अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) भारत पर टैरिफ लगाने का ऐलान कर चुके हैं. 2 अप्रैल को भारत पर कितना टैरिफ लगेगा, इसका इंतजार दलाल स्ट्रीट से लेकर मिंट स्ट्रीट तक, बोर्डरूम से लेकर नीति गलियारों तक, हर कोई कर रहा है. डोनाल्ड ट्रंप पहले कई बार कह चुके हैं कि भारत अन्य देशों की तुलना में सबसे ज्यादा टैरिफ लगाता है. ऐसे में कहा जा रहा है कि अमेरिका भी भारत पर उतना ही टैरिफ लगाएगा.
विश्व व्यापार संगठन (WTO) के अनुसार, 2023-24 में टैरिफ 12 प्रतिशत होगी, जबकि अमेरिका के लिए यह 2.2 प्रतिशत होगी. 19 मार्च को ब्रेइटबार्ट न्यूज के साथ एक इंटरव्यू में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि मेरा मानना है कि भारत संभवत: उन टैरिफ को काफी हद तक कम करने जा रहा है, लेकिन 2 अप्रैल को हम उनसे वही टैरिफ वसूलेंगे जो वे हमसे वसूलते हैं. ऐसे में भारत पर इसका कितना असर होगा? आइए जानते हैं ग्लोबल एजेंसियां इसपर क्या कह रही हैं.
S&P Global ने क्या कहा?
नई रिपोर्ट S&P Global ने पेश की है, जिसमें कहा गया है कि एक मजबूत अर्थव्यवस्था और अमेरिका से कम संपर्क भारत को ट्रंप टैरिफ के प्रभावों से बचाता है. टैरिफ का सीमित इनडायरेक्ट इम्पैक्ट होने की संभावना है, क्योंकि भारत का निर्यात क्षेत्र उसके GDP का 10वां हिस्सा ही है.
हालांकि कुछ क्षेत्रों में व्यवधान हो सकता है. एसएंडपी ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारत का अमेरिका से कम संपर्क टैरिफ रिस्क को कम करता है, लेकिन देश में स्टील और केमिकल सेक्टर्स को प्रभावित कर सकता है. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि उसके द्वारा रेटिंग प्राप्त अधिकांश भारतीय कंपनियां अस्थायी आय मंदी को झेल सकती हैं.
Fitch ने कहा भारत कुछ हर तक सुरक्षित
फिच ने वित्त वर्ष 2025-26 में भारत के लिए 6.5 प्रतिशत जीडीपी ग्रोथ रेट के अपने अनुमान को बरकरार रखा है. हालांकि, इसने चेतावनी दी है कि ‘अपेक्षा से अधिक आक्रामक’ अमेरिकी व्यापार नीतियां विकास पूर्वानुमान के लिए बड़ा जोखिम पैदा कर सकती हैं. फिच के अनुसार, व्यापारिक विश्वास ज्यादा बना हुआ है और लोन सर्वे से पता चलता है कि प्राइवेट सेक्टर को बैंक लोन में दोहरे अंकों की ग्रोथ जारी है और कहा कि भारत कुछ हद तक अमेरिकी टैरिफ एक्शन से अछूता है, क्योंकि इसकी बाहरी मांग पर निर्भरता कम है.
मूडीज की रिपोर्ट क्या बताती है?
मूडीज रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में ऑटोमोटिव, स्टील, रसायन और व्यापार-सेवा क्षेत्र की कंपनियां अमेरिका के टैरिफ के सबसे ज्यादा शिकार हैं, जिससे मांग कम हो सकती है और लागत बढ़ सकती है. हालांकि, रेटिंग एजेंसी ने कहा कि खनन, तेल और गैस, शिपिंग, निवेश होल्डिंग कंपनियां और प्रोटीन और कृषि जैसे क्षेत्र इस प्रभाव को झेलने के लिए सबसे उपयुक्त हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टील और केमिकल कंपनियों के मामले में अमेरिका द्वारा प्रस्तावित टैरिफ उपायों का सीधा असर बहुत कम होगा, लेकिन इससे अधिशेष स्टील और पेट्रोकेमिकल्स को एशिया सहित अन्य बाजारों में भेजा जाएगा, जिससे इस क्षेत्र में पहले से ही उच्च आपूर्ति में और वृद्धि होगी. इससे कीमतें कमजोर होंगी और इसलिए इन कंपनियों का मुनाफा कम होगा.
आईटी कंपनियां बढ़ी हुई लागत को झेलने के लिए बेहतर स्थिति में हैं. मूडीज का यह भी कहना है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज, जो अपने तेल-से-रसायन खंड से अपने उत्पादन का लगभग आधा हिस्सा निर्यात करती है. संभवतः भारत पर इसका इनडायरेक्ट तौर पर असर होगा.
विकास पर निगेटिव इम्पैक्ट
गोल्डमैन सैक्स ने अनुमान लगाया है कि ट्रंप के टैरिफ से भारतीय जीडीपी को 10-60 बीपीएस का झटका लगेगा. गोल्डमैन सैक्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘भारत का अमेरिका को सकल निर्यात जीडीपी के लगभग 2.0% पर अपने उभरते बाजार साथियों के बीच सबसे कम है. हालांकि, अमेरिका से सभी देशों पर वैश्विक टैरिफ के मामले में, अमेरिका की अंतिम मांग के लिए भारत की घरेलू गतिविधि जोखिम अन्य देशों के निर्यात के माध्यम से अमेरिका के लिए जोखिम को देखते हुए लगभग दोगुना होगा और इसके परिणामस्वरूप संभावित घरेलू जीडीपी वृद्धि प्रभाव 0.1-0.6 प्रतिशत अंक होगा.’
गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका तीन तरीकों से भारत पर टैरिफ लगा सकता है. भारत से आयातित सभी उत्पादों पर औसत टैरिफ अंतर के आधार पर, प्रत्येक उत्पाद पर भारत के टैरिफ के बराबर टैरिफ लगाकर, या प्रशासनिक बाधाओं, आयात लाइसेंस आदि जैसे नॉन-टैरिफ लगा सकता है.