केंद्र सरकार गोल्ड से जुड़ी हुई स्कीम 115 महीना पहले शुरू की थी. उसके बाद से इसव स्कीम के तहत सरकार ने 31,164 किलो सोना जमा किया. अब उस स्कीम को बंद करने का ऐलान कर दिया है. वित्त मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार बुधवार यानी आज से इस स्कीम को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर केंद्र सरकार की वो कौन सी गोल्ड स्कीम है, जिसमें उसने 31 हजार किलो गोल्ड जमा किया और अब बंद करने का फैसला ले लिया है? आखिर सरकार इस स्कीम को बंद क्यों करने जा रही है? इस स्कीम के बंद होने से आम लोगों की जिंदगी पर क्या असर देखने को मिलेगा. आइए आपको भी बताते हैं.
आखिर कौन सी स्कीम हो रही है बंद
सरकार ने बेहतर होती बाजार स्थितियों को ध्यान में रखते हुए गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम को बुधवार से बंद करने का फैसला किया है. वित्त मंत्रालय ने इस बात की जानकारी खुद दी है. खास बात तो ये है कि करीब 115 महीने पहले लाई गई ये स्कीम केंद्र सरकार की ड्रीम और फ्लैगशिप स्कीम्स में से एक थी. जिसको लेकर पूरे देश में काफी लंबे समय तक चर्चा हुई थी. इस स्कीम को जानकार देश की इकोनॉमी के लिए काफी जरूरी और फायदेमंद भी बता रहे थे. जिसका असर काफी दिखा भी और आने वाले दिनों में और भी देखने को मिल सकता था. हालांकि, मंत्रालय ने कहा कि बैंक एक से तीन साल वाली अपनी शॉर्ट टर्म गोल्ड डिपॉजिट स्कीम्स को जारी रख सकते हैं.
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कितना सोना जुटा चुकी थी सरकार
जानकारी के अनुसार सरकार गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम के माध्यम से नवंबर, 2024 तक लगभग 31,164 किलोग्राम सोना जुटा चुकी थी. अगर इस वॉल्यू को मिट्रिक टन में कंवर्ट करें तो 31.164 मिट्रिक टन बैठेगा. जो कि काफी ज्यादा है. वैसे सरकार को जितना गोल्ड जमा होने की उम्मीद थी, उतना नहीं हो सका है. देश में आम लोगों के पास काफी गोल्ड जमा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में हाउसहोल्ड गोल्ड का वॉल्यूम 21 हजार करोड़ टन से ज्यादा है. इसका मतलब है कि गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम के तहत जितना गोल्ड डिपॉजिट हुआ है वो कुल हाउसहोल्ड का 0.1484 फीसदी ही है.
कब क्यो लॉन्च हुई थी स्कीम
सरकार ने इस योजना की घोषणा 15 सितंबर, 2015 को की थी. इसे लाने का उद्देश्य लंबी अवधि में सोने के आयात पर देश की निर्भरता को कम करने के साथ देश में परिवारों और संस्थानों द्वारा रखे गए सोने को जुटाना था ताकि इसका उपयोग उत्पादक उद्देश्यों के लिए किया जा सके. जीएमएस में अल्पकालिक बैंक जमा (एक-तीन वर्ष), मध्यम अवधि सरकारी जमा (पांच-सात वर्ष) और दीर्घकालिक सरकारी जमा (12-15 वर्ष) के रूप में तीन घटक शामिल हैं. मंत्रालय ने कहा कि गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम के प्रदर्शन की पड़ताल और बाजार की उभरती स्थितियों के आधार पर 26 मार्च, 2025 से जीएमएस के मध्यम अवधि और दीर्घकालिक सरकारी जमा वाले घटकों को बंद करने का निर्णय लिया गया है.
शॉर्ट टर्म स्कीम जारी रह सकती है
हालांकि, जीएमएस के तहत बैंकों द्वारा पेश की जाने वाली अल्पकालिक बैंक जमा (एसटीबीडी) की सुविधा बैंकों के अपने विवेक पर जारी रहेगी. बैंक वाणिज्यिक व्यवहार्यता का आकलन कर एसटीबीडी को जारी रखने का फैसला कर सकते हैं. इस संबंध में रिजर्व बैंक के विस्तृत दिशानिर्देशों का पालन किया जाएगा. मंत्रालय ने कहा कि जीएमएस के मध्यम-अवधि वाले घटक के तहत कोई भी सोना जमा 26 मार्च, 2025 से स्वीकार नहीं किया जाएगा. लेकिन इस घटक के तहत मौजूदा जमा जीएमएस के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुरूप अवधि पूरी होने तक जारी रहेगा.
किस टर्म में कितना गोल्ड डिपॉजिट
नवंबर, 2024 तक जमा कुल 31,164 किलोग्राम सोने में से अल्पकालिक स्वर्ण जमा 7,509 किलोग्राम, मध्यम अवधि स्वर्ण जमा (9,728 किलोग्राम) और दीर्घकालिक स्वर्ण जमा (13,926 किलोग्राम) था. जीएमएस में लगभग 5,693 जमाकर्ताओं ने भाग लिया. सोने की कीमतें एक जनवरी, 2024 को 63,920 रुपये प्रति 10 ग्राम से 26,530 रुपये यानी 41.5 प्रतिशत बढ़कर 90,450 रुपये प्रति 10 ग्राम (25 मार्च 2025 तक) हो गई हैं. इसका मतलब है कि इस स्कीम के तहत जितना गोल्ड जमा हुआ है उसकी वैल्यू 2,81,87,83,80,000 रुपए हो चुकी है.