माइल्ड हाइब्रिड, स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड और प्लग-इन हाईब्रिड (PHEV) के बीच बड़ा अंतर है. सुनने में एक जैसा होने पर भी तीनों की फंक्शनिंग काफी अलग होती है. तीनों की रेंज और माइलेज क्षमता भी अलग-अलग है. तीनों की कीमतों का स्तर भी अलग है. आइए एक-एक से तीनों को समझें…

1. माइल्ड हाइब्रिड (Mild Hybrid)

माइल्ड हाइब्रिड सिस्टम वाली कारों में एक छोटा बैटरी पैक होता है, जो सिर्फ कार का माइलेज सुधारने के लिए लगाया जाता है, लेकिन इस बैटरी से वाहन को पूरी तरह से चलाया नहीं जा सकता. इसमें एक छोटी मोटर इंजन के साथ मिलकर काम करती है, जो माइलेज को थोड़ा बढ़ाने में इंजन की सहायता करती है. माइल्ड हाइब्रिड कार नॉर्मल कारों की तुलना में थोड़ा ज्यादा माइलेज देती हैं. इसमें बैटरी को केवल वाहन के इंजन या ब्रेकिंग के दौरान चार्ज किया जाता है और इसे प्लग इन करके चार्ज नहीं किया जा सकता.

2. स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड (Strong Hybrid)

स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड में बैटरी क्षमता ज्यादा होती है. ऐसी कारों को थोड़े समय के लिए कम स्पीड में इलेक्ट्रिक मोड में चलाया जा सकता है. हालांकि, यह वाहन पूरी तरह से बैटरी से चलने के लिए नहीं डिजाइन किया गया है. इसमें एक इलेक्ट्रिक मोटर और इंजन दोनों होते हैं, जो मिलकर वाहन को चलाते हैं. जब बैटरी का स्तर पर्याप्त होता है, तो वाहन इलेक्ट्रिक मोड में भी चल सकता है, लेकिन बैटरी जल्दी खत्म हो जाती है और फिर इंजन सक्रिय हो जाता है. यह माइल्ड हाइब्रिड के मुकाबले ज्यादा माइलेज देती हैं. बैटरी को वाहन के इंजन और ब्रेकिंग के दौरान चार्ज किया जाता है.

3. प्लग-इन हाइब्रिड (Plug-in Hybrid, PHEV)

प्लग-इन हाइब्रिड में सबसे बड़ी बैटरी होती है और यह वाहन को एक लंबी दूरी तक पूरी तरह से इलेक्ट्रिक मोड में चलाने की क्षमता देती है. कार को लगभग 30-50 किलोमीटर तक इलेक्ट्रिक मोड में चला सकते हैं. इसमें एक बड़े बैटरी पैक के साथ एक इलेक्ट्रिक मोटर और इंजन दोनों होते हैं. बैटरी से कुछ दूरी तक चला सकता है और जब बैटरी समाप्त हो जाती है, तो इंजन चालू हो जाता है. इसमें बैटरी से चलने का विकल्प होता है. यह पेट्रोल या डीजल इंजन वाले वाहनों से बहुत ज्यादा माइलेज देती हैं. बैटरी को प्लग-इन चार्जर से बाहरी रूप से चार्ज किया जा सकता है.

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *