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तमिलनाडु की डीएमके पार्टी ने परिसीमन के खिलाफ विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है, जिसमें चार मुख्यमंत्री और अन्य नेता शामिल हो रहे हैं. ममता बनर्जी की टीएमसी ने इस बैठक में भाग नहीं लिया.

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परिसीमन पर विपक्ष की बैठक से ममता ने दूरी बना ली हैं.

हाइलाइट्स

  • डीएमके ने परिसीमन के खिलाफ विपक्षी दलों की बैठक बुलाई.
  • ममता बनर्जी की टीएमसी ने बैठक में भाग नहीं लिया.
  • बैठक में चार मुख्यमंत्री और अन्य नेता शामिल हो रहे हैं.

देश में परिसीमन का मुद्दा जोर पकड़ रहा है. दक्षिण के राज्य इस परिसीमन में संघीय ढांचे में अपना कमजोर प्रतिनिधित्व देख रहे हैं. ऐसे में उन्होंने इसके खिलाफ मुहिम छेड़ दी है. इस मुहिम की अगुवाई तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी डीएमके कर रही है. डीएमके ने शनिवार को परिसीमन पर विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है. इस बैठक में चार मुख्यमंत्री, बीजेडी और बीआरएस के नेता शामिल हो रहे हैं, लेकिन सबसे मजेदार बात यह है कि कल तक मुद्दे में घी डालने का काम कर रहीं पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी बैठक में शामिल नहीं हो रही हैं. उनकी पार्टी का कोई नेता भी इस बैठक में नहीं है.

विपक्षी एकता दिखाने के लिए, केरल, तेलंगाना और पंजाब के मुख्यमंत्रियों- पिनराई विजयन, ए रेवंत रेड्डी और भगवंत मान के साथ-साथ कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और बीजू जनता दल (बीजेडी) व भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के सीनियर नेता शनिवार को चेन्नई में डीएमके की ओर से आयोजित ‘निष्पक्ष परिसीमन’ पर पहली संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) की बैठक में शामिल हो रहे हैं. पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को भी न्योता दिया गया था, लेकिन उसने कोई प्रतिनिधि नहीं भेजने का फैसला किया है. टीएमसी भी इस मुद्दे पर स्टालिन के साथ हां में हां मिलाती रही है. लेकिन, इस बैठक में किसी प्रतिनिधि के शामिल नहीं होने से गठबंधन में खटपट की बात कही जा रही है.

परिसीमन के खिलाफ विरोध
चेन्नई में यह बैठक संसदीय परिसीमन के खिलाफ बढ़ते क्षेत्रीय विरोध के बीच हो रही है. दक्षिणी और पूर्वी राज्यों को डर है कि यह संघीय सिद्धांतों को कमजोर करेगा और कुछ राज्यों का प्रतिनिधित्व अनुचित रूप से कम कर देगा.

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने यह पहल की है. उनका कहना है कि यह बैठक भारतीय संघवाद के लिए ऐतिहासिक दिन होगी. शुक्रवार को सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक वीडियो संदेश में स्टालिन ने कहा कि जिन राज्यों ने जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित किया और राष्ट्र की प्रगति में योगदान दिया, उन्हें परिसीमन की गलत प्रक्रिया से दंडित नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह भारत में संघवाद की नींव को हिला देगा और लोकतंत्र के सार को कमजोर करेगा.

परिसीमन टालने की मांग
जेएसी की बैठक शनिवार सुबह 10 बजे चेन्नई के आईटीसी ग्रैंड चोला होटल में शुरू होगी और दोपहर तक चलेगी. इसके बाद सभी नेता साथ में दोपहर का भोजन करेंगे. इस मीटिंग का मुख्य मुद्दा 1971 की जनगणना पर आधारित मौजूदा परिसीमन ढांचे को 2026 के बाद 30 सालों के लिए बढ़ाने की मांग है. स्टालिन ने शुक्रवार को कहा कि तमिलनाडु की पहल अब राष्ट्रीय आंदोलन बन गई है. देश भर के राज्य निष्पक्ष प्रतिनिधित्व की मांग के लिए एकजुट हो रहे हैं. यह सिर्फ एक बैठक नहीं, बल्कि हमारे देश के भविष्य को आकार देने वाला आंदोलन है.

इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि बैठक में परिसीमन के प्रभाव को रोकने के लिए एकजुट कानूनी और राजनीतिक रणनीति पर चर्चा होगी. इसमें संवैधानिक चुनौतियां, सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं और विपक्षी इंडिया गठबंधन के जरिए इसे राष्ट्रीय स्तर पर उठाने को लेकर भी बात होगी. स्टालिन ने कहा कि निष्पक्ष परिसीमन सिर्फ सांसदों की संख्या का सवाल नहीं है. यह हमारे राज्यों के अधिकारों की बात है. संसद में हमारी आवाज दबाई जाएगी. हमारे अधिकार छिन जाएंगे. यह कुछ राज्यों को कमजोर करने की साजिश है.

तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने इसे संघीय समानता की लड़ाई बताया. कर्नाटक के डिप्टी सीए शिवकुमार ने कहा कि यह मुद्दा पार्टी से ऊपर है और इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर बातचीत जरूरी है. टीएमसी और बीजेडी ने भी चिंता जताई है. दक्षिण में केवल आंध्र प्रदेश शामिल नहीं होगा, क्योंकि वहां के सीएम चंद्रबाबू नायडू बीजेपी के सहयोगी हैं.

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