कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू के बीच हाल ही में एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति में कटौती को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी बहस देखने को मिली। खरगे ने मोदी सरकार पर इन समुदायों के लिए दी जाने वाली छात्रवृत्ति में कटौती का आरोप लगाया, जबकि रिजिजू ने इन दावों को नकारते हुए कहा कि सरकार ने छात्रवृत्तियों में 3 गुना वृद्धि की है।
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खरगे का आरोप: कमजोर वर्ग के छात्रों से छीनी जा रही छात्रवृत्ति
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया पर लिखा,
“नरेंद्र मोदी जी, SC, ST, OBC और अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्तियां आपकी सरकार ने हथिया ली हैं। सरकारी आंकड़ों से साफ है कि मोदी सरकार ने न केवल लाभार्थियों की संख्या घटाई है बल्कि औसतन साल-दर-साल 25% फंड भी कम खर्च किया है।”
खरगे ने सरकार की “सबका साथ, सबका विकास” नीति को कमजोर वर्गों के अरमानों का मज़ाक बताया।
रिजिजू का पलटवार: सरकार ने छात्रवृत्ति में किया तीन गुना इजाफा
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने खरगे के आरोपों को गलत बताते हुए सोशल मीडिया पर लिखा,
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने अल्पसंख्यकों को पहले से कहीं अधिक सशक्त बनाया है। अधिक छात्रवृत्ति, अधिक अवसर, अधिक पारदर्शिता।”
उन्होंने दावा किया कि पिछले 10 वर्षों में अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति में तीन गुना वृद्धि हुई है और आधार आधारित प्रमाणीकरण से भ्रष्टाचार पर रोक लगी है।
बजट में की गई कटौती? रिपोर्ट्स का दावा
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बजट 2025 में आदिवासी और अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति योजनाओं में भारी कटौती की गई है।
- राष्ट्रीय फैलोशिप और छात्रवृत्ति (एसटी छात्रों के लिए): 99.99% की कटौती
- राष्ट्रीय विदेशी छात्रवृत्ति योजना: 99.8% की कटौती
- अल्पसंख्यक प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति: 72.4% की कटौती
- अल्पसंख्यक पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति: 69.9% की कटौती
इस मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच तकरार बढ़ती जा रही है। देखना होगा कि सरकार इस विवाद पर क्या रुख अपनाती है।