हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे अच्छी परवरिश पाकर एक अच्छे इंसान बनें। वे अपने बच्चों को सफल और खुशहाल बनाने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं। लेकिन कई बार, अच्छी परवरिश देने के चक्कर में पेरेंट्स कुछ ऐसी आदतें अपना लेते हैं, जो बच्चों के दिमाग पर नेगेटिव असर डालती हैं।
शायद आपको ये चीजें आम और नॉर्मल लगें, लेकिन ये बच्चों के लिए मानसिक रूप से बहुत हानिकारक हो सकती हैं। ये आदतें ना सिर्फ आपके और आपके बच्चे के रिश्ते को खराब करती हैं, बल्कि बच्चों को लाइफटाइम ट्रॉमा देकर उनके आत्मविश्वास और भविष्य पर भी गहरा प्रभाव डाल सकती हैं।
यहां हम उन 5 गलत आदतों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे पेरेंट्स को बचना चाहिए ताकि बच्चे का मानसिक विकास सही तरीके से हो सके।
1) हर गलती के लिए बच्चे को दोषी ठहराना
कई माता-पिता बिना सच्चाई जाने हर छोटी-बड़ी गलती के लिए बच्चे को जिम्मेदार ठहरा देते हैं।
घर में कोई चीज टूट जाए, कोई सामान गायब हो जाए या फिर किसी ने गलती कर दी, तो बिना जांचे-परखे सीधे बच्चे को डांटने लगते हैं।
बार-बार ऐसा करने से बच्चा खुद को दोषी और कमजोर महसूस करने लगता है।
इससे क्या होता है?
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बच्चे को लगने लगता है कि उसकी कोई बात मायने नहीं रखती।
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वह माता-पिता से अपनी बातें छिपाने लगता है।
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बच्चे का आत्मविश्वास कम हो जाता है और वह खुद को बेकार समझने लगता है।
क्या करें?
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हर गलती के लिए तुरंत बच्चे को जिम्मेदार ठहराने से पहले सच्चाई का पता लगाएं।
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बच्चे को यह महसूस कराएं कि गलती करना इंसानी फितरत है, लेकिन उससे सीखना जरूरी है।
2) बच्चे की बात पर भरोसा ना करना
कई पेरेंट्स बच्चों की कही हुई हर बात पर शक करते हैं या तुरंत उसे झूठा साबित करने की कोशिश करते हैं।
यह आदत बच्चों को बहुत हर्ट कर सकती है, क्योंकि इससे उन्हें लगता है कि उनके माता-पिता उन पर भरोसा नहीं करते।
जब बच्चे को यह महसूस होता है कि कोई उसकी बात पर यकीन नहीं करता, तो वह अपनी बातें छिपाने लगता है।
⚡ इससे क्या होता है?
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बच्चा माता-पिता से भावनात्मक रूप से दूर होने लगता है।
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अगर उसे कोई परेशानी हो, तो वह माता-पिता से शेयर करने की बजाय दूसरों पर निर्भर होने लगता है।
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बार-बार शक किए जाने पर बच्चा बेवजह झूठ बोलने की आदत भी डाल सकता है।
क्या करें?
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बच्चे की बात को ध्यान से सुनें और उसे समझने की कोशिश करें।
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अगर आपको लगता है कि बच्चा झूठ बोल रहा है, तो उसे प्यार से समझाएं और उसे सच बोलने के लिए प्रेरित करें।
3) हर बात पर बच्चे को धमकी देना
अक्सर पेरेंट्स बच्चों को डराने या धमकी देने का सहारा लेते हैं। जैसे,
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“अगर तुमने पढ़ाई नहीं की तो पापा से शिकायत करूंगी!”
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“अगर तुमने यह नहीं किया, तो तुम्हें खेलने नहीं जाने दूंगी!”
यह आदत बच्चों के दिमाग में डर और असुरक्षा की भावना पैदा कर सकती है।
इससे क्या होता है?
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बच्चे को अपने माता-पिता से डर लगने लगता है, जिससे वह खुलकर अपनी भावनाएं शेयर नहीं कर पाता।
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बार-बार धमकियां सुनकर बच्चा जिद्दी या विद्रोही हो सकता है।
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कुछ बच्चे डर के मारे माता-पिता की बात मान लेते हैं, लेकिन अंदर ही अंदर उनसे नफरत करने लगते हैं।
क्या करें?
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बच्चे को प्यार और समझदारी से समझाएं, बजाय उसे डराने के।
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उसे यह बताएं कि किसी काम को करना क्यों जरूरी है, ना कि सिर्फ उसे धमकियां दें।
4) बच्चे पर बार-बार नेगेटिव टिप्पणी करना
कई बार माता-पिता मजाक में या गुस्से में बच्चों के लिए कुछ ऐसा बोल देते हैं, जो उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा सकता है। जैसे:
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“तुम तो कभी कुछ सही कर ही नहीं सकते!”
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“तुम्हें कुछ भी समझ नहीं आता!”
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“तुम तो बस परेशान करने के लिए पैदा हुए हो!”
ये बातें माता-पिता को भले ही मजाक लगे, लेकिन बच्चे इसे गंभीरता से लेते हैं और इससे उनका आत्मविश्वास कमजोर होता है।