दुकान के कूड़ेदान में डाल दिया.
सीसीटीवी से हुआ बड़ा खुलासा
रघु ने टिकट को ध्यान से नहीं देखा था और सिर्फ 5,000 रुपये और उससे कम के पुरस्कारों को ही चेक किया था. इसके अलावा, जब उन्होंने तीसरे पुरस्कार विजेता के नंबरों को देखा, तो उन्हें लगा कि उनका टिकट सूची में नहीं है क्योंकि कासरगोड के बजाय यह नंबर कन्नूर जिले का बताया गया था. हालांकि, लॉटरी दुकान के मालिक ने अपनी सूझबूझ से दुकान के सीसीटीवी फुटेज को खंगाला और दो कूड़ेदानों की जांच की, जिससे उन्हें वह टिकट मिल गया जो रघु ने फेंक दिया था.
ईमानदारी की मिसाल बना दुकान मालिक
टिकट मिलने के बाद दुकान मालिक ने बिना किसी लालच के रघु को उसका लॉटरी टिकट लौटा दिया. इस ईमानदारी भरे कदम की हर कोई तारीफ कर रहा है. इस घटना ने यह साबित कर दिया कि आज भी दुनिया में सच्चाई और ईमानदारी जिंदा है. अगर दुकान मालिक चाहते तो इस टिकट से खुद इनाम प्राप्त कर सकते थे, लेकिन उन्होंने सच्चाई की राह अपनाई और टिकट के असली मालिक तक उसे पहुंचाया.
March 04, 2025, 20:43 IST
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