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Nitish Cabinet Expansion: बिहार में नीतीश मंत्रिपरिषद के विस्तार में जातीय और क्षेत्रीय समीकरण को साधने की कोशिश की गई है. मिथिलांचल, सारण, पटना, कोसी, नालंदा और तिरहुत क्षेत्र को प्रतिनिधित्व दिया गया है.साहेब…और पढ़ें

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साहेबगंज से विधायक राजू सिंह नीतीश मंत्रिपरिषद में शामिल.

हाइलाइट्स

  • नीतीश मंत्रिपरिषद विस्तार: जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधने की कोशिश.
  • मिथिलांचल, सारण, पटना, कोसी, नालंदा और तिरहुत क्षेत्र को मिला प्रतिनिधित्व.
  • मुजफ्फरपुर के साहेबगंज से विधायक राजू सिंह को मंत्री बनने का मौका मिला.

मजफ्फरपुर/प्रियांक सौरभ. बिहार में नीतीश मंत्रिपरिषद के विस्तार में जातीय और क्षेत्रीय समीकरण को साधने की पूरी कोशिश की गई है. इसके तहत मिथिलांचल क्षेत्र के जहां दो विधायकों को मंत्री बनाया जा रहा है, वहीं सारण, पटना,सारण, कोसी, नालंदा और तिरहुत क्षेत्र को भी प्रतिनिधित्व देने का पूरा प्रयास किया गया है. संजय सरावगी, दरभंगा से बीजेपी विधायक हैं और वैश्य समाज से आते हैं. कृष्ण कुमार उर्फ मंटू पटेल सारण के अमनौर से बीजेपी विधायक हैं और कुर्मी समाज से ताल्लुक रखते हैं.
जीवेश मिश्रा दरभंगा के जाले से बीजेपी के विधायक हैं और भूमिहार जाति से आते हैं. वह पहले भी मंत्री रह चुके हैं. विजय कुमार मंडल अररिया के सिकटी विधानसभा से बीजेपी के विधायक हैं. वहीं, मोती लाल प्रसाद रीगा से बीजेपी विधायक हैं. जबकि, राजू सिंह साहेबगंज से बीजेपी विधायक हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजू सिंह पर भरोसा जताकर सर्वसमाज की सियासत को संदेश देने की कोशिश की है.

बिहार विधान सभा के सदस्य राजू कुमार सिंह वीआईपी के टिकट पर 2020 का विधानसभा साहेबगंज चुनाव लड़े और जीते थे. बाद में वो बीजेपी में शामिल हो गए थे. राजू सिंह राजपूत जाति से आते हैं. 12 जनवरी 1970  पारू थाना क्षेत्र के आनंदपुर खरौनी गांव में जन्मे विधायक राजू सिंह मुजफ्फरपुर के पारू प्रखंड के बड़ा दाउद गांव के रहने वाले हैं.इनकी गिनती बिहार के रसूखदार सियासतदार के साथ ही उद्योग और व्यवसाय जगत के बड़े लोगों में की जाती है. व्यवसायी से उद्योगपति और फिर राजनीति में राजू सिंह ने 2005 में राजनीति में एंट्री ली थी.

राजू सिंह पहली बार लोजपा के टिकट पर साहेबगंज से विधायक चुने गए थे. उसके बाद फिर 2005 में ही हुए अक्टूबर माह के चुनाव में पार्टी बदलकर जदयू के टिकट पर साहेबगंज से विधायक चुने गए थे. फिर साल 2010 में यहीं से दोबारा विधायक बने. इस तरह चार बार वे विधायक चुने गए. इसके बाद राजू कुमार सिंह ने 2015 में जदयू को छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था. हालांकि, 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था.

राजू सिंह साल 2009 में अपनी पत्नी रेणु सिंह को निर्दलीय चुनाव लड़ाकर एमएलसी बनाने में सफल रहे थे. 2020 में एक बार फिर पार्टी बदलते हुए इन्होंने वीआईपी से चुनाव लड़ा और जीत हासिल कि पर दो साल के बाद ही वीआईपी के अन्य दो विधायकों के साथ विकासशील इंसान पार्टी से नाता तोड़ लिया और भाजपा में शामिल हो गए. राजू कुमार सिंह इंजीनियरिंग में पढ़ाई की है. उन्होंने 1984 में मैट्रिक पास इसके बाद 1996 में महाराष्ट्र से बी-टेक की पढ़ाई पूरी की. बाद में एम-टेक करने के बाद महाराष्ट्र से ही पीएचडी की डिग्री हासिल की.

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