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Maharashtra Baldness case: बुलढाणा जिले में 279 लोग अचानक गंजे हो गए. सरकारी राशन से मिले गेहूं में 600 गुना ज्यादा सेलेनियम पाया गया, जिससे यह बीमारी हुई. सरकार ने गेहूं की सप्लाई रोकी, जिससे कुछ लोगों के बाल …और पढ़ें

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बुलढाणा में अचानक गंजेपन का शिकार होने लगे लोग.

महाराष्ट्र: बुलढाणा जिले में अचानक गंजेपन के मामले सामने आए हैं, जिसने पूरे देश को चौंका दिया है. यहां के गांवों में लोग सोकर उठते ही देखते कि उनके सिर के बाल झड़ चुके हैं. तीन से चार दिनों में ही कई लोग पूरी तरह गंजे हो गए. जब यह खबर फैली तो गांवों में डर का माहौल बन गया. हर कोई जानना चाहता था कि आखिर ये बीमारी आई कहां से?

गेहूं बना बाल झड़ने की वजह! चौंकाने वाला खुलासा
इस रहस्यमयी बीमारी की जांच की गई, तो डॉक्टरों ने बताया कि इसका कारण पंजाब और हरियाणा से आया गेहूं था. सरकारी राशन की दुकानों से जो गेहूं लोगों को मिला, उसमें सेलेनियम नाम का एक तत्व बहुत ज्यादा मात्रा में था. सेलेनियम एक ऐसा तत्व है, जो शरीर के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन ज्यादा मात्रा में होने पर यह जहर की तरह असर करता है.

18 गांवों के 279 लोग हुए गंजे!
दिसंबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच बुलढाणा के 18 गांवों में कुल 279 लोगों के बाल अचानक झड़ने लगे. यह बीमारी ज्यादातर कॉलेज जाने वाली लड़कियों और युवाओं में देखने को मिली. इस बीमारी ने कई लड़कियों की शादी टूटने की नौबत ला दी, तो कई की पढ़ाई छूट गई. समाज में गंजेपन को लेकर कई तरह की धारणाएं हैं, इसलिए कुछ लोगों ने शर्मिंदगी से बचने के लिए खुद ही अपना सिर मुंडवा लिया.

डॉक्टरों की जांच में क्या निकला?
डॉ. हिम्मतराव बावसकर, जो बावसकर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, रायगढ़ के एमडी हैं, उन्होंने इस पूरे मामले की जांच की. उन्होंने बताया कि प्रभावित लोगों को सिर दर्द, बुखार, खुजली, झुनझुनी, उल्टी और दस्त जैसी समस्याएं भी हो रही थीं.

600 गुना ज्यादा सेलेनियम! जानलेवा हो सकता था यह गेहूं
जब प्रभावित क्षेत्रों में मिले गेहूं की जांच की गई, तो पाया गया कि इसमें 600 गुना ज्यादा सेलेनियम था. इतनी ज्यादा मात्रा में सेलेनियम इंसान के शरीर के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. इस बीमारी की रफ्तार बहुत तेज थी. महज तीन से चार दिन में लोग पूरी तरह गंजे हो गए. जब खून, पेशाब और बालों की जांच की गई, तो सेलेनियम की मात्रा 35 से 150 गुना ज्यादा पाई गई.

जिंक की कमी भी बनी बीमारी का कारण
डॉक्टरों को यह भी पता चला कि प्रभावित लोगों में जिंक की मात्रा काफी कम थी. जिंक की कमी और सेलेनियम की अधिकता ने मिलकर इस गंभीर समस्या को जन्म दिया. जांच में यह भी पता चला कि गेहूं में कोई बाहरी मिलावट या जहर नहीं था. बल्कि पंजाब और हरियाणा की मिट्टी में सेलेनियम की मात्रा ज्यादा होती है, जिसके कारण वहां उगने वाले गेहूं में भी यह तत्व ज्यादा होता है.

सरकारी राशन की गुणवत्ता पर सवाल!
बुलढाणा एक सूखाग्रस्त इलाका है, जहां लोग सरकारी राशन पर निर्भर रहते हैं. लेकिन सरकारी राशन की गुणवत्ता पर कभी ध्यान नहीं दिया गया. खराब गुणवत्ता वाले गेहूं की सप्लाई ने इस बीमारी को और बढ़ा दिया. सरकार ने तुरंत कदम उठाते हुए प्रभावित क्षेत्रों में इस गेहूं के वितरण को रोक दिया. साथ ही लोगों को सलाह दी गई कि वे इस गेहूं को खाना बंद कर दें. राहत की बात यह है कि कुछ लोगों के बाल 5-6 हफ्तों में वापस उगने लगे हैं.

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