चंडीगढ़\नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को राज्यसभा में पंजाब के चरमपंथी अमृतपाल सिंह के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि कैसे उनके मंत्रालय ने इस मामले को संभाला। अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि कुछ लोगों ने पंजाब में भिंडरावाले बनने की कोशिश की। हालांकि हमारी सरकार (राज्य में) नहीं थी। इसके बावजूद गृह मंत्रालय का दृढ़ संकल्प था कि वह(अमृतपाल) अब असम जेल में गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि हम राजनीतिक विचारधारा के कारण देश में खतरे को पनपने नहीं देंगे। हम उन्हें शुरुआत में ही कुचल देंगे। इस प्रकार अमित शाह ने अमृतपाल सिंह के मुद्दे पर सरकार की सख्त कार्रवाई और इरादे को स्पष्ट किया।

अमृतपाल सिंह कौन?

दरअसल अमृतपाल सिंह वारिस पंजाब दे संगठन का प्रमुख है। पंजाब पुलिस ने उसे 23 अप्रैल, 2023 को मोगा जिले के रोडे गांव से गिरफ्तार किया था। यह गिरफ्तारी 37 दिनों तक चले तलाशी अभियान के बाद हुई। यह अभियान 18 मार्च, 2023 को शुरू हुआ था। जब अधिकारियों ने उसके और उसके समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी। अमृतपाल सिंह पर कई गंभीर आरोप लगे थे। इनमें फरवरी 2023 में अजनाला पुलिस स्टेशन पर हमला करना भी शामिल था। वहां उसने और उसके हथियारबंद समर्थकों ने अमृतसर के पास स्थित पुलिस स्टेशन में जबरदस्ती घुसकर एक सहयोगी को रिहा करने की मांग की थी। इस घटना में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।

अमृतपाल सिंह पर क्या आरोप?

उस पर शस्त्र अधिनियम के उल्लंघन का भी आरोप लगाया गया था। अधिकारियों ने उसके साथियों से छह 12-बोर बंदूकें और 193 जिंदा कारतूस सहित हथियार जब्त किए थे। अमृतपाल सिंह पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) लगाया गया था। इस कानून के तहत उसे बिना किसी औपचारिक आरोप के 12 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है। गिरफ्तारी के बाद सिंह को असम के डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में ट्रांसफर कर दिया गया। उसके कई साथियों को पहले से ही NSA के तहत वहां रखा गया था।

खडूर साहिब लोकसभा सीट से जीता चुनाव

खुफिया रिपोर्टों से पता चला है कि सिंह पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के समर्थन से भारत के खिलाफ साजिश रच रहा था। वह सिख युवाओं को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश कर रहा था। अमृतपाल सिंह अभी NSA के तहत डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल असम में कैद है। उसकी हिरासत को एक साल के लिए 22 अप्रैल, 2025 तक बढ़ा दिया गया है। यह फैसला राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए हानिकारक गतिविधियों में उसकी निरंतर भागीदारी के कारण लिया गया। जेल में रहने के बावजूद सिंह ने खडूर साहिब लोकसभा सीट जीती। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार कुलबीर सिंह जीरा को 1.97 लाख वोटों के अंतर से हराया। यह जीत दर्शाती है कि जेल में होने के बावजूद लोगों के बीच उसकी लोकप्रियता बनी हुई है।

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