ट्रंप ने अप्रवासियों को अल साल्वाडोर जेल भेजकर भारी कीमत क्यों चुकाई? जहां कैदियों की रूह कांप जाती है

ट्रंप ने 200 विदेशी नागरिकों को अल साल्वाडोर की जेल भेज दिया है.Image Credit source: Handout/Presidencia El Salvador via Getty Images

अमेरिका में राष्ट्रपति के रूप में दूसरा कार्यकाल संभालने के साथ ही डोनाल्ड ट्रंप ने अवैध रूप से देश में रह रहे लोगों को उनके देश वापस भेजना शुरू कर दिया. इसी कड़ी में एक और फैसला लेते हुए उन्होंने 200 विदेशी नागरिकों को अल साल्वाडोर की जेल भेज दिया है. ये सभी वेनेजुएला के नागरिक हैं, जिन्हें अल साल्वाडोर की जेल में रखने के लिए अमेरिका को 6 मिलियन डॉलर चुकाने होंगे. आइए जान लेते हैं कि इन अप्रवासियों को रखने के लिए ट्रंप ने अल साल्वाडोर की जेल को क्यों चुना?

दरअसल, ट्रंप का दावा है कि अल साल्वाडोर जेल भेजे गए सभी लोगों वेनेजुएला के गिरोह ट्रेन डी अरागुआ के सदस्य हैं. यह गिरोह अमेरिका पर हमले कर रहा है. इसलिए उन्होंने साल 1798 के एलियन एनीमीज एक्ट लागू कर दिया. यह कानून अमेरिकी राष्ट्रपति को विदेशियों के निर्वासन में तेजी लाने के लिए नीतिगत और कार्यकारी कार्रवाई की व्यापक छूट देता है. हालांकि, अमेरिका के इतिहास में इस कानून का इस्तेमाल केवल तीन बार किया गया है. केवल युद्ध के दौरान तीनों बार इसका इस्तेमाल हुआ है.

पहली बार इस कानून का इस्तेमाल दूसरे विश्व के दौरान किया गया था. तब जर्मनी और इटली के लोगों को कैद करने और जापान व अमेरिका के लोगों को सामूहिक रूप से नजरबंद रखने के लिए इसका प्रयोग हुआ था.

अपने लोगों को वापस नहीं लेती वेनेजुएला की सरकार

अब बड़ा सवाल यह है कि वेनेजुएला के नागरिकों को उनके देश के बजाय अल साल्वाडोर डिपोर्टेशन क्यों किया जा रहा है, जबकि इसके लिए अमेरिका को अच्छी-खासी रकम भी देनी पड़ रही है. इसके कई कारण हैं. एक अहम कारण यह है कि वेनेजुएला की सरकार अधिकतर मामलों में अपने देश के नागरिकों को दूसरे देश से वापस लेने से मना कर देती है. विशेष रूप से अमेरिका से अगर लोग वापस भेजे जा रहे हों तो वेनेजुएला की सरकार उनको वापस नहीं लेती है, क्यों इन दोनों देशों में काफी समय से रिश्ते खराब हैं.

अमेरिका पर अंदरूनी मामलों में घुसपैठ का आरोप

वेनेजुएला की सरकार अमेरिका पर आरोप लगाती रही है कि वह देश के अंदरूनी मामलों में दखल देता है. इसलिए वेनेजुएला सरकार व्हाइट हाउस की हर मांग को ठुकराती रही है. यही नहीं, वेनेजुएला अगर अमेरिका से डिपोर्ट किए गए अपने नागरिकों को वापस ले ले तो यह भी संदेश जाएगा अपने ही नागरिकों पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है. वेनेजुएला की सरकार पहले ही तमाम अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं का सामना कर रही है. इसलिए किसी और विवाद से बचने के लिए वह यही दर्शाती है कि अमेरिका से निर्वासित किए जाने वाले लोग उसके नागरिक हैं ही नहीं. एक अहम कारण अपने लोगों को वापस नहीं लेने का यह भी है कि अमेरिका अगर लाखों लोगों को वेनेजुएला वापस भेजता रहा तो वह और कमजोर हो जाएगा, क्योंकि अपने देश में मौजूद लोगों के लिए ही वहां की सरकार के पास संसाधन नहीं हैं.

ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप के पास दो ही विकल्प थे. एक तो यह कि इन लोगों को अपने ही देश में कहीं रखे या फिर किसी दूसरे देश शिफ्ट कर दे. इसीलिए अमेरिका ने अल साल्वाडोर जेल जैसी सख्त पाबंदियों वाले स्थान को चुना. इन डिपोर्ट किए गए लोगों को एक साल तक वहां रखने के लिए ट्रंप भारी भरकम रकम इसीलिए चुका रहे हैं, जिससे बाहरी दुनिया से इनका संपर्क कट जाए. ये किसी तरह से फिर अमेरिका में घुसकर अपराधों को अंजाम न दे सकें.

El Salvador Prison Pic

अल साल्वाडोर की एक सेल में 65 से 70 कैदी रखे जाते हैं. फोटो: Alex Peña/Getty Images

मिलने-जुलने और बाहर निकलने की अनुमति नहीं

अल साल्वाडोर में साल 2023 में राष्ट्रपति Nayib Bukel ने इस जेल यानी टेरोरिज्म कन्फाइनमेंट सेंटर (Terrorism Confinement Center) की शुरुआत की थी. यह जेल अल साल्वाडोर की राजधानी से करीब 72 किलोमीटर की दूरी पर स्थित Tecoluca में बनाई गई है. यहां पर एक साथ 40 हजार बंदियों को रखा जा सकता है. इसकी एक सेल में 65 से 70 कैदी रखे जाते हैं. इन कैदियों को किसी बाहरी से मिलने की इजाजत नहीं होती और न ही ये बाहर जा सकते हैं. जेल से निकलकर समाज में रहने लायक बनाने के लिए इन कैदियों के लिए किसी तरह के शैक्षणिक कार्यक्रम या कार्यशाला आदि का भी आयोजन नहीं किया जाता है. अल साल्वाडोर की सरकार का मानना है कि इस जेल में बंद किए गए लोग कभी बाहरी दुनिया में जा ही नहीं पाएंगे. इसलिए इनके लिए किसी तरह का उपाय करना बेकार है.

मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाले संगठन क्रिस्टोसल ( Cristosal) ने दावा किया था कि मार्च 2024 में अल साल्वाडोर जेल में 110000 लोगों को बंद किया जा चुका था, जबकि इसकी क्षमता 40 हजार बंदियों की ही है. क्रिस्टोसल और दूसरे मानवाधिकार संगठन आरोप लगाते रहे हैं कि इस जेल में मानवाधिकारों का हनन किया जाता है.

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