
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी स्थापना के 100 साल पूरे करने जा रहा है. शताब्दि के उपलक्ष्य में आरएसएस ने संकल्प लिया है. विश्व शांति और समृद्धि के लिए समरस और संगठित हिन्दू समाज का निर्माण ही संघ का लक्ष्य है. अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के तीसरे दिन संघ ने बयान जारी कर कहा कि अनंत काल से ही हिंदू समाज एक अविस्मरणीय यात्रा में साधनारत रहा है, जिससका उद्देश्य मानव एकता और विश्व कल्याण है. संतों, धर्माचार्यों और महापुरुषों के आशीर्वाद के कारण हमारा राष्ट्र कई प्रकार के उतार-चढ़ावों के बाद भी निरंतर आगे बढ रहा है.
संघ ने कहा कि काल के प्रवाह में राष्ट्र जीवन आए अनेक दोषों को दूर कर एक संगठित और सामर्थ्यवान राष्ट्र के रूप में भारत को परम वैभव तक ले जाने के लिए डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्य प्रारम्भ किया. संघकार्य का बीजारोपण करते हुए डॉ हेडगेवार ने दैनिक शाखा के रूप में व्यक्ति निर्माण की एक अनूठी कार्यपद्धति विकसित की, जो हमारी सनातन परंपराओं व मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्र निर्माण का नि:स्वार्थ तप बन गया. उनके जीवनकाल में ही इस कार्य का एक राष्ट्रव्यापी स्वरूप विकसित हो गया. द्वितीय सरसंघचालक गुरुजी (माधव सदाशिव गोलवलकर) के दूरदर्शी नेतृत्व में राष्ट्रीय जीवन के विविध क्षेत्रों में शाश्वत चिंतन के प्रकाश में कालसुसंगत युगानुकूल रचनाओं के निर्माण की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई.
RSS ने और क्या कहा?
100 की इस यात्रा में संघ ने दैनिक शाखा द्वारा अर्जित संस्कारों से समाज का अटूट विश्वास और स्नेह प्राप्त किया. इस कालखंड में संघ के स्वयंसेवकों ने प्रेम और आत्मीयता के बल पर मानअपमान और रागद्वेष से ऊपर उठ कर सबको साथ लेकर चलने का प्रयास किया. संघकार्य की शताब्दी के अवसर पर हमारा कर्त्तव्य है कि पूज्य संत और समाज की सज्जन शक्ति जिनका आशीर्वाद और सहयोग हर परिस्थिति में हमारा संबल बना, जीवन समर्पित करने वाले निःस्वार्थ कार्यकर्ता और मौन साधना में रत स्वयंसेवक परिवारों का स्मरण करें.
संघ ने कहा कि अपनी प्राचीन संस्कृति और समृद्ध परंपराओं के चलते सौहार्दपूर्ण विश्व का निर्माण करने के लिए भारत के पास अनुभवजनित ज्ञान उपलब्ध है. हमारा चिंतन विभेदकारी और आत्मघाती प्रवृत्तियों से मनुष्य को सुरक्षित रखते हुए चराचर जगत में एकत्व की भावना तथा शांति सुनिश्चित करता है. संघ का यह मानना है कि धर्म के अधिष्ठान पर आत्मविश्वास से परिपूर्ण संगठित सामूहिक जीवन के आधार पर ही हिंदू समाज अपने वैश्विक दायित्व का निर्वाह प्रभावी रूप से कर सकेगा.
हमारा कर्त्तव्य है कि सभी प्रकार के भेंदों को नकारने वाला समरसता युक्त आचरण, पर्यावरणपूरक जीवनशैली और नागरिक कर्तव्यों के लिए प्रतिबद्ध समाज का चित्र खड़ा करने के लिए हम सब संकल्प करते हैं. हम इसके आधार पर समाज के सब प्रश्नों का समाधान, चुनौतियों का उत्तर देते हुए भौतिक समृद्धि एवं आध्यात्मिकता से परिपूर्ण समर्थ राष्ट्रजीवन खड़ा कर सकेंगे. अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा सज्जन शक्ति के नेतृत्व में संपूर्ण समाज को साथ लेकर विश्व के सम्मुख उदाहरण प्रस्तुत करने वाला समरस और संगठित भारत का निर्माण करने हेतु संकल्प करती है.
प्रतिनिधि सभा में कई मुद्दों पर चर्चा
इस वर्ष संघ स्थापना के 100 वर्ष हो रहे हैं, इसलिए अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के दौरान संघ कार्य के विस्तार पर विचार-विमर्श किया है. विजयादशमी 2025 से विजयादशमी 2026 तक शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया जाएगा. तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में कई मुद्दों पर चर्चा हुई. बांग्लादेश को लेकर प्रस्ताव पास किया गया. इसमें हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार को कैसे ठीक किया जाएगा, इस पर चर्चा हुई. दूसरा प्रस्ताव जो पारित किया गया, उसमें पिछले 100 वर्षों में संघ की यात्रा, शताब्दी वर्ष के दौरान गतिविधियों और भविष्य की योजनाओं पर आगे क्या होगा, इसको लेकर चर्चा की गई.