दिवाली (Diwali) के मौके पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अंदर प्रदूषण में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. राजधानी के प्रदूषण मापक स्टेशनों पर पॉल्यूशन लेवल में खास बढ़ोतरी देखी गई. दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (DPCC) के रियल टाइम आंकड़ों से पता चलता है कि शाम 5 बजे के बाद तमाम इलाकों में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. ज्यादातर स्टेशनों पर शाम 5 बजे 100 माइक्रोग्राम/मीटर क्यूब से कम सांद्रता होती है, जो रात 8 बजे तक 300-400 से ज्यादा हो जाती है.
दिल्ली के आरके पुरम, ओखला, जहांगीरपुरी, पूसा, नेहरू नगर और पटपड़गंज जैसे कुछ प्रमुख स्टेशन हैं, जहां दिवाली के पटाखे जलाने के शुरुआती घंटों में पीएम 2.5 की सांद्रता में भारी बढ़ोतरी हुई.
एजेंसी के मुताबिक, शहर का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) शाम चार बजे 328 दर्ज किया गया, जो बुधवार को 307 था.
लगातार खराब हो रही दिल्ली की हवा
दिल्ली की वायु गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है, दिवाली के दिन यह “बहुत खराब” श्रेणी में रही, रात में पटाखे फोड़ने के कारण इसके “गंभीर” श्रेणी में पहुंचने की आशंका है. दिल्ली में गुरुवार सुबह से ही आसमान में धुंध की मोटी चादर देखी गई. आनंद विहार इलाके में हवा बहुत प्रदूषित थी और AQI “गंभीर” श्रेणी में था. सुबह 8 बजे, आनंद विहार का औसत AQI (PM10) 419 दर्ज किया गया, जबकि अधिकतम 500 था. हर साल, दिल्ली का आसमान पटाखों की आवाज से गूंजता है, जो पूरे शहर में फूटते हैं.
दिल्ली सरकार ने पटाखों के निर्माण, स्टोरेज, बिक्री और उपयोग पर व्यापक प्रतिबंध लगा दिया है. दिवाली की पूर्व संध्या पर, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने ऐलान किया था कि राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों पर प्रतिबंध को लागू करने के लिए 377 टीमें बनाई गई हैं.
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क्या कहते हैं आंकड़े?
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2023 में दिल्ली के निवासियों ने दिवाली पर साफ आसमान और भरपूर धूप का आनंद लिया, जिसमें AQI 218 रहा, जबकि 2022 में यह 312, 2021 में 382, 2020 में 414, 2019 में 337, 2018 में 281, 2017 में 319 और 2016 में 431 रहा.
पिछले साल, पराली जलाने की घटनाओं में कमी और दिवाली से पहले बारिश के साथ-साथ अनुकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों ने त्योहार के बाद राष्ट्रीय राजधानी को गैस चैंबर में बदलने से रोका. आंकड़ों के मुताबिक, दोपहर 3 बजे प्रदूषक PM2.5 का स्तर 145 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया.