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Mughal Emperor Akbar: दिल्ली में अकबर रोड पर महाराणा प्रताप का पोस्टर चस्पा कर विरोध किया गया. जबकि सभी मुगल बादशाहों में अकबर को सहिष्णु और धर्मनिरपेक्ष शासक माना जाता है. उन्होंने ‘सुलहकुल’ का विचार दिया और …और पढ़ें

अकबर ने हिन्दू-मुस्लिम संप्रदायों के बीच की दूरियां कम करने के लिए दीन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की.
हाइलाइट्स
- अकबर रोड पर महाराणा प्रताप का पोस्टर चस्पा कर विरोध किया गया
- अकबर को मुगलों मेें सबसे सहिष्णु और धर्मनिरपेक्ष शासक माना जाता है
- अकबर ने ‘सुलहकुल’ का विचार दिया और सभी धर्मों का सम्मान किया
Mughal Emperor Akbar: पहले मुगल बादशाह औरंगजेब के नाम पर महाराष्ट्र में बवाल हुआ. अब बादशाह अकबर की बारी है. दिल्ली में अकबर रोड के नाम पर विरोध प्रदर्शन हुआ. बुधवार की रात अकबर रोड के साइन बोर्ड पर कालिख पोत दी गई और उस पर महाराणा प्रताप का पोस्टर चस्पा कर दिया. यानी अब मुगल बादशाहों के नाम पर दिल्ली में भी विवाद शुरू हो गया है.
अकबर को भारत में भव्य मुगल साम्राज्य की स्थापना करने वाला एक महान शासक माना जाता है. अकबर को सभी मुगल सम्राटों में सबसे महान माना जाता है तो इसके पीछे कुछ कारण थे. उनका व्यक्तित्व महान था, उनकी राजनीतिक और सैन्य उपलब्धियां बेजोड़ थीं. अन्य धर्मों, विशेष रूप से हिंदुओं के प्रति उन्होंने जो राज्य की धार्मिक नीति अपनाई, वह उदार और सहिष्णु थीं. अकबर को उनके अजेय सैन्य अभियान के लिए भी याद किया जाता है. भारतीय उपमहाद्वीप में अकबर ने मुगल शासन को उसके ऐतिहासिक विस्तार और प्रसार के साथ न केवल स्थापित किया बल्कि और मजबूत किया.
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13 साल की उम्र में संभाली गद्दी
अकबर की उम्र महज 13 साल थी जब उन्होंने राजगद्दी संभाली थी. अकबर का राज्याभिषेक 14 फरवरी 1556 को पंजाब के कलानौर में हुआ था. अकबर में एक व्यक्ति के तौर पर कई गुण थे. हालांकि वह एक मुसलमान थे, लेकिन उनका साम्राज्य कभी इस्लामी नहीं था. उन्होंने कई हिंदू राजकुमारियों से शादी की और वह बहुत सहिष्णु व्यक्ति थे. अकबर को उनकी सहिष्णु, धर्मनिरपेक्ष और उदार राज्य नीति के आधार पर ‘महान’ की उपाधि दी गई. इसलिए, वह राष्ट्रीय राजा का आदर्श उदाहरण हैं. अकबर ने साम्राज्य की एकता बनाए रखने के लिए ऐसी नीतियां अपनाईं, जिनसे गैर मुसलमानों की राजभक्ति जीती जा सके. अकबर ने अपने शासनकाल में सभी धर्मों का सम्मान किया था.
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दिया ‘सुलहकुल’ का विचार
अकबर ने भारतीय संस्कृति को आत्मसात किया और ‘सुलहकुल’ के विचार को बढ़ावा दिया. हालांकि वो बाबर के वंशज थे, लेकिन उन्होंने भारत को अपनी मातृभूमि बनाया और इस तरह ‘भारतीयकरण’ किया. पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू अकबर की सफलता को “अद्भुत” बताते हुए निष्कर्ष निकालते हैं कि अकबर ने “उत्तर और मध्य भारत के विविध इलाकों के बीच एकता की भावना पैदा की.” अकबर ने हिन्दू-मुस्लिम संप्रदायों के बीच की दूरियां कम करने के लिए दीन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की. इसमें सभी धर्मों की बेहतरीन चीजों का समावेश था. अकबर ने युद्ध के कैदियों को गुलाम बनाने, उनकी पत्नियों और बच्चों को बेचने की पुरानी प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया.
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सूर्य और अग्नि की पूजा
अकबर के काल को हिंदी साहित्य का स्वर्ण काल कहा जाता है. उन्होंने एक बेहतरीन पुस्तकालय स्थापित किया था. इसमें संस्कृत, हिंदुस्तानी, फारसी, यूनानी, लातिन, अरबी और कश्मीरी की 24 हजार से ज्यादा पुस्तकें थीं. उन्होंने हिंदू धार्मिक यात्राओं पर लगने वाले टैक्स और जजिया (गैर मुस्लिमों पर लगने वाला टैक्स) को खत्म कर दिया था. अकबर के दौर के इतिहासकार मुल्ला अब्दुल कादिर बदायूंनी के अनुसार, मुगल सम्राट अकबर पर उनके हिंदू मंत्री बीरबल का बहुत प्रभाव था. बदायूंनी लिखते हैं, ‘बीरबल ने सम्राट अकबर को सूर्य और अग्नि की पूजा के लिए तैयार कर लिया था.’ बदायूंनी के मुताबिक, अकबर जल, पत्थर, पेड़ और सभी प्राकृतिक तत्वों की पूजा करने लगा था. यहां तक कि अकबर गाय के सामने झुककर नमन करता था और गाय के गोबर को भी खास दर्जा देता था. बीरबल ने अकबर को सूर्य की पूजा करने के लिए प्रोत्साहित किया. बीरबल ने अकबर को तर्क दिया कि सूर्य सभी को रोशनी देता है और सभी फलों, फूलों और पृथ्वी के उत्पादों को पकाने में मदद करता है. सूर्य मानव को जीवित रखने में मदद करता है इसलिए सूर्य की पूजा की जानी चाहिए.
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गंगा जल ही पीते थे अकबर
अकबर के बारे में एक तथ्य ऐसा भी है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. अकबर पीने के लिए केवल गंगा जल की ही इस्तेमाल करते थे. ऐतिहासिक स्रोतों से इस बात की पुष्टि होती है कि अकबर गंगा जल की शुद्धता और उससे स्वास्थ्य को होने वाले लाभ के बारे में बखूबी परिचित थे. उन्होंने अपना खाना पकाने, नहाने और अन्य कामों के लिए जमुना और चिनाब जैसी नदियों के पानी का भी उपयोग किया, मगर पीने के लिए वह केवल गंगाजल का ही इस्तेमाल करते रहे.