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महाराष्ट्र के पुणे में जीबीएस वायरस का कहर जारी है. अब तक 225 मामले दर्ज किए जा चुके हैं. 12 लोगों की मौत हो गई है. सरकार लोगों को बचाने के लिए लगातार पानी की जांच कर रही है, घरों में बीमार लोग जांच कर रही है.

पुणे में GBS वायरस का कहर, 12 की ले ली जान, 225 केस के बाद क्या कर रही सरकार?

पुणे में जीबीआस वायरस का कहर जारी है.

मुंबई: महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के 225 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 197 की पुष्टि हुई है और 28 संदिग्ध हैं. राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, 12 लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें छह की पुष्टि हुई है और छह संदिग्ध मामले हैं. रिपोर्ट किए गए मामलों में से 179 मरीज ठीक हो गए हैं. उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है. हालांकि, 24 व्यक्ति गहन देखभाल में हैं, जिनमें से 15 को वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता है.

पुणे में फैली इस बीमारी में और भी गांव भी जुड़ गए हैं. पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम, पुणे ग्रामीण और अन्य जिलों सहित कई क्षेत्रों में इस वायरस का प्रकोप है.स्वास्थ्य अधिकारी स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं. उन्होंने चिकित्सा सुविधाओं से सतर्क रहने का आग्रह किया है. जीबीएस एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जो मांसपेशियों में कमजोरी और लकवा का कारण बन सकता है. इसकी शुरुआत अक्सर संक्रमण से शुरू होती है.

रैपिड एक्शन फोर्स तैनात
जिले में इस वायरस की स्थिति जानने की कोशिश जारी है. एक राज्य स्तरीय रैपिड एक्शन दल को तुरंत प्रभावित क्षेत्रों में दौरे पर भेजा गया है. पुणे नगर निगम (पीएमसी) और पुणे ग्रामीण के अधिकारियों को निगरानी गतिविधियों को मजबूत करने का निर्देश दिया गया है. जिले में पीने वाले पानी के नमूने लिए जा रहे है.

144 पानी के नमूने प्रदूषित
शहर के विभिन्न हिस्सों से 7,262 पानी के नमूने रासायनिक और जैविक विश्लेषण के लिए स्वास्थ्य प्रयोगशाला में भेजे गए हैं. अब तक 144 जल में प्रदूषण का पता चला है. इसे सही करने की कोशिश की जा रही है. सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के लिए गहन स्वास्थ्य संवर्धन गतिविधियां शुरू की गई हैं. सरकार ने प्राइवेट डॉक्टरों से लोगों की मदद करने की अपील की है. साथ ही उनसे अपील की गई है कि वायरस की जानकारी मिलने पर तुरंत सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों को सूचना दें.

90 हजार गांवों की जांच
मेडिकल टीम कई क्षेत्रों में घर-घर जा रही है. अब तक 90 हजार के करीब घरों की जांच की जा चुकी है. इसमें पुणे नगर निगम में 46,534, पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम (PCMC) में 29,209 और पुणे ग्रामीण में 13,956 घरों की जांच की की गई. इस बीच, एंटीगैंग्लियोसाइड एंटीबॉडी परीक्षण के लिए बेंगलुरु में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (NIMHANS) को 82 सीरम नमूने भेजे गए हैं. जिससे इस बीमारी को समझने में मदद मिलेगी.

मेडिकल सेवा जरूरी होता है
स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि अधिकांश रोगी समय रहते मेडिकल सेवा मिलने पर ठीक हो जाते हैं. मगर गंभीर मामलों में लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहने और वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता हो सकती है. राज्य सरकार ने निगरानी प्रयासों को तेज कर दिया है. प्रभावित रोगियों के लिए पर्याप्त उपचार और संसाधन सुनिश्चित करने के लिए अस्पतालों के साथ समन्वय कर रही है. स्वास्थ्य विभाग ने प्रकोप को रोकने और आगे प्रसार को रोकने के लिए कई उपाय लागू किए हैं.

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पुणे में GBS वायरस का कहर, 12 की ले ली जान, 225 केस के बाद क्या कर रही सरकार?

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