श्रावस्ती में चल रही है धर्मांतरण की पाठशाला! प्रार्थना सभा के नाम पर क्या बदले जा रहे हैं लोगों के धर्म?

धर्मांतरण.

उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जनपद वैसे तो काफी पिछड़ा जिला है और यहां पर गरीबी लोगों के सिर चढ़कर बोलती है. आरोप है कि इसी का फायदा ईसाई मिशनरी के लोग दूसरे धर्म में सेंधमारी करके कर रहे हैं. आरोप है कि यहां पर हर रविवार को आयोजित होने वाली प्रार्थना सभा में सैकड़ों की संख्या में दूसरे धर्म के लोग पहुंचते हैं, जो दूसरे धर्म के होते हैं. यहां पहुंचने के लिए इकौना पयागपुर मार्ग पर पहुंचना होता है.

मदारा चौकी गांव के पास आपको ई रिक्शा छोड़ेगा, जहां से लगभग 500 मीटर पैदल या बाइक से चलकर पाठशाला या प्रार्थना सभा तक पहुंचा जाता है.दर्जनों ई रिक्शा में भरकर लोग यहां पहुंचते हैं.

रविवार को सुबह से लेकर दोपहर तक लोगों के आने जाने का सिलसिला यहां पर दिखाई पड़ता है. यहां पर भगवान ईशु के बारे में जो पाठशाला चलती है, आरोप है कि उससे कहीं ना कहीं लोगों का मन और धर्म दोनों परिवर्तित होता जा रहा है.

बीमारियों से छुटकारा दिलाने के नाम पर धर्म परिवर्तन!

गीता और कुरान की जगह अब लोगो के हाथों में बाइबल नजर आ रही है. आरोप है कि लोगों को इलाज और गंभीर बीमारियों से छुटकारा दिलाने के नाम पर यहां पर हर रविवार को प्रार्थना सभा लगती है. उसमें कहीं ना कहीं लोग अपने धर्म को छोड़कर ईसाई धर्म की ओर आकर्षित होते नजर आ रहे हैं.

पूरा मामला उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जनपद के थाना इकौना के भगवानपुर बनकट गांव का है, जहां पर हर रविवार को धर्मांतरण की पाठशाला चल रही है. इस प्रार्थना सभा में हर धर्म की लोग पहुंचकर इसमें शामिल होते हैं. आरोप है कि यहां पर सबसे बड़ी वजह यह है कि यहां के लोग और इनका परिवार आर्थिक रूप से कहीं ना कहीं कमजोर हैं, जिनमें ईसाई मिशनरी के द्वारा घुसपैठ की जा रही है.

लोगों की पूजा पद्धति बदलने का आरोप

स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है किअब इन लोगों की पूजा पद्धति भी बदल रही है, जिनको अब तक कुरान और गीता, रामायण में विश्वास था . उनके हाथों में अब पवित्र बाइबल नजर आ रही है.

यहां पर पहुंचे लोग बताते हैं कि उन्हें भगवान ईशु की प्रार्थना कराई जाती है और उनके मन को भी सुकून मिलता है. करीबन 2 सालों से यह धर्म परिवर्तन का खेल चल रहा है, लेकिन न प्रशासन को पता है ना सुरक्षा एजेंसी को.

इन प्रार्थना सभाओं में मासूम बच्चों से लगाकर बुजुर्ग और महिलाएं सैकड़ों की संख्या में शामिल होते हैं, जो कहीं ना कहीं बड़े धर्म परिवर्तन की सुगबुगाहट को आहट दे रहा हैं. अब देखना है कि प्रशासन और सरकार इस धर्म परिवर्तन के खेल को कैसे रोकती है?

इनपुट: रिजवी

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