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Loco Pilot News: भारतीय रेल हर दिन लाखों की तादाद में लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाता है. यही वजह है कि इसे नेशनल करियर भी कहा जाता है.

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोको पायलट को लेकर संसद में महत्वपूर्ण जानकारी दी है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली. ट्रेन में सैकड़ों की तादाद में लोग सवार रहते हैं. पैसेंजर्स की बड़ी तादाद को देखते हुए लोको पायलट (ट्रेन ड्राइवर) के लिए कुछ नियम-कायदे तय किए गए हैं. कुछ प्रावधान काफी चौंकाने वाले होते हैं. लोको पायलट से जुड़े ऐसे ही एक कथित नियम के बारे में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को संसद में स्थिति स्पष्ट करनी पड़ी है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि लोको पायलट (ट्रेन चालकों) के गैर-मादक पेय पदार्थों (Non Alcoholic) के सेवन करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक सवाल के लिखित जवाब में उच्च सदन को यह जानकारी दी.
एमडीएमके सदस्य वाइको और द्रमुक सदस्य एम षणमुगम ने उनसे सवाल किया था, ‘क्या दक्षिण रेलवे ने ऐसा कोई सर्कुलर जारी किया है, जिसमें रेल चालकों को काम पर आते समय और काम के दौरान सॉफ्ट ड्रिंक, फल, कफ सिरप, नारियल पानी का सेवन नहीं करने का निर्देश दिया गया है. यह गर्मियों के दौरान अनैतिक तथा अमानवीय है, क्योंकि उस वक्त इंजन केबिन बहुत गर्म हो जाता है और कर्मियों को प्यास भी लगती है?’ इसके जवाब में वैष्णव ने कहा, ‘लोको पायलटों के गैर-मादक पेय पदार्थों के सेवन करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है.’ उन्होंने आगे बताया, ‘कुछ पेय पदार्थों के सेवन को रोकने के लिए दक्षिण रेलवे द्वारा उठाए गए कदम को पहले ही संशोधित किया जा चुका है.’
सीटों को भरने पर करें विचार
संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रेलवे को नई ट्रेनें शुरू करने से पहले व्यवहारिकता की पड़ताल करनी चाहिए और अधिकतम उपयोग के लिए किराया कम कर ट्रेन में अधिक से अधिक सीटों को भरने पर विचार करना चाहिए. संसद की लोक लेखा समिति (PAC) ने शुक्रवार को लोकसभा में यह रिपोर्ट पेश की. पीएसी ने पिछले साल 20 अप्रैल को पिछली लोकसभा में प्रस्तुत अपनी 139वीं रिपोर्ट में ‘सुविधा एक्सप्रेस रेलगाड़ियां चलाने के कारण दक्षिण पश्चिम रेलवे को होने वाली राजस्व हानि’ पर चिंता व्यक्त की थी. मौजूदा रिपोर्ट उसी से जुड़ी हैं.
संशोधन की मांग
समिति ने फिर कहा है कि सुविधा ट्रेनों के उपयोग पैटर्न का नियमित अध्ययन होना चाहिए, ताकि सीटों का अधिकतम उपयोग करने के लिए आवश्यक संशोधन किया जा सके. इसमें कहा गया है, ‘समिति का मानना है कि यह ध्यान में रखते हुए कि फ्लेक्सी-फेयर (मांग आधारित किराया वृद्धि) टिकटों की मांग में बढ़ोतरी और गिरावट, दोनों तरह से काम करता है. रेलवे को किराया कम कर ट्रेनों में अधिक से अधिक सीटों को भरने पर विचार करना चाहिए.’ समिति ने मौजूदा रिपोर्ट में पसंदीदा सीट के लिए अलग-अलग किराया निर्धारण के संबंध में एक व्यवस्था बनाने और सीटों के अनुकूलन के लिए एक एआई मॉडल का भी सुझाव दिया, ताकि मांग के पैटर्न का पता लगाया जा सके और सीटों के आवंटन को व्यवस्थित किया जा सके.