आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में प्रसाद के रूप में भक्तों को दिए जाने वाले लड्डुओं में जानवरों की चर्बी, जानवरों का FAT और फिश ऑयल होने की पुष्टि हुई है. दरअसल, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया है कि YSR कांग्रेस पार्टी की पिछली सरकार में तिरुपति मन्दिर में प्रसाद और भोग के लिए जिन लड्डुओं को बनाया जाता था, उनमें घी की जगह जानवरों की चर्बी और उनके फैट का इस्तेमाल होता था, जिससे मन्दिर की पवित्रता को ठेस पहंचाई गई और लोगों की आस्था से भी बहुत बड़ा खिलवाड़ हुआ.

मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने ये आरोप टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर लगाए हैं, जो इसी साल लोकसभा चुनावों के बाद 23 जुलाई को जारी हुई थी. इस रिपोर्ट में प्रसाद के लिए उपयोग होने वाले लड्डुओं के सैंपल्स को लेकर उनकी जांच की गई थी. इसमें ये पता चला था कि इन लड्डुओं में जिस घी का इस्तेमाल हो रहा है, वो घी मिलावटी है और इसमें फिश ऑयल, एनिमल टैलो और लार्ड की मात्रा भी हो सकती है. एनिमल टैलो का मतलब पशु में मौजूद फैट से होता है. और इसमें लार्ड भी मिला हुआ था. लार्ड का मतलब जानवरों की चर्बी से होता है और इसी रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि इसी घी में फिश ऑयल की मात्रा भी हो सकती है और ये काफी चौंकाने वाली बात है.

बता दें कि तिरुपति मन्दिर भारत के सबसे बड़े मन्दिरों में से एक है, जहां हर साल लगभग तीन करोड़ हिन्दू दर्शन करने के लिए आते हैं और इन सभी हिन्दू श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में लड्डू दिए जाते हैं. इस पूरी व्यवस्था का संचालन उस समिति के द्वारा किया जाता है, जिसका गठन हर दो साल में आंध्र प्रदेश की राज्य सरकार करती है. इस समिति का नाम है तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम् और यही समिति प्रसाद के लड्डुओं को बनाने के लिए सभी सामग्री को खरीदती है. फिर इसी समिति के स्वयंसेवकों द्वारा इन लड्डुओं को तिरुपति मन्दिर में आने वाले हिन्दू श्रद्धालुओं को पहले से निर्धारत कीमतों पर बेचा जाता है. 

इस स्थिति में भी घी में पहुंच सकते हैं फैट के अंश

आरोप है कि जब आंध्र प्रदेश में YSR कांग्रेस पार्टी की सरकार थी और मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी थे, तब इस समिति ने मन्दिर के प्रसाद के लड्डुओं में खराब और मिलावटी घी का इस्तेमाल किया, जिसमें काफी मिलावट थी. हालांकि इस रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि अगर गाय बीमार हो, अगर गाय को वेजिटेबल ऑयल्स और पाम ऑयल दिया गया हो, केमिकल्स दिए गए हों या गाय कुपोषित हो, तब भी ऐसी स्थिति में फाल्स पॉजिटिव रिजल्ट्स आ सकते हैं और इनके कारण गाय के घी में जानवरों की चर्बी और उनके फैट के अंश पहुंच सकते हैं.

हालांकि TDP के नेता ए.वी. रेड्डी का ये भी आरोप है कि जब बाजार में गाय के घी की कीमत प्रति किलोग्राम कम से एक हज़ार रुपये है, तब तिरुपति मंदिर में प्रसाद के लड्डू बनाने के लिए सिर्फ 325 रुपये की कीमत से गाय का घी खरीदा गया और जानबूझकर मन्दिर के लड्डुओं में ऐसा घी इस्तेमाल हुआ, जिसमें मिलावट थी और जो घी सस्ता था.

लोगों को नहीं हो रहा विश्वास

हिन्दू धर्म में प्रसाद को ही परमेश्वर माना गया है और प्रसाद का शाब्दिक अर्थ होता है, परमात्मा के साक्षात दर्शन. हिन्दू धर्मग्रंथों में बताया गया है कि प्रसाद प्रभु की भक्ति के भाव को जगाकर भगवान की शक्ति का अहसास कराता है और प्रसाद से बड़ी कोई कृपा नहीं होती. जब भी लोगों को प्रसाद दिया जाता है तो वो इस दौरान शुद्धता का काफी ध्यान रखते हैं और गंदे हाथों में प्रसाद लेना भगवान का अपमान माना जाता है. लेकिन ये हैरान करने वाली बात है कि इस मामले में तो प्रसाद में ही इतनी बड़ी मिलावट हो रही थी और लोगों के साथ इतना बड़ा विश्वासघात हो रहा था कि बहुत सारे लोग तो शायद इस पर यकीन भी नहीं करेंगे.

Tirupati laddoos

YSR कांग्रेस ने आरोपों को बताया बेबुनियाद

आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना, ये वो तीन राज्य हैं, जहां लोग जब तिरुपति मन्दिर से दर्शन करके आते हैं और वहां से लड्डू का प्रसाद लेकर आते हैं तो ये प्रसाद गांव या इलाके के लोगों में बांटा जाता है. बाकी राज्यों के लोग भी ऐसा ही करते हैं. लेकिन इस खुलासे के बाद हिन्दू श्रद्धालुओं में काफी नाराज़गी है और लोग ये पूछ रहे हैं कि क्या इस मिलावट के पीछे कोई साजिश भी हो सकती है और ऐसा कैसे हुआ कि मन्दिर समिति को ये पता ही नहीं चला कि वो जो सस्ता घी खरीद रही है, उसमें जानवरों की चर्बी और उनका फैट हो सकता है? हालांकि, इन आरोपों को YSR कांग्रेस पार्टी ने बेबुनियाद बताया है और मन्दिर समिति के पूर्व अध्यक्ष ने भी ये दावा किया है कि तिरुपति मन्दिर के लड्डू में कभी मिलावटी घी का इस्तेमाल नहीं हुआ और ये सब सिर्फ राजनीति के कारण हो रहा है.

लड्डू से मंदिर को हर साल मिलते हैं 500 करोड़

जानकारी के मुताबिक तिरुपति मन्दिर को हर साल जो लगभग तीन हज़ार करोड़ रुपये का चढ़ावा और दान मिलता है. इसमें से लगभग 500 से 600 करोड़ रुपये लड्डुओं के उन प्रसाद को बेचकर आते हैं, जिनमें अब मिलावट होने के आरोप लग रहे हैं और ये काफी बड़ी बात है कि जो 500 करोड़ के लड्डू प्रसाद के रूप में बेचे गए, उनमें जानवरों की चर्बी और उनका FAT हो सकता है और इसके लिए पूर्व सरकार को ज्यादा दोषी इसलिए माना जाएगा क्योंकि इस मन्दिर से उसे हर साल 50 करोड़ रुपये मिल रहे थे.

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