नागपुर में हुई हिंसा और पुलिस पर हुए हमले को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने विधानसभा सत्र के दौरान इस घटना को सुनियोजित साजिश करार देते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने का ऐलान किया।
फडणवीस ने कहा:
“अगर हमलावरों को उनकी कब्र से भी निकालना पड़े, तो वह भी किया जाएगा, मगर किसी को बख्शा नहीं जाएगा।”
हिंसा के दौरान भीड़ ने पुलिस पर पत्थरबाजी की, जिसमें एक पुलिस अधिकारी पर कुल्हाड़ी से हमला हुआ और तीन डिप्टी कमिश्नरों पर भी हमला किया गया।
कुछ मकानों को जानबूझकर निशाना बनाया गया, और दंगे को भड़काने के लिए अफवाहें फैलाई गईं।
कैसे भड़की थी नागपुर हिंसा?
यह झगड़ा सोमवार को नागपुर के चिटनिस पार्क इलाके में भड़का।
एक दक्षिणपंथी संगठन ने छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था।
इसके बाद अफवाह फैली कि धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी की गई, जिससे इलाके में तनाव बढ़ गया।
देखते ही देखते पत्थरबाजी शुरू हो गई और भीड़ ने पुलिस पर हमला कर दिया।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने इसे एक सुनियोजित हमला करार दिया और कहा कि किसी को भी कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
मुख्य आरोपी फहीम खान गिरफ्तार
इस हिंसा के मास्टरमाइंड फहीम खान को पुलिस ने मंगलवार रात गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस के मुताबिक, खान ने हिंसा से कुछ घंटे पहले दो अलग-अलग जगहों पर लोगों को इकट्ठा किया था।
पहले उसने एक पुलिस स्टेशन के पास भीड़ जमा की, फिर महल इलाके की मस्जिद के पास लोगों को इकट्ठा किया, जहां से हिंसा भड़की।
17 मार्च को हुई घटना के कई वीडियो सामने आए हैं, जिनमें लोग मुगल शासक औरंगजेब के समर्थन में नारे लगाते दिखे।
इन नारों में औरंगजेब को “आलमगीर हजरत” कहा जा रहा था।
पुलिस का दावा है कि फहीम खान ने लोगों को उकसाया, अफवाहें फैलाईं और हिंसा भड़काने में अहम भूमिका निभाई।
आगे क्या कार्रवाई होगी?
मुख्यमंत्री ने साफ किया कि दोषियों को किसी भी हालत में छोड़ा नहीं जाएगा।
सरकार अब यह जांच कर रही है कि इस हिंसा के पीछे और कौन-कौन शामिल था।
फहीम खान के अलावा अन्य आरोपियों की भी गिरफ्तारी जल्द हो सकती है।