खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने कहा है कि प्रांतीय सरकार सुरक्षा बलों द्वारा किसी भी सैन्य अभियान की अनुमति नहीं देगी, क्योंकि जितने आतंकवादी यहां मारे जा रहे हैं, उतने ही अफगानिस्तान से आ रहे हैं. एक निजी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में गंडापुर ने कहा कि खैबर पख्तूनख्वा में अब तक 9,500 से 11,500 आतंकवादी घुसपैठ कर चुके हैं, जबकि इससे दोगुनी संख्या में आतंकवादी सीमा पार मौजूद हो सकते हैं. 

उन्होंने जोर देकर कहा कि सैन्य अभियान इस समस्या का हल नहीं है और इसे सिर्फ बातचीत और कूटनीति के जरिए सुलझाया जा सकता है. गंडापुर ने दो दिन पहले हुई राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की बैठक को केवल एक प्रस्तुति करार दिया, जिसमें कोई ठोस चर्चा नहीं हुई. उन्होंने कहा कि अगर आतंकवाद को केवल बैठकों और बयानों से खत्म किया जा सकता, तो यह कब का खत्म हो चुका होता.

इमरान खान की रिहाई की मांग

गंडापुर ने कहा कि इमरान खान की रिहाई के बिना सुरक्षा मुद्दों पर कोई ठोस प्रगति नहीं हो सकती. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान अगस्त 2023 से कई मामलों में जेल में बंद हैं. उन्होंने कहा कि बैठक में इमरान खान पर कोई चर्चा नहीं हुई, जबकि यह मामला राष्ट्रीय राजनीति और सुरक्षा से जुड़ा हुआ है.

“अच्छे और बुरे तालिबान की नीति पर पुनर्विचार जरूरी”

गंडापुर ने माना कि प्रांत में अभी भी ‘अच्छे तालिबान’ मौजूद हैं, जबकि बुरे तालिबान हमले कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बन्नू छावनी पर हाल ही में हुए हमले को ‘बुरे तालिबान’ ने अंजाम दिया, जबकि पहले इन्हें ‘अच्छे तालिबान’ माना जाता था.

उन्होंने खुलासा किया कि हाफिज गुल बहादुर और नूर वली महसूद पहले ‘अच्छे तालिबान’ माने जाते थे, लेकिन अब वे ‘बुरे तालिबान’ बन चुके हैं. गंडापुर ने कहा कि हमें अपनी तालिबान नीति की समीक्षा करनी होगी. उन्होंने यह भी कहा कि जो तालिबान सरकार की शरण में आ चुके हैं, उन्हें दंडित नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि उम्मीद रखनी चाहिए कि वे आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई में मदद करेंगे.

बन्नू छावनी हमला – 16 हमलावर ढेर

4 मार्च को पाकिस्तान के बन्नू छावनी में हुए आत्मघाती हमले में 12 लोगों की मौत हुई, जिनमें चार बच्चे भी शामिल थे. इस हमले में 30 से अधिक लोग घायल हुए. पुलिस के अनुसार, दो विस्फोटकों से भरी गाड़ियां छावनी की दीवार से टकराईं, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई में 16 हमलावरों को मार गिराया.

हाफिज गुल बहादुर से जुड़े संगठन जैश अल-फुरसान ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है. यह संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के कई गुटों में से एक है.

9 मई की घटनाओं पर पीटीआई की सफाई

गंडापुर ने पहली बार स्वीकार किया कि 9 मई 2023 को सैन्य प्रतिष्ठानों पर हुए हमले पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) की आधिकारिक नीति के खिलाफ थे. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि जिन पीटीआई कार्यकर्ताओं ने कानून का उल्लंघन किया, उन्होंने इतनी बड़ी गलती नहीं की कि उन्हें सैन्य अदालतों में मुकदमे का सामना करना पड़े.

अफगान सरकार ने पाकिस्तानी दावों को किया खारिज

गंडापुर ने कहा कि अफगान शरणार्थियों को उचित प्रक्रिया के तहत उनके देश वापस भेजा जाना चाहिए, न कि उन्हें जबरन निकाला जाए. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि अफगानों को पाकिस्तान की नागरिकता दी जाए, क्योंकि इससे देश में 3 से 4 अरब डॉलर का निवेश आ सकता है.

पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि देश में होने वाले आतंकी हमलों की साजिशें अफगानिस्तान की जमीन पर रची जा रही हैं. हालांकि, तालिबान के नेतृत्व वाली अफगान सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि पाकिस्तान अपनी सुरक्षा विफलताओं के लिए उन्हें जिम्मेदार न ठहराए.

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