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Bihar Politics News: तू डाल डाल तो मैं पात पात… कहते हैं राजनीति के खिलाड़ियों को अगर इस हुनर का ज्ञान ना हो तो वह बीच मैदान में ही धराशायी हो जाता है. लेकिन, राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव स्व…और पढ़ें

राजद नेता तेजस्वी यादव ने आरक्षण का मुद्दा फिर उठाकर बिहार की राजनीति गर्म कर दी है.
हाइलाइट्स
- तेजस्वी यादव ने आरक्षण मुद्दे को गरमाया, नीतीश सरकार पर साधा निशाना.
- आरक्षण की सीमा बढ़ाने से रोकने से 50000 युवाओं को नौकरी का नुकसान.
- आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार को आरक्षण चोर की संज्ञा दी.
पटना. तेजस्वी यादव ने अब उसे मुद्दे को उठा लिया है जो बिहार की अधिकांश जनता के मानस को गहरे तक छूता है. यह मुद्दा महागठबंधन और लालू यादव की राजनीति के हक में पहले भी परिणाम दे चुका है और अब तेजस्वी यादव ने भी इसको हथियार बनाने का ठान लिया है. राजनीति के जानकार कहते हैं कि पटना आरजेडी ऑफिस के सामने आरक्षण के मुद्दे को लेकर राजद कार्यकर्ताओं के साथ उनका धरना देना सिर्फ एक दिन का कार्यक्रम ना समझा जाए, यह उनकी लंबी प्लानिंग है और बिहार में फिर एक बार आरक्षण का मुद्दा गर्म होने जा रहा है. राजनीति के जानकार इसके पीछे की वजह महागठबंधन के सामने मजबूत पिच पर खड़े एनडीए की पॉलिटिकल प्लानिंग के काट के तौर पर देख रहे हैं. दरअसल, तेजस्वी यादव ने बिहार में आरक्षण का मुद्दा उठाते हुए कहा है कि बिहार सरकार के कारण अनुसूचित जाति और जनजाति, पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग के युवाओं को नौकरी का नुकसान हो रहा है. उन्होंने प्रदेश की नीतीश सरकार और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को ‘आरक्षण चोर’ कहकर संबोधित किया है.
दरअसल, तेजस्वी यादव ने जिस मुद्दे को उठाया है वह अगर क्लिक कर गया तो निश्चित तौर पर पूरा सियासी लाभ वह ले जाएंगे. उन्होंने नीतीश सरकार और केंद्र सरकार को ‘आरक्षण चोर’ की संज्ञा देते हुए अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, बिहार में हमारी सरकार द्वारा बढ़ाई गई 65% आरक्षण की सीमा को रोक देने से अनुसूचित जाति/जनजाति, पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को 16% आरक्षण का सीधा नुकसान हो रहा है. जिससे इन वर्गों के 50000 से अधिक युवाओं को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. TRE 3 शिक्षक नियुक्ति की के तीसरे चरण में भी आरक्षण लागू नहीं होने से इन वर्गों के हजारों अभ्यर्थियों को हजारों नौकरियों का नुकसान हुआ.
बिहार के जनमानस को गहरे तक छूता है मुद्दा
जाहिर तौर पर तेजस्वी यादव की यह राजनीतिक रणनीति है और इस मुद्दे को वह हर हाल में लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं. दरअसल, जब वर्ष 2022 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ वह डिप्टी सीएम थे तब बिहार सरकार ने आरक्षण की सीमा 50% से बढ़कर 65% तक कर दी थी. ईडब्ल्यूएस कोटे को मिलाकर बिहार में आरक्षण की सीमा 75% तक हो गई थी. लेकिन, पहले हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट में यह मामला गया और इस पर रोक लगी हुई है और यह फैसला बिहार में लागू नहीं हो पाया. जाहिर तौर पर जब यह एक ऐसा मुद्दा है जो बिहार के जन मानस को गहरे तक छूता है. इसका लाभ पहले राजद ने भरपूर उठाया भी है.
लालू यादव आजमा चुके अब तेजस्वी यादव कर रहे प्रयोग
बता दें कि वर्ष 2015 में जब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत न आरक्षण की समीक्षा को लेकर एक बयान दिया तो उसको बिहार विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव ने अपने अंदाज से इस कदर भुनाया कि बिहार में बीजेपी और तमाम विरोधी दलों का सुपड़ा लगभग साफ हो गया और महागठबंधन की प्रचंड जीत हुई थी.हालांकि, तब फर्क यह था कि नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ थे. लेकिन, तेजस्वी यादव को यह भरोसा है कि यह मुद्दा तो है और यह राजनीति में अच्छा असर भी दिखाएगा. दरअसल, राजनीति के जानकार यह भी बताते हैं कि तेजस्वी यादव उस हिंदुत्व की राजनीति की काट खोज रहे हैं जिसे भाजपा और एनडीए लेकर बिहार में आगे बढ़ रही है.
हिंदुत्व के उफान के बीच अचूक बाण ढूंढ लाए तेजस्वी!
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को देखते हुए बीजेपी और एनडीए की राजनीति हिंदुत्व की है और उसे जात-पात से आगे बढ़कर एकजुट करने की कवायद की जा रही है. ऐसे में लालू यादव और तेजस्वी यादव की राजनीतिक रणनीति भी साफ दिख रही है. ऐसे समय में जब बिहार में बाबा बागेश्वर आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, श्री श्री पंडित रविशंकर और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की बिहार में मौजूदगी है, और हिंदुत्व का भाव जनमानस में उफान पर है और इसकी आड़ में हिंदुत्व की राजनीति भी परवान पर है, ऐसे में तेजस्वी यादव इसकी काट की कवायद में समय रहते लग गए हैं.
आरक्षण आग है तो क्या हिंदुत्व पानी है?
रवि उपाध्याय कहते हैं,आरक्षण का मुद्दा संवेदनशील है और तेजस्वी यादव इसे किसी भी हाल में नहीं छोड़ना चाहते. इसके पीछे की वजह यह भी है कि बिहार की राजनीति में जातिवाद को आप हटा नहीं सकते हैं और जातिवाद का मुद्दा तब और गहरा हो जाता है जब आरक्षण जैसे मुद्दे से जुड़ जाता है. ऐसे में तेजस्वी यादव की रणनीति सीधे तौर पर समझी जा सकती है कि यह हिंदुत्व की एनडीए की राजनीति की काट की कवायद है. हालांकि, दिलचस्प यह है कि नीतीश कुमार का चेहरा इस बार एनडीए के साथ है और दूसरी ओर से भी हर उस मुद्दे को सही टिक किया जा रहा है जो राजनीतिक लाभ दे पाए. मुकाबला दिलचस्प है, और आरक्षण का मुद्दा सियासत के लिए ‘आग’ है. ऐसे में सवाल यही है कि क्या इस की लपट में भाजपा और एनडीए की राजनीति झुलस जाएगी, या फिर हिंदुत्व के पानी से इसे बुझा पाने में सफल होगी?
March 09, 2025, 09:39 IST
हिंदुत्व की काट आरक्षण? मुद्दा बनाने की तैयारी में तेजस्वी, फंस जाएगी भाजपा !