हरियाणा की जगाधरी विधानसभा में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने  शुक्रवार को आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रचार का आगाज कर दिया. दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद यह अरविंद केजरीवाल का पहला राजनीतिक कार्यक्रम था. अगले कुछ दिनों में अरविंद केजरीवाल इस तरह के रोड शो कम से कम 10 उम्मीदवारों के लिए करने वाले हैं.

सवाल यह उठता है कि आम आदमी पार्टी हरियाणा में चाहती क्या है. अरविंद केजरीवाल ने आज जगाधारी में जो जनता को संबोधिक करते हुए जो बात कही उसके कई अर्थ निकाले जा रहे हैं. एक तरफ तो वो भारतीय जनता पार्टी को टार्गेट करते हैं . दूसरी तरफ ये भी कहते हैं हरियाणा में कोई भी सरकार आम आदमी पार्टी के बिना नहीं बनेगी. उनके इस बयान के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं. क्योंकि अरविंद केजरीवाल के मुंह से कोई बात यूं ही नहीं निकलता है.  राजनीति के वे माहिर खिलाड़ी बन चुके हैं.

1-कांग्रेस की हार की जमीन तैयार कर रहे हैं

अरविंद केजरीवाल जितना कहेंगे कि उनकी पार्टी के बिना हरियाणा में किसी भी पार्टी को सरकार बनाना मुश्किल होगा उतना ही कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी होने वाली है.  हालांकि पिछले चुनावों में आम आदमी पार्टी के वोट परसेंटेज इतना निराशाजनक है कि कोई सामान्य आदमी भी यही कहेगा कि उनकी पार्टी एक भी सीट जीतने की स्थिति में नहीं है. पिछले लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से गठबंधन किया था. इस गठबंधन में आम आदमी पार्टी को केवल एक सीट कुरुक्षेत्र ही मिली थी. कुरुक्षेत्र में भी आम आदमी पार्टी का कैंडिडेट चुनाव नहीं जीत सका. हालांकि करीब 4 विधानसभा क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर बढ़त बनाई थी. पर उस बढ़त में कांग्रेस के कोर वोटर्स का सपोर्ट भी था. चूंकि विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी के मुकाबले में कांग्रेस का भी प्रत्याशी रहेगा इसलिए उम्मीद यही है कि आम आदमी पार्टी को बीजेपी विरोधी वोट पूरे के पूरे नहीं मिलेंगे.2019 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी का वोट शेयर एक परसेंट से भी कम था. अगर आम आदमी पार्टी का वोट शेयर 2 से 4 परसेंट बढ़ भी जाता है तो भी सीट जीतना मुश्किल ही है. हां यह तय है कि कांग्रेस प्रत्याशी को हराने का काम जरूर आप प्रत्याशी करेगा.

2-क्या सरकार बनाने के लिए बीजेपी को भी करेंगे सपोर्ट

अरविंद केजरीवाल का यह बयान कि हरियाणा में कोई भी सरकार आम आदमी पार्टी के बिना नहीं बनेगी यह संदेश है कि वह कुछ सीटों पर अपनी पूरी ताकत से लड़ेंगे. इसका एक अर्थ यह भी निकलता है कि वो बहुमत लायक आंकड़ा भले ही न ले आ सकें पर इतनी सीट जरूर आएगी कि हंग विधानसभा में उनके समर्थन की जरूरत आ जाए. अब सवाल यह उठता है कि कोई भी सरकार में तो बीजेपी भी शामिल है. क्या बीजेपी को भी जरूरत पड़ने पर आम आदमी पार्टी सपोर्ट करेगी. इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि हरियाणा में हंग असेंबली की नौबत आ जाए. इस दशा में अगर आम आदमी पार्टी 4 से 5 सीटें भी जीत लेती है तो वो किंगमेकर की भूमिका में आ सकती है.

3-बीजेपी का विरोध, कांग्रेस के नाम पर चुप्पी क्यों

जिस दिन से अरविंद केजरीवाल तिहाड़ से बाहर आए हैं , वो कांग्रेस का नाम लेने से बचते हैं. उनका सारा विरोध बीजेपी और मोदी सरकार को ही लेकर रहता है. जबकि शराब घोटाले को कोर्ट में ले जाने वाली कांग्रेस ही थी. पर राजनीति में बहुत कुछ न चाहते हुए भी करना पड़ता है. जगाधारी में अरविंद केजरीवाल का पूरा फोकस बीजेपी विरोध में ही था. उन्होंने कहा कि पूरा हरियाणा इस वक्त बदलाव चाहता है. जहां भी जाओ पता चलता है कि लोग इन्हें (बीजेपी) गांव-गली में नहीं घुसने दे रहे हैं. 

अब तक हरियाणा में एक पार्टी से नाराज होकर दूसरी पार्टी को वोट दे देते थे लेकिन अब एक ईमानदार पार्टी सामने आई है. जब मैं जेल में था इन्होंने हमारे विधायक खरीदने की बहुत कोशिश की. इन्होंने दिल्ली से लेकर पंजाब तक की सरकार गिराने की धमकी दी. लेकिन इतनी कट्टर ईमानदार पार्टी है कि हमारा एक भी विधायक नहीं टूटा. 

आज के भाषण से यह भी समझ में आता है कि हो सकता है कि आम आदमी पार्टी हरियाणा में कांग्रेस के साथ फ्रेंडली मैच खेल रही हो. जैसा लोकसभा चुनावों में पंजाब की सीटों पर आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ फ्रेंडली मैच खेला था.अगले कुछ दिनों में यह समझ में आएगा कि अरविंद केजरीवाल हरियाणा में चाहते क्या हैं? अगर कुछ सीटों पर ही सक्रियता बढ़ती है तो यह समझ में आएगा की बाकी सीटों के लिए कांग्रेस से अंदरूनी गठबंधन हो गया है.

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