5% और हिंदुओं ने दे दिया साथ तो क्या बंगाल में बन जाएगी भाजपा की सरकार?

बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी.

पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को हटाने को लेकर बीजेपी ने अभी से रणनीति बनाना शुरू कर दिया है. दरअसल, विधानसभा चुनाव 2026 में होने हैं. उससे पहले ही बीजेपी हिंदू मतदाताओं को एकजुट करने में जुट गई है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुवेंदु अधिकारी ने हिंदुओं से अपील है कि वे एक जुट रहें. इस संबंध में उन्होंने पूर्व मेदिनीपुर जिले के हल्दिया में एक ‘सनातनी’ एकजुटता रैली में भाग लिया. इस रैली में सैकड़ों बीजेपी समर्थकों ने हिस्सा लिया. ये रैली इंडस्ट्रियल टाउनशिप में 2 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद शहर के मध्य में समाप्त हुई.

‘सनातनी’ एकजुटता रैली हल्दिया से बीजेपी विधायक तापसी मंडल के टीएमसी में शामिल होने के एक सप्ताह बाद आयोजित की गई. अधिकारी ने दो दिन पहले भी तामलुक में ऐसी ही रैली निकाली थी. उनका कहना है कि ऐसी रैलियां सभी हिंदुओं के एकता में पिरोने का प्रतीक हैं और अगले चुनावों में टीएमसी शासन के पतन से पहले की हैं. ममता बनर्जी की तुष्टिकरण की नीतियां है. राज्य के तमाम हिस्सों में जिहादी तत्वों की ओर से हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार किए जा रहे है. इन पर टीएमसी प्रशासन ने आंखें मूंद रखी हैं. ये मुद्दे उनकी पार्टी को धूल चटा देंगे. रैली के पीछे का तात्कालिक कारण हाल ही में होली-डोलजात्रा त्योहार के दौरान जिले में जिहादियों की ओर से सनातनी हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार है.

सुवेंदु अधिकारी ने दावा किया, ‘अगर 5 फीसदी और हिंदू वोट भाजपा की झोली में आते हैं, तो हम अगला विधानसभा चुनाव जीत जाएंगे.’ महाराष्ट्र और दिल्ली में विधानसभा चुनावों के नतीजों का हवाला देते हुए अधिकारी ने कहा कि लगभग 10 फीसदी हिंदू वोटर हैं जिन्होंने पिछले चुनावों में वोट करने में रुचि नहीं दिखाई थी, लेकिन इस बार वो वोट करने के लिए घरों से बाहर निकले.

2021 के चुनाव में बीजेपी को कितने फीसदी मिले वोट?

पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने बीजेपी के खिलाफ करीबी मुकाबले की भविष्यवाणी करने के बावजूद बड़े अंतराल से चुनाव जीता. 294 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी मात्र 77 सीटों पर सिमट गई और टीएमसी ने 2015 सीटों पर जीत हासिल की. वहीं, बंगाल के इतिहास में पहली बार कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी का खाता नहीं खुला. हालांकि बीजेपी और टीएमसी के बीच वोटों का अंतर बहुत बड़ा नहीं था. टीएमसी के खाते में 48.2 फीसदी वोट गए और बीजेपी 38.15 फीसदी वोट मिले. बीजेपी को करीब 10 फीसदी वोट कम पर संतोष करना पड़ा. वहीं, टीएमसी पिछले चुनाव के मुकाबले मात्र 3 फीसदी वोट बढ़ा सकी, लेकिन बीजेपी ने करीब 28 फीसदी की लंबी छलांग लगाई. यही वजह है कि सुवेंदु अधिकारी 5 फीसदी और वोटों के बढ़ाने की बात कह रहे हैं.

2016 के चुनाव में बीजेपी की क्या थी स्थिति?

टीएमसी ने 2016 के चुनाव में 211 सीटों पर जीत दर्ज की थी. उसकी धुर विरोधी रही कांग्रेस ने 44 सीटों और वाम मोर्चे के गठबंधन ने 33 सीटों पर विजय पताका फहराई थी. इस चुनाव में बीजेपी की स्थिति ज्यादा नाजुक दिखाई दी. उसके हाथ केवल तीन सीटें ही लगी थीं, लेकिन उसने 10.16 फीसदी वोट जरूर हासिल किए, जोकि कांग्रेस से मात्र 2 फीसदी कम थे. 44 सीटें जीतने वाली कांग्रेस को 12.25 वोट हासिल हुए थे. वहीं, टीएमसी की प्रचंड जीत के साथ उसकी झोली में 44.91 वोट गए थे.

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