जनता की हुंकार, ढोल रहा सिंहासन...आखिर एक मेयर से क्यों खौफ खा रहे मुस्लिम देशों के 'चौधरी' एर्दोगन?

इस्तांबुल मेयर इक्रेम इमामोगलू

तुर्की पुलिस ने बुधवार को इस्तांबुल के मेयर इक्रेम इमामोगलू को गिरफ्तार किया, वह राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी हैं. उन्हें कथित भ्रष्टाचार और आतंकी संबंधों की जांच के तहत गिरफ्तार किया गया है. इमामोग्लू की गिरफ्तारी के बाद से ही देश भर में विरोध देखने को मिल रहा है. हजारों की संख्या में लोग सड़क पर उतर कर सरकार के खिलाफ विरोध कर रहे हैं. देश में हालात अब इतने बिगड़ गए हैं कि तुर्की के प्रशासन ने पिछले दिनों देश में अगले 4 दिनों तक किसी भी तरह के प्रदर्शन करने पर प्रतिबंध लगाया था.

शुक्रवार देर रात इस्तांबुल में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान की चेतावनी को दरकिनार करते हुए जबरदस्त प्रदर्शन किया. ऐसा कहा जा रहा है कि इस तरह का प्रदर्शन तुर्की में एक दशक बाद देखने को मिल रहा है.

क्या है तुर्की का हालिया विवाद?

तुर्की में विपक्षी नेता ने एर्दोगान पर सवाल उठा रहे हैं कि वे अपनी विपक्षी नेताओं से घबरा गए हैं, इसलिए उन्होंने इक्रेम इमामोगलू को गिरफ्तार किया है. इक्रेम इस समय इस्तांबुल के मेयर हैं और विपक्ष के सबसे मजबूत चेहरे हैं. इकराम की पार्टी सीपीसी 23 मार्च को एक कांग्रेस करने वाली थी, जिसमें उन्हें विपक्ष की और से राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया जाना तय था. ऐसे में उनकी गिरफ्तारी पर सवाल उठाए जा रहे हैं.

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तुर्की में भी 2028 में चुनाव हैं, इक्रेम इमामोअलु की लोकप्रियता उनके लिए भविष्य में चुनौती हो सकती है, इसलिए अब देखना होगा कि रेचेप तैयप एर्दोगान इस बार सत्ता में काबिज रह पाएंगे या नहीं.

देश में सत्ता विरोधी लहर तेज

पूरे देश में एर्दोगन के दो दशकों से भी ज्यादा लंबे शासन के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर तेज हो रही है, तुर्की के लोकप्रिय और दो बार के मेयर इमामोग्लू, को अगले कुछ दिनों में उनके रिपब्लिकन पीपल्स पार्टी (CHP) के आधिकारिक राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में घोषित किया जाना था. इमामोग्लू कई सर्वेक्षणों में एर्दोगन से आगे चल रहे हैं. ऐसे में उनकी गिरफ्तारी के कारण भारी विरोध देखने को मिल रहा है.

तुर्की में अगला राष्ट्रपति चुनाव 2028 में होना है, लेकिन एर्दोगन पहले ही राष्ट्रपति के रूप में अपने दो बार के कार्यकाल की सीमा तक पहुंच चुके हैं. कई लोग इस गिरफ्तारी को एक लोकप्रिय विपक्षी नेता और एर्दोगन के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी को अगले राष्ट्रपति पद की दौड़ में हटाने के लिए राजनीतिक रूप से प्रेरित प्रयास के रूप में देखते हैं.

देश में फिर 2013 जैसा विरोध प्रदर्शन

मीडिया की माने तो भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर इमामोग्लू से पुलिस ने चार घंटे तक पूछताछ की, जिसके दौरान उन्होंने सभी आरोपों से इनकार किया. शनिवार शाम को अभियोजकों की तरफ से पूछताछ के लिए उन्हें न्यायालय में ट्रांसफर किए जाने की उम्मीद थी. उनकी गिरफ्तारी ने 2013 के बाद से सबसे बड़े विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया है, जब तुर्की में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए थे, जिसमें आठ लोग मारे गए थे.

खुद फंस गए रेसेप तैयप एर्दोगन?

तुर्की के खलीफा रेसेप तैयप एर्दोगन पिछले कुछ सालों से दुनिया के अन्य देशों की राजनीति में दखल देते नजर आए हैं. कई बार खलीफा एर्दोगन अपने आप को मुस्लिम वर्ल्ड का लीडर साबित करने की कोशिश भी की है. गाजा हो या फिर सीरिया हर देश के मसले पर उन्होंने दखल देने की कोशिश की है. इस बीच खुद को बड़ा दिखाने के चक्कर में खलीफा खुद मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे हैं. यही कारण है कि वे अपने विपक्षी नेताओं और उनको टक्कर देने वाले हर नेता को गिरफ्तार करवा रहे हैं.

ऐसा करने के पीछे का साफ संदेश है कि वे किसी को भी अपने सामने खड़ा नहीं होने देना चाहते हैं. उनको डर है अगर ऐसे हालात रहे तो आने वाले समय में उन्हें अपनी कुर्सी से भी हाथ धोना पड़ सकता है. इस बात को और बल इसलिए भी मिल रहा है कि क्योंकि जनता अब बगावत पर उतर आई है. हालांकि यह पहली घटना नहीं है जब एर्दोगान सरकार के विरोध-प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा है.

तुर्की आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा- एर्दोगान

विपक्षी नेता ओजगुर ओज़ेल ने कहा कि यह कोई सीएचपी रैली नहीं है, यहां सभी दलों के लोग हैं और वे मेयर इमामोग्लू के साथ एकजुटता दिखाने और लोकतंत्र के लिए खड़े होने आए हैं. उन्होंने कहा कि एर्दोगान जुडीशरी की मदद से इमामोग्लू का हाथ मरोड़ना चाहते हैं. वह इसे एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं.

जैसे-जैसे प्रोटेस्ट बढ़ा है तो एर्दोगान का इस मामले में बयान आया है. उन्होंने कहा है कि तुर्की गलियों के आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा.

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