
200 चीनी नागरिकों को साइबर ठगी केंद्रों से बचाया गया
सुदूर दक्षिण-पूर्व एशिया में एक ऐसा इलाका है, जिसे दुनिया के सबसे बड़े साइबर ठगी केंद्र के रूप में जाना जाता है. म्यांमार-थाईलैंड सीमा पर स्थित मायावाडी क्षेत्र पिछले कई वर्षों से साइबर अपराधियों का अड्डा बना हुआ था. यहां से ऑनलाइन ठगी के बड़े नेटवर्क संचालित किए जाते थे, जहां इंसानों को बंधुआ मजदूर की तरह रखा जाता था. लेकिन अब इस अड्डे पर शिकंजा कसा जा रहा है.
म्यांमार के कयन राज्य में स्थित मायावाडी, थाईलैंड की सीमा से सटा हुआ एक महत्वपूर्ण इलाका है. यह क्षेत्र लंबे समय से संगठित अपराध और ऑनलाइन धोखाधड़ी के लिए कुख्यात रहा है. गुरुवार को, 200 चीनी नागरिकों को इस क्षेत्र के साइबर ठगी केंद्रों से बचाया गया और थाईलैंड के रास्ते उनके वतन वापस भेज दिया गया. यह कदम एक अंतरराष्ट्रीय प्रयास का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य इन ऑनलाइन ठग गिरोहों के चंगुल से लोगों को छुड़ाना है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, हजारों लोगों को धोखे से इन केंद्रों में लाया गया और अवैध ऑनलाइन अपराधों में धकेल दिया गया.
कैसे चलता था यह साइबर क्राइम सिंडिकेट?
मायावाडी से संचालित इस अपराध सिंडिकेट में लोगों को अच्छी नौकरियों का लालच देकर बुलाया जाता था, फिर उन्हें जबरन ऑनलाइन ठगी करने के लिए मजबूर किया जाता था. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कई पीड़ितों ने बताया कि जब उन्होंने इन अपराधों में शामिल होने से इनकार किया तो उन्हें शारीरिक प्रताड़ना दी गई. उन्हें पीटा गया, भूखा रखा गया और यहां तक कि इलेक्ट्रिक शॉक भी दिए गए.
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चीन-थाईलैंड-म्यांमार का साझा ऑपरेशन
इस बड़े अपराध सिंडिकेट को खत्म करने के लिए चीन, थाईलैंड और म्यांमार की सरकारें मिलकर काम कर रही हैं. इस हफ्ते के अंत तक कुल 600 चीनी नागरिकों को इन साइबर ठगी केंद्रों से छुड़ाकर उनके देश वापस भेजा जाएगा. थाईलैंड के उप-प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री फूमथम वेचयाचाई ने कहा है कि इस ऑपरेशन की सफलता के लिए तीनों देशों का सहयोग जरूरी है. अगले हफ्ते इस विषय पर तीनों देशों के अधिकारी एक विशेष बैठक करेंगे.
साइबर ठगी के पर्दाफाश की शुरुआत
हाल ही में इस ठगी नेटवर्क पर तब ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा, जब चीनी अभिनेता वांग ज़िंग इस गिरोह के चंगुल में फंस गए. उन्हें एक फर्जी फिल्म प्रोजेक्ट के बहाने मायावाडी बुलाया गया था. उनकी गुमशुदगी के बाद मामला तूल पकड़ गया और साइबर ठगी के इस काले साम्राज्य पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ गया. इस घटना के बाद, चीन में करीब 1,800 परिवारों ने अपने लापता प्रियजनों के नाम सरकार को सौंपे, जिनके बारे में माना जा रहा था कि वे इसी तरह के अपराध गिरोहों में फंसे हुए थे.
कितने साइबर अपराधियों पर कसा शिकंजा?
म्यांमार की सेना, जो 2021 के तख्तापलट के बाद से खुद कई संघर्षों का सामना कर रही है, अब इस ऑपरेशन में सहयोग कर रही है. हाल ही में मायावाडी इलाके से 1,500 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया, जिनमें से 250 को बुधवार को गिरफ्तार किया गया.
थाईलैंड के प्रधानमंत्री पैटोंगटार्न शिनावात्रा के अनुसार, अब तक म्यांमार में इन साइबर ठगी केंद्रों से करीब 7,000 लोगों को बचाया जा चुका है और वे थाईलैंड में प्रत्यर्पण प्रक्रिया का इंतजार कर रहे हैं. यह ऑपरेशन दिखाता है कि कैसे संगठित अपराध से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत होती है. मायावाडी जो कभी साइबर ठगों के लिए स्वर्ग था अब कानून के शिकंजे में आ रहा है.