
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन
संभावित परिसीमन को लेकर दक्षिण भारत में राजनीति तेज हो गई है. खासकर तमिलनाडु में. तमिलनाडु में सत्तारुढ़ द्रविड़ मुनेत्र कडगम (DMK) इसको लेकर काफी मुखर है और वहां के राजनीतिक दलों को एकजुट करने में जुटी है. डीएमके के सांसदों ने आज रविवार को लोकसभा सीटों के परिसीमन मुद्दे पर तमिलनाडु के अधिकारों को सुनिश्चित करने की दिशा में काम करने का संकल्प लिया. साथ ही यह भी कहा कि जनसंख्या आधारित परिसीमन से न केवल दक्षिणी राज्य बल्कि ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे अन्य राज्य भी प्रभावित होंगे.
संसद सत्र के फिर से शुरू होने की पूर्व संध्या पर सोमवार को पार्टी अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अगुवाई में डीएमके सांसदों की चैन्नई में बैठक हुई. बैठक में संसद में परिसीमन मुद्दे को उठाने का फैसला लेते हुए प्रस्ताव भी पारित किया गया. संसद में परिसीमन के साथ ही हिंदी ‘थोपने’ समेत अन्य मुद्दे भी उठाए जाएंगे.
परिसीमन से सीटें कम होने का डर
सत्तारुढ़ डीएमके इस बात पर लगातार जोर दे रही है कि लोकसभा सीटों के आबादी के आधार पर परिसीमन से तमिलनाडु के लिए मौजूदा सीटों की संख्या में कमी आएगी और वह चाहती है कि यह अभ्यास 1971 की जनगणना के आधार पर किया जाए.
हालांकि केंद्र की ओर से इस मसले पर कोई “स्पष्ट प्रतिक्रिया” नहीं दी गई है और इससे राज्यों के लिए भ्रम की स्थिति बनती दिख रही है. डीएमके सांसदों ने संकल्प लिया और कहा कि सीएम स्टालिन को एहसास हो गया है कि जनसंख्या नियंत्रण उपायों को प्रभावी ढंग से लागू किए जाने के कारण तमिलनाडु और अन्य दक्षिणी राज्यों को “दंडित” किया जा रहा है.
“इस बैठक में इस मुद्दे पर सीएम स्टालिन के सभी प्रयासों का समर्थन करने और इसे संसद में उठाने तथा यह सुनिश्चित करने का संकल्प लिया गया है कि तमिलनाडु को एक भी लोकसभा सीट का नुकसान न होने पाए.” इसके अलावा, डीएमके सांसदों ने कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और पंजाब के राजनीतिक दलों से समर्थन जुटाने की कोशिश करने का संकल्प लिया- ये सभी राज्य परिसीमन के बाद लोकसभा सीटें की संख्या खोने वाले हैं और इन राज्यों को इस मुद्दे पर केंद्र के खिलाफ संघर्ष का हिस्सा बनाएंगे.
JAC का हिस्सा बनें अन्य दलः स्टालिन
इस मकसद के लिए, डीएमके सांसद गठबंधन दलों के अपने सहयोगियों के साथ समन्वय करेंगे. इससे पहले सीएम स्टालिन ने पिछले हफ्ते शुक्रवार को केरल, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, पंजाब और ओडिशा के अपने समकक्षों तथा अलग-अलग पार्टी प्रमुखों को पत्र लिखकर उन्हें राज्य का साथ देने और लोकसभा सीट के परिसीमन पर संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) का हिस्सा बनने का आह्वान किया.
स्टालिन ने अगले हफ्ते 22 मार्च को चेन्नई में जेएसी की पहली बैठक का प्रस्ताव रखा और नेताओं से आगे बढ़ने की दिशा में सामूहिक प्रयास करने के लिए एकजुट होने का आग्रह किया. अपने पत्र में स्टालिन ने कहा कि रिपोर्ट से पता चलता है कि आबादी के आधार पर परिसीमन की प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है, जिसके दो संभावित तरीके हैं.
उन्होंने आशंका जताते हुए कहा कि पहले मामले में, मौजूदा 543 सीट को राज्यों के बीच पुनर्वितरित किया जा सकता है. या फिर दूसरे मामले में, सीट की कुल संख्या 800 से अधिक की जा सकती है.