पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय के 50 से ज़्यादा लोगों के खिलाफ़ ईशनिंदा क़ानून के तहत FIR दर्ज की गई है, आरोप है कि उन्होंने जुमे की नमाज अदा की, जिसे उनके लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है. मोहम्मद अमानुल्लाह नामक व्यक्ति की शिकायत पर पुलिस ने 8 नामजद और 50 अन्य अहमदियों के खिलाफ पाकिस्तान पीनल कोड (PPC) के तहत मामला दर्ज किया. शिकायत में कहा गया है कि अहमदी समुदाय के लोग खुद को मुसलमान बताकर इस्लाम का अपमान कर रहे हैं.
इस बीच कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) ने पंजाब के कई शहरों में अहमदियों के इबादत स्थलों को घेर लिया ताकि वे नमाज न पढ़ सकें. वहीं, जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान (JAP) के अनुसार फैसलाबाद में नमाज के दौरान अहमदियों पर हमला किया गया.
जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान ने बताया कि पिछले एक महीने में 33 स्थानों पर अहमदियों को नमाज पढ़ने से रोका गया है. JAP के प्रवक्ता आमिर महमूद ने सरकार से मांग की कि अहमदियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और चरमपंथी तत्वों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो. उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर किस तरह एक कट्टरपंथी संगठन के कहने पर निर्दोष अहमदियों के खिलाफ झूठे केस दर्ज किए जा रहे हैं? उन्होंने इन सभी मामलों को तुरंत रद्द करने और सभी गिरफ्तार अहमदियों को रिहा करने की मांग की.
जेएपी ने कहा कि चरमपंथियों ने पाकिस्तान के करतारपुर, गुजरात और सियालकोट जिलों में अहमदियों के पूजा स्थलों को भी घेर लिया. पिछले महीने चरमपंथी समूहों ने 33 अलग-अलग स्थानों पर अहमदियों को जुमे की नमाज अदा करने से रोकने की कोशिश की थी.
पीटीआई के मुताबिक पुलिस अधिकारी जाहिद परवेज़ ने बताया कि पुलिस ने मोहम्मद अमानुल्लाह की शिकायत पर 50 अहमदियों के खिलाफ़ मामला दर्ज किया और आठ अन्य को नामज़द किया. मोहम्मद अमानुल्लाह ने आरोप लगाया कि वे (अहमदिया समुदाय के लोग) मुसलमानों की तरह जुमे की नमाज़ अदा कर रहे थे, जबकि कानून के तहत उनके लिए यह प्रतिबंधित है.
जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान ने कहा कि धार्मिक चरमपंथियों का उद्देश्य अहमदियों को उनके धार्मिक अनुष्ठान करने से रोकना और उनके पूजा स्थलों को सील करना है, व्यक्तियों को उनके धर्म का पालन करने से रोकना पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 20 का स्पष्ट उल्लंघन है. जेएपी के प्रवक्ता आमिर महमूद ने कहा कि सरकार को अहमदियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए और चरमपंथी तत्वों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए.