किस पार्टी का खजाना हुआ भारी
कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (सीएचआरआई) के निदेशक वेंकटेश नायक के विश्लेषण से पता चलता है कि 22 पार्टियों – जिनमें पांच राष्ट्रीय पार्टियां भाजपा, कांग्रेस, सीपीएम, आप और बीएसपी, और 17 क्षेत्रीय पार्टियां जिनमें तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, बीआरएस, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस, एसपी और जेडीयू शामिल हैं।
इन दलों के पास 2024 में लोकसभा और चार राज्य विधानसभाओं के आम चुनावों की घोषणा के दिन 11,326 करोड़ रुपये का शुरुआती बैलेंस था। चुनाव प्रक्रिया के दौरान 7,416 करोड़ रुपये जुटाने और 3,861.6 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद, 22 पार्टियों के पास चुनाव समाप्त होने के दिन 14,848 करोड़ रुपये का कुल समापन बैलेंस था।
बीजेपी को कितना फायदा?
स्टडी के अनुसार, बीजेपी 5,921.8 करोड़ रुपये के उच्चतम प्रारंभिक शेष और 10,107.2 करोड़ रुपये के समापन शेष के साथ चार्ट में सबसे ऊपर है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस प्रारंभिक शेष के मामले में 22 पार्टियों में नौवें स्थान पर है, और समापन शेष के मामले में 12वें स्थान पर खिसक गई। बीजेपी ने पिछले साल आम चुनाव में 5,922 करोड़ रुपये की शुरुआती किस्त घोषित की, 6,268 करोड़ रुपये जुटाए और 1,738 करोड़ रुपये खर्च किए।
हालांकि, बीजेपी के चुनाव खर्च विवरण के अनुसार, 10,107 करोड़ रुपये के समापन शेष के साथ वह और अधिक समृद्ध हो गई। भाजपा का समापन शेष उसके प्रारंभिक शेष से 4,185 करोड़ रुपये अधिक था, टीडीपी का 65.4 करोड़ रुपये, सीपीएम का 8 करोड़ रुपये से अधिक, एलजेपीआरवी का 9.9 करोड़ रुपये, एसडीएफ का 76 लाख रुपये और एआईयूडीएफ का 3.6 लाख रुपये अधिक था।
किस दल का कितना खर्चा
सीएचआरआई ने जिन 22 पार्टियों के चुनाव खर्च का विश्लेषण किया। उन्होंने कुल 1,595 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, जिनमें से 480 18वीं लोकसभा के लिए चुने गए। यह लोकसभा की कुल संख्या का 88% से भी ज़्यादा है। स्टडी के अनुसार, 22 पार्टियों को मिली कुल राशि का 84.5% बीजेपी ने जुटाया। पार्टी ने कुल 1,738 करोड़ रुपये का चुनाव खर्च घोषित किया, जो 22 पार्टियों के कुल अभियान खर्च का 45% है।
मीडिया में विज्ञापन पर 992 करोड़ का खर्चा
मीडिया विज्ञापनों पर 22 दलों द्वारा सामूहिक रूप से 992.4 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए; सात दलों ने सोशल मीडिया और वर्चुअल प्रचार पर अतिरिक्त 196.2 करोड़ रुपये खर्च किए। स्टार प्रचारकों की यात्रा पर सभी 22 दलों द्वारा कुल व्यय 830 करोड़ रुपये था, जबकि प्रचार सामग्री पर 395.5 करोड़ रुपये और सार्वजनिक सभाओं के आयोजन पर 130 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
22 राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास के विज्ञापन पर कुल मिलाकर 26.7 करोड़ रुपये खर्च किए। इसमें बीजेपी ने सबसे अधिक 9 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए। बसपा ने इस मद में 5.9 करोड़ रुपये और कांग्रेस ने 3.3 करोड़ रुपये खर्च किए।