सैटेलाइअ कंयूनिकेशन की दौड़ में आगे रहने और इस मार्केट में ज्यादा से ज्यादा हिस्सेदारी हासिल की करने की जंग और ज्यादा तीखी हो गई है. इसकी एक तस्वीर ट्राई की मीटिंग में देखने को मिली, जब देश की दो बड़ी टेलीकॉम कंपनियां एलन मस्क की स्टारलिंक से भिड़ती हुई दिखाईं. दोनों ही पक्षों का मत बिल्कुल अलग देखने को मिला. जहां जियो और एयरटेल सैटकॉम स्पेक्ट्रम की नीलामी के पक्ष में दिखाई दिए.
वहीं दूसरी ओर एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक ने एडमिनिस्ट्रेटिव एलोकेशन के पक्ष में अपनी बातों को रखा. जानकारों की मानना है कि इस सेक्टर में ये जंग अभी शुरुआती दौर में है. अभी से ही इसके तीखेनप को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में ये लड़ाई और कितने खुलकर सामने आएगी. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई की ओर से आयोजित की गई इस खुली बैठक में दोनों पक्षों की ओर से क्या-क्या कहा गया?
किस पर छिड़ी हैं जंग
दूरसंचार नियामक ट्राई ने सैटकॉम स्पेक्ट्रम के आवंटन के मुद्दे पर इस खुली चर्चा का आयोजन किया था. इसमें स्टारलिंक के साथ रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के प्रतिनिधियों ने भी शिरकत की. इस दौरान स्टारलिंक जहां सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का प्रशासनिक आवंटन किए जाने के पक्ष में डटी रही वहीं परंपरागत दूरसंचार सेवा प्रदाता जियो और एयरटेल ने इस स्पेक्ट्रम की नीलामी किए जाने की मांग दोहराई. एलन मस्क की अगुवाई वाली कंपनी स्टारलिंक ने शुक्रवार को कहा कि वह सैटेलाइन कंयूनिकेशन (सैटकॉम) सर्विस के मूल्य निर्धारण पर पूर्ण पारदर्शिता बनाए रखती है और सैटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सर्विस का चार्ज बेहद कम रखने के आरोप गलत एवं दुर्भाग्यपूर्ण हैं.
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जियो का तर्क
जियो ने कहा कि वह प्रतिस्पर्धा से नहीं डरती है लेकिन समान सेवाओं के लिए समान नियम लागू होने चाहिए. जियो के अधिकारी रवि गांधी ने कहा कि हम एक बेहद प्रतिस्पर्धी बाजार में काम कर रहे हैं. हम प्रतिस्पर्धा से डरते नहीं हैं. लेकिन यहां मामला दूसरा है. असल में जो कंपनियां सैटेलाइट के जरिए टेलीकॉम सर्विस देना चाहती हैं, वे प्रतिस्पर्धा से डरती हैं, और इसीलिए वे इस तरह की सुरक्षा चाहती हैं. खुली चर्चा के दौरान स्टारलिंक सैटेलाइट कम्युनिकेशंस के निदेशक परनिल ऊर्ध्वरेषे ने कहा कि भारतीय यूजर्स सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस चाहते हैं और उन्हें एक सस्ती, हाई क्वालिटी वाली सर्विस देने वाला ऑपरेटर चुनने का अधिकार है.
स्टारलिंक का पक्ष
उन्होंने कहा कि किसी भी देश के लिए स्टारलिंक की सेवाओं की कीमतें इसकी वेबसाइट पर आसानी से उपलब्ध हैं. उन्होंने कहा कि नेक्स्ट जेनरेशन का कंयूनिकेशन सिस्टम द्वारा बेहद कम दरों पर सेवाएं देने के आरोप दुर्भाग्यपूर्ण और पूरी तरह झूठे हैं. हम दुनियाभर में स्टारलिंक के मूल्य निर्धारण और प्रदर्शन पर पूर्ण पारदर्शिता बनाए रखते हैं. ऊर्ध्वरेषे के मुताबिक, 113 देशों में स्टारलिंक का ऑपरेशनल एक्सपीरियंस है कि यूजर्स सैटेलाइट ब्रॉडबैंड तब चुनते हैं जब उनके पास कवरेज, विश्वसनीयता या सामर्थ्य की वजह से अन्य विकल्प नहीं होते हैं.
सरकार का क्या मानना है?
मस्क का वेंचर स्टारलिंक और अमेजन का प्रोजेक्ट कुइपर सैटकॉम स्पेक्ट्रम के प्रशासनिक आवंटन का सपोर्ट करते हैं. वहीं जियो और एयरटेल का मानना है कि सरकार द्वारा पूर्व-निर्धारित मूल्य पर सैटेलाइट ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम देने से असमान खेल का मैदान बनेगा. हालांकि, संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस पर सरकार का रुख साफ करते हुए कहा है कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का प्रशासनिक आवंटन होना वैश्विक रुझान के अनुरूप है.