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Education News: तेलंगाना के 180 स्कूलों में गरीब बच्चों की शिक्षा पर संकट है. सरकार से प्रतिपूर्ति न मिलने के कारण स्कूल बंद होने की कगार पर हैं. स्कूल प्रबंधन ने बकाया नहीं दिए जाने की स्थिति में स्‍कूल को टेक…और पढ़ें

180 स्‍कूलों में हाहाकार, मैनेजमेंट ने सरकार से लगाई गुहार, कहा- कोई रास्‍ता..

तेलंगाना सरकार पर आरोप लगाए गए. (Representational Picture)

हाइलाइट्स

  • तेलंगाना सरकार पर 180 स्कूलों के 200 करोड़ बकाया!
  • स्कूल बंद होने की कगार पर, सरकार से अधिग्रहण की मांग.
  • गरीब बच्चों की शिक्षा पर संकट, प्रतिपूर्ति न मिलने से समस्या.

Education News: तेलंगाना में 180 स्‍कूलों में पढ़ने वाले गरीब परिवार के बच्‍चों के भविष्‍य पर खतरा मंडराता नजर आ रहा है. यहां निजी स्‍कूलों का आरोप है कि राज्‍य सरकार की तरफ से मिलने वाला रिम्‍बर्सेमेंट (प्रतिपूर्ति) नहीं दी जा रही है. जिसके चलते उनके लिए स्‍कूल का खर्च चला पाना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे में स्‍कूल पर ताला लगाने की नौबत आ गई है. टाइम्‍स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार बेस्ट अवेलेबल स्कूल्स स्कीम यानी (BASS) के तहत छात्रों को दाखिला देने वाले कई निजी स्कूलों के लिए बढ़ते प्रतिपूर्ति बकाया के कारण उनका अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. ये संस्थान फिलहाल अपने दैनिक कामकाज के लिए भी खर्च करने में असमर्थ हैं.

प्रबंधनों ने कहा कि यदि सरकार प्रतिपूर्ति राशि जारी नहीं कर सकती है, तो उन्हें आगे आकर इन स्कूलों का अधिग्रहण कर लेना चाहिए और इन्हें राज्य द्वारा संचालित आवासीय विद्यालयों के समान चलाना चाहिए. राज्य में, 180 स्कूल BASS का क्रियान्वयन कर रहे हैं, जिसके तहत सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के गरीब छात्रों की फीस का भुगतान करती है. स्कूल प्रबंधनों के अनुसार, उन्हें सरकार से लगभग 180 करोड़ रुपये से 200 करोड़ रुपये मिलने हैं.

सरकार स्‍कूलों का कर ले अधिग्रहण
BASS स्कूल प्रबंधन संघ के राज्‍य सचिव वॉय शेखर राव ने टीओआई से कहा, “हम में से कई तो अपने स्कूलों की दिन-प्रतिदिन की जरूरतों को पूरा करने की स्थिति में भी नहीं हैं. अगले साल से हम चाहते हैं कि सरकार या तो हमारे स्कूलों का अधिग्रहण कर ले या माता-पिता फीस का भुगतान करें और बाद में सरकार से दावा करें. अन्यथा, हमारे पास अपने स्कूलों को बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.”

हर BASS स्‍कूल का एक से दो करोड़ बकाया
उनका दावा था कि अधिकांश स्कूलों पर 1 करोड़ रुपये से 2 करोड़ रुपये के बीच बकाया है. उन्होंने आगे दावा किया कि अन्य लोग उनके स्कूलों में शामिल होने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं क्योंकि स्थानीय लोगों द्वारा उन्हें ‘अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के स्कूल’ के रूप में चिह्नित किया जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि यदि सरकार 31 मार्च तक बकाया राशि का भुगतान नहीं करती है, तो जारी किए गए मौजूदा टोकन की भी समय सीमा समाप्त हो जाएगी.

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