मुंबई: महाराष्ट्र में मुगल बादशाह औरंगजेब का मुद्दा फिर गरमाया हुआ है. फिल्म ‘छावा’ की रिलीज़ के बाद इस पर विवाद बढ़ गया है. फिल्म में मराठा योद्धा छत्रपति संभाजी महाराज और औरंगजेब के संघर्ष को दिखाया गया है. इसके बाद कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने औरंगजेब की कब्र तोड़ने की मांग की है. यह कब्र खुलदाबाद (छत्रपति संभाजीनगर) में स्थित है. इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है. सोमवार को नागपुर में हिंसा भड़क गई. हिंदू संगठनों के प्रदर्शन के दौरान एक धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी की अफवाह फैल गई. इसके बाद राज्य में कानून-व्यवस्था को लेकर चिंता बढ़ गई. इस बीच, महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार के रुख पर भी चर्चा हो रही है. कई लोग पूछ रहे हैं कि क्या सरकार औरंगजेब की कब्र को हटवा सकती है?
औरंगजेब की कब्र को क्यों नहीं हटाया जा सकता?
यह कब्र भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में है. ASI इसे ‘राष्ट्रीय महत्व का स्मारक’ मानता है. इसलिए इसका रखरखाव केंद्र सरकार करती है. महाराष्ट्र सरकार के पास इसे हटाने का अधिकार नहीं है.
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सरकार को औरंगजेब की कब्र की रक्षा करनी पड़ रही है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई औरंगजेब का महिमामंडन करने की कोशिश करेगा, तो उसे सफल नहीं होने दिया जाएगा. फडणवीस ने यह भी कहा कि यह कब्र कांग्रेस सरकार के समय ASI के तहत लाई गई थी. उन्होंने कहा, “हम सब भी यही चाहते हैं, लेकिन इसे कानून के दायरे में करना होगा.”
ASI ऐतिहासिक स्थलों की रक्षा कैसे करता है?
- ASI संस्कृति मंत्रालय के तहत आता है. यह भारत के कई ऐतिहासिक स्थलों की रक्षा करता है. इसमें महल, किले, मंदिर, चर्च, मस्जिद, कब्र, बावड़ियां और अन्य पुरातात्विक स्थल शामिल हैं.
- देशभर में 3,697 ऐतिहासिक स्थल और स्मारक ASI के संरक्षण में हैं. 1958 के ‘प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम’ (AMASR Act) के तहत इनकी रक्षा की जाती है.
- इस कानून के अनुसार, संरक्षित स्थल के आसपास कोई निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता. धारा 19(1) में स्पष्ट किया गया है कि कोई भी व्यक्ति किसी संरक्षित क्षेत्र में निर्माण, खनन, खुदाई या किसी भी तरह की तोड़फोड़ नहीं कर सकता.
- अगर कोई ASI द्वारा संरक्षित स्मारक को तोड़ता, बिगाड़ता या हटाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है. ASI नियमित रूप से इन स्थलों का निरीक्षण करता है. किसी भी अवैध कब्जे या नुकसान की स्थिति में स्थानीय प्रशासन और पुलिस की मदद से कार्रवाई की जाती है.
क्या ASI किसी स्मारक को संरक्षण सूची से हटा सकता है?
हां, केवल केंद्र सरकार ही किसी स्मारक को ASI की सूची से हटा सकती है. अगर केंद्र सरकार को लगता है कि कोई ऐतिहासिक स्थल अब राष्ट्रीय महत्व का नहीं रहा, तो वह इसे सूची से हटा सकती है. AMASR अधिनियम की धारा 35 में यह प्रावधान है. इसके बाद वह स्थल सरकारी संरक्षण से बाहर हो जाता है. हालांकि, अभी तक सरकार ने औरंगजेब की कब्र को हटाने की कोई आधिकारिक प्रक्रिया शुरू नहीं की है. लेकिन राजनीतिक माहौल गरमाता जा रहा है.
यह विवाद कैसे शुरू हुआ?
इस विवाद की शुरुआत समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आज़मी के बयान से हुई. उन्होंने फिल्म ‘छावा’ में दिखाई गई कुछ बातों को गलत बताया. फिल्म में औरंगजेब द्वारा संभाजी महाराज की यातना और हत्या को दर्शाया गया है. आज़मी के बयान से राजनीतिक बवाल मच गया. इसके बाद उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा के बजट सत्र से निलंबित कर दिया गया. बीजेपी सांसद और छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोसले ने औरंगजेब की कब्र को गिराने की मांग की. इसके बाद हिंदू संगठनों ने इसे लेकर प्रदर्शन शुरू कर दिया.
Disclaimer: इस आर्टिकल को तैयार करने में AI की मदद ली गई है.