गाजियाबाद: खुद को 1979 बैच का सेवानिवृत्त आईपीएस बता पुलिस अधिकारियों पर दबाव बनाकर काम कराने वाले फर्जी आईपीएस के मामले का पुलिस ने गुरुवार को खुलासा किया है। साहिबाबाद पुलिस ने फर्जी आईपीएस अनिल कटियाल (68) और उसके साथी विनोद कपूर (69) को गिरफ्तार किया है।अतिरिक्त पुलिस आयुक्त दिनेश कुमार पी. ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पूछताछ में खुलासा हुआ है कि अनिल कटियाल के देश के कई आईपीएस से संपर्क थे, जिनके नाम लेकर वह अन्य शहरों के आईपीएस से मिलता है और उनसे अच्छे संबंध बताकर काम कराता है।

वॉट्सऐप चैट से खुलासा

अनिल के मोबाइल से मिली वॉट्सएप चैट से पता चला है कि हाल ही में वह दुबई की जेल में बंद रियल एस्टेट कारोबारी राज साहनी उर्फ बलविंदर साहनी उर्फ अबू साबा और उसके दोनों बेटे को जेल से छुड़वाने का प्रयास कर रहा था। इसके लिए वह कई आईपीएस के जरिये विदेश मंत्रालय में संपर्क कर रहा था। अनिल ने कई ई-मेल वॉट्सएप मेसेज भी मंत्रालय को किए हैं।

नई दिल्‍ली का रहने वाला है

अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ने बताया कि अनिल कटियाल नई दिल्ली के जीके फर्स्ट और विनोद कपूर हरियाणा गुरुग्राम के डीएलएफ फेस-3 का रहने वाला है। पूछताछ में सामने आया कि अनिल की विनोद से 15 दिन पहले गुरविंदर सिंह के माध्यम से मुलाकात हुई थी।

विनोद कंस्ट्रक्शन कंपनी चलाता है और उसने दावा किया है कि उसने देश में 10 से ज्यादा एयरपोर्ट व एयरबेस बनाए हैं। गुरविंदर दुबई में ट्रेडिंग का काम करता है। अनिल कटियाल की गुरविंदर सिंह से मुलाकात दुबई के रियल एस्टेट कारोबारी राज साहनी के माध्यम से हुई।

दुबई के अरबपति कारोबारी को जेल से छुड़ाना था

राज साहनी दुबई का अरबपति रियल एस्टेट कारोबारी है जो अपने दोनों बेटे साबाह सिंह साहनी और सुमित साहनी के साथ फरवरी 2024 से 100 मिलियन यूएई डॉलर की धोखाधड़ी के मामले में जेल में बंद है। पुलिस का कहना है कि मामले में गहनता से जांच की जा रही है कि अनिल ने किस शर्त पर राज साहनी को जेल से छुड़वाने में मदद करने का ठेका लिया था।

विदेश मंत्री को कॉलेज का सहपाठी बताया

वॉट्सएप चैट से सामने आया कि अनिल ने विदेश मंत्रालय में ई-मेल और मेसेज करके विदेश मंत्री को अपने कॉलेज का सहपाठी बताते हुए उनसे भी अपॉइंटमेंट लेने का प्रयास किया। उनसे मिलने का मकसद दुबई के कारोबारी राज साहनी और उसके बेटों को जेल से छुड़वाने में मदद करना सामने आया है। वहीं, एटीएस कंट्रोल रूम में कॉल करके खुद को सेवानिवृत्त आईपीएस बताकर गाजियाबाद पुलिस आयुक्त का नंबर लिया।

दिल्ली में बार का लाइसेंस बनवाया

वॉट्सएप चैट से पता चला कि हाल ही में अनिल ने स्वयं को 1979 बैच का सेवानिवृत्त आईपीएस बताकर एक निजी कंपनी के लिए बार का लाइसेंस बनवाया। ऐसे ही दिल्ली के आरटीओ, आबकारी विभाग के अधिकारियों को सेवानिवृत्त आईपीएस बताकर कई बार लाभ उठा चुका है।

कई राज्यों के पुलिस अधिकारियों ने गाजियाबाद पुलिस को बताया कि आरोपी अनिल दिल्ली में लोकल पुलिस पर इसी तरह दबाव बनाता था। यह भी सामने आया है कि महीने में दो-तीन मीटिंग बड़े होटलों में दिल्ली के कई वरिष्ठ अधिकारियों के साथ करता था। जहां बड़े-बड़े मामलों में समझौता कराने का ठेके लेना तय होता था।

प्रभाव में आकर दो पुलिसकर्मियों को किया सस्पेंड

विनोद कपूर के खिलाफ इंदिरापुरम में दर्ज हुए धोखाधड़ी के मामले में भी अनिल कटियाल ने खुद को सेवानिवृत्त आईपीएस बता पैरवी की थी। अनिल के माध्यम से विनोद ने गाजियाबाद पुलिस से संपर्क करके शिकायत की थी कि गाजियाबाद पुलिस उसे गुड़गांव से गलत तरीके से लेकर आई है।

इस मामले में अनिल ने विवेचक को आजीवन कारावास की सजा कराने की धमकी दी थी। प्रभाव में आकर पुलिस ने इस मामले में एसएसआई प्रमोद हुड्डा और निरीक्षक कुलदीप को सस्पेंड कर दिया था। हालांकि पुलिस का कहना है कि मामले में जांच की जा रही है।

फर्जी आईपीएस की पूरी कुंडली

अनिल कटियाल नई दिल्ली के जीके फर्स्ट का रहने वाला है। उसके पिता चेतराम आईआरएस अधिकारी थे। अनिल कटियाल ने प्राथमिक पढ़ाई सेंट कोलंबस स्कूल से और बीएससी व एमएससी की पढ़ाई सेंट स्टीफंस कॉलेज में 1973 से 1978 तक की। 1979 में अनिल ने यूपीएससी की परीक्षा दी, जिसमें वह असफल हो गया।

इसके बाद वह 1979 में पीएचडी करने के लिए यूएसए की येल यूनिवर्सिटी गया। जहां से 1980 में पीएचडी की पढ़ाई बीच में छोड़ भारत आ गया। इसके बाद 1980 से 2000 से एक निजी कंपनी में प्रबंधक के पद पर रहा। फिर 2000 से 2005 तक मोटर कंपनी में चीफ जनरल मैनेजर रहा। 2005 से 2015 तक एक टेलीकॉम कंपनी में वाइस प्रेसिडेंट कॉरपोरेट अफेयर्स के पद पर रहा। 2015 में सेवानिवृत्त होने के बाद खुद को 1979 बैच का आईपीएस बताकर ठगना शुरू कर दिया।

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